'मैं बोलता गया वो सुनता रहा खामोश, ऐसी भी मेरी हार हुई है कभी-कभी'
- ब्रजेश कुमार, भभुआ: दैनिक जागरण के तत्वावधान में शनिवार देर शाम स्थानीय जगजीवन स्टेडियम में जिस ...और पढ़ें

- ब्रजेश कुमार, भभुआ:
दैनिक जागरण के तत्वावधान में शनिवार देर शाम स्थानीय जगजीवन स्टेडियम में जिस वक्त अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का आगाज हो रहा था, तो आकाश में घने बादल थे, बिजली चमक रही थी, हल्की बूंदा-बादी हो रही थी। मौसम का रूख ऐसा था कि कब बारिश शुरू हो जाए कहा नहीं जा सकता था। परंतु कवि सम्मेलन में मंच पर जुटे कवि गणों व उन्हें सुनने आए सैकड़ों श्रोताओं को देख भगवान इंद्र ने भी इरादा बदल लिया और मौसम खुशगवार हो गया। इसके बाद कवि सम्मेलन का ऐसा रंग जमा कि कविता-शायरी की हीं बारिश होती रही, श्रोता देर रात तक सराबोर होते रहे। कवि सम्मेलन का आगाज डा. सुमन दुबे की सरस्वती वंदना के साथ हुआ। हल्के-फुल्के हास्य-विनोद से परवान चढ़ता सम्मेलन मशहूर शायर प्रो. वसीम बरेलवी की शायरी के साथ अपने शानदार अंजाम तक पहुंचा।
1. दीप ऐसा जलाओ..
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कार्यक्रम की शुरूआत लाफ्टर चैलेंज फेम गौरव शर्मा के हंसीगुल्लों के साथ हुई। कहा कि 'दीप ऐसा जलाओ कि रवि कहे कि वाह क्या बात है, तालियां ऐसी बजाए कि कवि कहे कि वाह क्या बात है'। अपने चुटकलों से भी लोगों को पेट पकड़ने के लिए मजबूर कर दिया। कहा कि शिक्षक ने पूछा कि रामनवमी क्यों मनायी जाती है तो छात्र ने कहा कि भगवान राम इसी दिन आठवीं पास कर नौवीं में गए थे।
2. दिल्ली का दर्द
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इसके बाद हास्य कवि महेंद्र अजनबी ने हास्य व्यंग्य का दौर शुरू किया। उन्होंने अपनी प्रसिद्ध 'रेल यात्रा' रचना सुनायी। नेता जी के पानी टंकी के उद्घाटन के समय दिए गए भाषण का भी श्रोताओं ने खूब मजा लिया। दामिनी कांड के बाद लिखे गए दिल्ली शहर के दर्द 'शर्मिदा हूं की देश की राजधानी हूं' कविता को भी लोगों ने खूब पसंद किया।
3. नदियां है लब पर प्यास नहीं है.
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इसके बाद डा. सुमन दुबे ने मंच संभाला। अपने मधुर स्वर से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। हिंदी गीतों के साथ भोजपुरी में भी अपनी रचना प्रस्तुत कर श्रोताओं को दीवाना बना दिया। कहा कि 'नदियां हैं मेरे लब पर कोई प्यास नहीं है, आया है समंदर कोई आभास नहीं है'। भोजपुरी गीत में नवविवाहिता के विरह को बखूबी दर्शाया।
4. इश्कन-इश्कन दौड़ चली..
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इसके बाद कविता पाठ के लिए देश के वरीय गीतकारों में शुमार किए जानेवाले रामेंद्र मोहन त्रिपाठी ने माइक संभाला। कहा कि इश्कन-इश्कन दौड़ चली, नहीं मिली तो नहीं मिली। अब क्या इसको रोना है, होना है सो होना है। उसकी खुशबू से आतुर दिल का कोना-कोना है'।
5. बिल से फिर निकलेंगे नाग..
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इसके बाद हास्य कविता के चर्चित कवि सरदार मंजीत सिंह ने मंच संभाला। कहा कि 'शुरू हुआ चुनावी भागमभाग, जंगल में फिर से लगी है आग, बहुत दिनों से मजे काटकर, बिल से फिर निकलेंगे नाग'।
6. छोटी-छोटी खुशियां अपनी
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इसके बाद दिग्गज शायर प्रो. वसीम बरेलवी अपनी शायरी के साथ मंच पर थे। कहा कि 'मैं बोलता गया वो सुनता रहा खामोश, ऐसी भी मेरी हार हुयी है कभी-कभी'। इसके बाद शायरी का वो दौर शुरू हुआ जिससे कवि सम्मेलन अपने चरम पर पहुंचा। लोगों की फरमाइश पर वसीम साहब एक से एक शेर पढ़ते गए, चारों तरफ वाह-वाह की आवाजें आती रही। अंत में अपने प्रसिद्ध गजल को तरन्नुम में पेश किया। कहा कि 'छोटी-छोटी खुशियां अपनी, छोटे-छोटे गम। हम क्या जाने सत्ताधर्मी तेरे दिन-धरम।'

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