Shreyasi Singh: स्वर्ण पदक से बिहार की सबसे युवा मंत्री पद तक, विरासत नहीं, खुद की मेहनत की गवाही है श्रेयसी सिंह की कहानी
स्वर्ण पदक विजेता निशानेबाज श्रेयसी सिंह बिहार की सबसे युवा मंत्री बन गई हैं। खेल से राजनीति में उनका प्रवेश प्रेरणादायक है। बिहार विधानसभा चुनाव में जीत के बाद, वह सरकार में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं, जो युवाओं के लिए एक प्रेरणा है।

जमुई विधायक श्रेयसी सिंह
जागरण संवाददाता, जमुई। 34 वर्षीय निशानेबाज श्रेयसी सिंह जमुई विधानसभा क्षेत्र से 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में पहली बार भाजपा के टिकट पर विधायक चुनी गई। इस बार चुनाव में लगातार दूसरी बार उन्होंने पिछले चुनाव से भी बड़ी जीत हासिल करके अपनी धमक साबित की हैं।
निशानेबाजी की डबल ट्रैप स्पर्धा में 2018 में राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण और 2014 में रजत समेत कई बड़े मंचों पर पदक जीत चुकी हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री दिग्विजय सिंह और पूर्व सांसद पुतुल कुमारी की यह बेटी पिता की विरासत को आगे बढ़ाते हुए राजनीति की दुनिया आज खुद भी सशक्त हस्ताक्षर हैं।
मंत्रिमंडल का सबसे युवा चेहरा
नीतीश कुमार मंत्रिमंडल में वह सबसे युवा और इकलौता एथलीट चेहरा है। उनका संकल्प है कि राजनीति को वह कभी अपने लिए धन अर्जन का साधन नहीं बनने देगी। जमुई जिला अंतर्गत गिद्धौर प्रखंड के नया गांव उनका मूल पैतृक ग्राम है।
एमबीए की पढ़ाई पूरी कर चुकी श्रेयसी सिंह दिग्विजय सिंह की दो पुत्री में सबसे छोटी संतान है। इनके पिता प्रधानमंत्री चंद्रशेखर तथा अटल बिहारी वाजपेई के मंत्रिमंडल में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहे।
विधायक रहते हुए संगठन को प्राथमिकता उनकी खासियत रही है। जाति और धर्म के मुद्दों पर विवादित बोल से बचते रहने की उनकी पहचान है।
युवाओं खासकर खिलाड़ियों के लिए कुछ विशेष करने को लेकर हमेशा प्रयासरत रही हैं। क्षेत्र के विकास को लेकर उनकी गंभीरता की बुद्धिजीवियों के बीच प्रशंसा होती रहती है।

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