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    पं. दीन दयाल उपाध्याय जंक्शन से झाझा के बीच बनेगी तीसरी-चौथी रेल लाइन, 400 KM होगी लंबाई

    Updated: Fri, 05 Dec 2025 02:38 PM (IST)

    पूर्व मध्य रेल क्षेत्र में पं. दीन दयाल उपाध्याय जंक्शन से झाझा के बीच तीसरी और चौथी रेल लाइन बनेगी। लगभग 400 किमी लंबी इस परियोजना पर 17 हजार करोड़ र ...और पढ़ें

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    पं. दीन दयाल उपाध्याय जंक्शन से झाझा के बीच बनेगी तीसरी-चौथी रेल लाइन

    संवाद सहयोगी, जमुई। पूर्व मध्य रेल क्षेत्र में रेल यात्रा और मालगाड़ी परिचालन को और सुगम बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया जा रहा है। इसी क्रम में पं. दीन दयाल उपाध्याय जंक्शन से झाझा के बीच लगभग 400 किमी लंबी तीसरी और चौथी रेल लाइन का निर्माण किया जाएगा। परियोजना की अनुमानित लागत 17 हजार करोड़ रुपये है।

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    निर्माण कार्य शुरू होने से न केवल मालवाहक गाड़ियों की आवाजाही तेज होगी, बल्कि यात्री ट्रेनों के संचालन में भी सुविधा बढ़ेगी।

    मुख्य जनसंपर्क अधिकारी सरस्वती चंद्रा ने बताया कि परियोजना को चरणबद्ध तरीके से पूरा किया जाएगा। रेलवे बोर्ड द्वारा विभिन्न खंडों में स्वीकृति दी जा रही है। निर्माण कार्य को सुचारू रूप से आगे बढ़ाने के लिए पूरी परियोजना को पं. दीन दयाल उपाध्याय जंक्शन-दानापुर, दानापुर-फतुहा, फतुहा-बख्तियारपुर, बख्तियारपुर-पुनारख, पुनारख-किऊल व किऊल-झाझा हिस्सों में विभाजित किया गया है।

    पहले चरण में बख्तियारपुर-फतुहा (24 किमी) के लिए 931 करोड़ रुपये तथा बख्तियारपुर-पुनारख (30 किमी) के लिए 392 करोड़ रुपये की स्वीकृति मिल चुकी है। इसके बाद भूमि अधिग्रहण कार्य शुरू किया जाएगा। वहीं, पुनारख-किऊल (अनुमानित 2514 करोड़ रुपये) और किऊल-झाझा (903 करोड़ रुपये) रेलखंड की स्वीकृति प्रक्रिया अंतिम चरण में है।

    पटना क्षेत्र में जमीन की कमी को देखते हुए दानापुर-पटना के बीच दो स्टेबलिंग लाइनों को हटाकर उन्हीं की जगह तीसरी और चौथी लाइन का निर्माण किया जाएगा। वहीं, पटना-पटना सिटी के बीच जगह के अभाव के कारण एक अतिरिक्त लाइन रिवर्सेबल मोड में उपयोग की जाएगी।

    गौरतलब है कि पं. दीन दयाल उपाध्याय-झाझा रेलखंड का निर्माण वर्ष 1860-70 में हुआ था, बाद में इसका दोहरीकरण किया गया, परंतु बढ़ती जनसंख्या और औद्योगिकीकरण के चलते आज ट्रैकों पर गाड़ियों का दबाव कई गुना बढ़ गया है।

    तीसरी एवं चौथी लाइन तैयार होने से मालगाड़ी व यात्री गाड़ियों की आवाजाही तेजी से होगी, अधिक ट्रेनों के संचालन का मार्ग खुलेगा और उद्योग, व्यापार व रोजगार को बढ़ावा मिलेगा। यह परियोजना विकसित बिहार के सपनों को मजबूती प्रदान करेगी।