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    लोगों को लुभा रही है नींबू व अमरूद की खुशबू

    By JagranEdited By:
    Updated: Fri, 27 Nov 2020 06:07 PM (IST)

    जमुई। प्रखंड मुख्यालय से 11 किलोमीटर दूर जंगल से सटे नक्सल प्रभावित धनिमातरी गांव में प्रवेश कर

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    लोगों को लुभा रही है नींबू व अमरूद की खुशबू

    जमुई। प्रखंड मुख्यालय से 11 किलोमीटर दूर जंगल से सटे नक्सल प्रभावित धनिमातरी गांव में प्रवेश करते ही नींबू व अमरूद की खुशबू लोगों को लुभा रही है। दरअसल, इस गांव के 11 आदिवासी किसानों ने रोजगार सृजन की दिशा में अपने कदम को बढ़ाते हुए एक साथ मिलकर एक एकड़ से अधिक खेतों में अमरूद के साथ नींबू की खेती कर आर्थिक सबलता की नई इबारत लिखने की तैयारी में जुट गए हैं। एक साल भी नहीं बीते हैं कि अमरूद व नींबू में फूल आ चुके हैं। इनमें बगैर बीज वाले नींबू और अमरूद के पौधे शामिल हैं। जंगलों व पहाड़ों की तराई से निकली बहुआर नदी के बीच 50 घरों की बसी आबादी वाले इस आदिवासी गांव में खेतों में लहलहाते नींबू व अमरूद के हरियाली पौधों के साथ किसानों में भी हरियाली दिखने लगी है। इस सामूहिक बागवानी में गांव के कारू राय, सुरेश राय, कौशल्या देवी, हरि राय, शंकर राय, बहादुर राय, मंटू राय, लालधारी राय, गिरीश राय, रूणा देवी, चमरू राय आदि ग्यारह किसान शामिल हैं।

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    वेटर व‌र्ल्ड फाउंडेशन ने सामूहिक बागवानी की बनाई योजना

    लछुआड़ में कार्यरत वेटर व‌र्ल्ड फाउंडेशन ने ग्रामीण जीवन में अपेक्षित सामाजिक बदलाव के साथ गांव की अर्थव्यवस्था में सु²ढ़ता को लेकर जंगलों में बसे धनिमातरी गांव में वर्ष 2019 में सामूहिक बागवानी की कार्य योजना बनाई। वहीं आदर्श ग्राम विकास योजना के तहत कुल 11 किसानों का समूह बनाकर उन्हें जागरूक कर बागवानी की दिशा में किसानों के अंदर एक नई सोंच पैदा की। फिर क्या किसानों ने फाउंडेशन की मदद से नींबू और अमरूद खेती करने का मन बना लिया तभी वेटर व‌र्ल्ड फाउंडेशन ने किसानों को मुफ्त में अमरूद व नींबू की खेती को लेकर कुल 640 पौधे उपलब्ध कराए। पौधरोपण के पूर्व सभी किसानों को खेती के गुर को लेकर प्रशिक्षण भी फाउंडेशन की ओर से दिया गया ताकि किसान सही तरीके से खेती को अपनाकर आर्थिक सबलता की एक नई इबारत लिख सके। वेटर व‌र्ल्ड फाउंडेशन के परियोजना प्रबंधक राकेश रौशन ने बताया कि फाउंडेशन का लक्ष्य सतत व समग्र विकास के तहत कार्य योजना के माध्यम से जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने के लिए भौगोलिक क्षेत्रों में सीमांत, ग्रामीण व आदिवासी समुदायों के समग्र विकास का कार्य करना है।