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    जमुई में सहकारिता समितियों का धान घोटाला, डेढ़ करोड़ का गबन, अध्यक्षों पर FIR का अनुरोध

    Updated: Fri, 12 Sep 2025 07:53 AM (IST)

    जमुई जिले की दो सहकारी समितियों में लगभग डेढ़ करोड़ रुपये का गबन उजागर हुआ है। लखनपुर और डूंडो नर्वदा पैक्स में धान खरीद में अनियमितताएं पाई गईं जिसमें धान का स्टॉक गायब मिला। अधिकारियों ने समितियों के अध्यक्षों और प्रबंधकों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का अनुरोध किया है। यह मामला किसानों के साथ धोखा माना जा रहा है क्योंकि उनकी उपज का गबन किया गया है।

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    जमुई में दो सहकारिता समितियों ने किया डेढ़ करोड़ का गबन

    संवाद सहयोगी, जमुई। जमुई जिले में दो सहकारिता समितियों ने लगभग डेढ़ करोड़ का गबन किया है। जिला सहकारिता पदाधिकारी के निर्देश पर वरीय सहकारिता प्रसार पदाधिकारी पंकज कुमार द्वारा किए गए भौतिक सत्यापन में यह मामला उजागर हुआ है।

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    डूंडो नर्वदा प्राथमिक कृषि साख सहयोग समिति और लखनपुर प्राथमिक कृषि साख सहयोग समिति के अध्यक्ष एवं प्रबंधक पर करोड़ों रुपये की सरकारी राशि गबन करने का आरोप है।

    वरीय सहकारिता प्रसार पदाधिकारी ने जांच रिपोर्ट जमुई के थानाध्यक्ष को भेजते हुए आरोपितों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का अनुरोध किया है। यह मामला जमुई जिले में सहकारिता विभाग की कार्यप्रणाली और धान अधिप्राप्ति में चल रहे अनियमितताओं को उजागर करता है।

    पहला मामला : लखनपुर पैक्स

    जिला सहकारिता पदाधिकारी के पत्रांक-1849 दिनांक 09.09.2025 के आधार पर जांच में पाया गया कि खरीफ विपणन मौसम 2024-25 में 53 किसानों से 5867 क्विंटल धान खरीदी गई। नियम के अनुसार 3989.56 क्विंटल चावल राज्य खाद्य निगम को उपलब्ध कराया जाना चाहिए था, लेकिन केवल 2030 क्विंटल ही निगम को दिया गया।

    शेष 2912 क्विंटल धान समिति के पास होना चाहिए था, लेकिन गोदाम खाली पाया गया। समिति अध्यक्ष आनंदी यादव और प्रबंधक अर्चना कुमारी पर गबन का आरोप है। इस राशि का मूल्य लगभग 67.70 लाख रुपये है।

    दूसरा मामला : डूंडो नर्वदा पैक्स

    जांच में पाया गया कि खरीफ विपणन मौसम 2024-25 में 88 किसानों से 10,542 क्विंटल धान खरीदी गई थी। नियमानुसार 7,168.56 क्विंटल चावल राज्य खाद्य निगम को देना था, लेकिन 4640 क्विंटल ही आपूर्ति हुआ और शेष 3785 क्विंटल धान समिति के गोदाम में नहीं मिला।

    समिति अध्यक्ष धीरज कुमार सिंह और प्रबंधक विकास कुमार पर गबन का आरोप है। इसकी कीमत लगभग 88.01 लाख रुपये बताई गई है। किसानों का कहना है कि वे अपनी उपज न्यूनतम समर्थन मूल्य पर समितियों को सौंपते हैं, लेकिन यदि पदाधिकारी ही गबन करें तो यह किसानों के साथ धोखा है।

    फिलहाल, मामला पुलिस के पास है और आगे की कार्रवाई की जा रही है।दोनों समितियों को मिलाकर गबन की कुल राशि लगभग ₹1.55 करोड़ से अधिक (88 लाख 1 सौ 25 रुपये 67 लाख 70 हजार 400 रुपये) बताई जा रही है।

    वरीय सहकारिता प्रसार पदाधिकारी पंकज कुमार ने अपनी जांच रिपोर्ट थानाध्यक्ष, जमुई को भेजते हुए दोनों समितियों के अध्यक्ष और प्रबंधक के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज करने का आग्रह किया है। उन्होंने स्पष्ट कहा है कि सरकारी धन और किसानों की मेहनत की फसल के साथ इस प्रकार की हेराफेरी किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं की जानी चाहिए।अब मामला पुलिस के पाले में है। थानाध्यक्ष जमुई द्वारा प्राथमिकी दर्ज कर आगे की कार्रवाई की जाएगी।