राष्ट्रीय गोकुल मिशन से पशुओं में कराया जा रहा कृत्रिम गर्भाधान
अब तक जिले के 4192 पशुओं में कराया गया कृत्रिम गर्भाधान - 31 मार्च तक जिले के सभी प्रखंडों में चलेगा कार्यक्रम जागरण संवाददाता भभुआ जिले के पशुपालकों के लिए अब अपने पशुओं के गर्भाधान को लेकर चितित नहीं होना पड़ेगा। इसको
जिले के पशुपालकों के लिए अब अपने पशुओं के गर्भाधान को लेकर चितित नहीं होना पड़ेगा। इसको लेकर केंद्र सरकार के स्तर से शुरू की गई राष्ट्रीय गोकुल मिशन पशुपालकों के लिए कारगर साबित हो रही है। जिले के पशुपालक भी इस मिशन के तहत अपने पशुओं का कृत्रिम गर्भाधान करा कर चिता मुक्त हो रहे हैं। यह मिशन 31 मार्च 2020 तक निशुल्क चलेगा। इसके लिए जिला पशुपालन विभाग द्वारा प्रत्येक चयनित गांवों में अपने कर्मियों को भेजा जा रहा है। जिला पशुपालन पदाधिकारी अरविद कुमार सिंहा ने बताया कि जिले के 300 गांवों का चयन कृत्रिम गर्भाधान करने के लिए किया गया है। लेकिन अभी 296 गांवों का चयन किया गया है। चार गांवों के चयन की प्रक्रिया भी शीघ्र पूर्ण कर ली जाएगी। उन्होंने बताया कि इन चयनित 296 गांवों में अब तक 4192 पशुओं का कृत्रिम गर्भाधान करा दिया गया है। इस कार्य के लिए सौ कर्मियों को लगाया गया है। जिनके द्वारा गांवों में पहुंच कर पशुओं में कृत्रिम गर्भाधान कराया जा रहा है। इसके लिए सभी कर्मियों को सिमेन भी उपलब्ध करा दिया गया है। साथ ही इन कर्मियों को इसके लिए प्रशिक्षित भी किया गया है। एक कर्मी को दो-तीन गांवों की जिम्मेदारी दी गई है। उन्होंने बताया कि गांवों में जाने वाले कर्मियों की मॉनीटरिग करने के लिए प्रखंड स्तर पर प्रखंड पशु चिकित्सा पदाधिकारी को जिम्मेदारी दी गई है। जबकि जिला स्तर पर जिला पशुपालन पदाधिकारी व डेयरी के प्रभारी पदाधिकारी को जिम्मेदारी सौंपी गई है। उन्होंने बताया कि जिले के सभी प्रखंडों में यह कार्य निशुल्क हो रहा है। इसके लिए किसी तरह का कोई शुल्क नहीं लिया जा रहा है। साथ ही किसानों को जागरूक करने के लिए विभाग के स्तर से प्रचार प्रसार भी कराया जा रहा है। उन्होंने कहा कि निर्धारित समय 31 मार्च तक अधिक से अधिक पशुओं में कृत्रिम गर्भाधान कराने का प्रयास किया जा रहा है।
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