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    Bihar Picnic Spot: बिहार में नए साल पर यहां लगती है भारी भीड़, पहाड़-जंगल का खूबसूरत संगम; पर्यटकों के लिए स्वर्ग

    Jamui News जमुई के खैरा प्रखंड में पहाड़ और जंगल का खूबसूरत संगम है। गिद्धेश्वरनाथ शिव मंदिर बजरंगबली मंदिर गरही जलाशय पंचभूर झरना भगवान महावीर मंदिर जैसे कई पर्यटन स्थल हैं। प्राकृतिक सुंदरता के साथ-साथ धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व भी है। पर्यटकों को आकर्षित करने की अपार संभावना है। खासकर सावन माह में यहां भगवान शिव की पूजा-अर्चना को लेकर श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है।

    By Manikant Singh Edited By: Sanjeev Kumar Updated: Sat, 28 Dec 2024 02:31 PM (IST)
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    जमुई का गिद्धेश्वरनाथ शिव मंदिर (जागरण फोटो)

     मणिकांत, जमुई। Jamui News: जिले के खैरा प्रखंड में पहाड़ और जंगल का खूबसूरत संगम है। पर्यटन के दृष्टिकोण से यह इलाका समृद्ध है। बस जरूरत है सरकार को इस पर विशेष ध्यान देने की। यहां धार्मिक, पौराणिक, ऐतिहासिक के साथ ही मनोरम वादियों का भी लुत्फ उठाने लायक पर्यटन स्थल है। यहां पर्यटकों का आगमन हो सकता है तो अच्छे राजस्व की भी प्राप्ति हो सकती है। जंगल और पहाड़ के बीच में कई ऐसे स्थल हैं, जहां बाहरी पर्यटकों को लाया जा सकता है।

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    पहाड़ और जंगल की सुंदर वादियां, मनोरम दृश्य, दूर-दूर तक फैली हरियाली और पहाड़ों से गिरते झरने लोगों को रोमांचित करते हैं। इसी इलाके में पौराणिक व रमणीक स्थल गिद्धेश्वरनाथ शिव मंदिर भी अवस्थित है। यहां भगवान शिव के शिवलिंग पर जलाभिषेक किया जाता है।

    खासकर सावन माह में यहां भगवान शिव की पूजा-अर्चना को लेकर श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है। जंगल व पहा़ड़ों से घिरे गिद्धेश्वरनाथ मंदिर का दृश्य काफी मनमोहक है। पहाड़ की ऊंची चोटी पर स्थित बजरंगबली मंदिर से भी लोगों की असीम आस्था जुड़ी है। गरही के विशाल जलाशय के अलावा हरणी जंगल के बीच पहाड़ों से गिरता झरना पर्यटकों को खूब आकर्षित करता है।

    रामायणकाल से जुड़ा है गिद्धेश्वरनाथ मंदिर का इतिहास

    गिद्धेश्वरनाथ मंदिर ऐतिहासिक, पौराणिक और धार्मिक महत्ता को अपने में समाए है। यहां भगवान शंकर का आपरूपी शिवलिंग है। इसके साथ ही भगवान शंकर और माता पार्वती के साथ कई देवी-देवताओं का मंदिर भी निर्मित है। जहां से लोगों की गहरी धार्मिक आस्था जुड़ी है।

    रामायणकाल की प्रचलित कथा के अनुसार यहां के पर्वत पर ही जटायू ने रावण से उस वक्त युद्ध किया था जब रावण माता सीता का अपहरण कर ले जा रहा था। गुस्से में रावण ने जटायू का पंख काट डाला था। यहीं पर जटायू को मोक्ष की प्राप्ति हुई थी। चूंकि जटायू गिद्ध था इसलिए इस स्थान का नाम गिद्धेश्वर और यहां निर्मित मंदिर का नाम गिद्धेश्वरनाथ मंदिर पड़ा।

    पर्यटकों को आकर्षित करता है पंचभूर झरना

    कभी नक्सल आतंक का पर्याय रहे हरणी पंचायत के पंचभूर जंगल में स्थित झरना वर्तमान में आसपास और दूर- दराज के लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बन गया है। यह वही इलाका है, जहां कुछ साल पूर्व तक लोग दिन के उजाले में भी जाने के नाम पर दहशत में आ जाते थे। लेकिन, पुलिस और अर्धसैनिक बलों की कार्रवाई के कारण यह इलाका बिल्कुल ही रमणीक स्थल के रूप में बदल गया है। यह झरना घने जंगल और पथरीले मार्ग के बीच स्थित है।

    प्रकृति को महसूस करने के साथ बोटिंग का आनंद

    गरही जलाशय को प्रदेश का दूसरा बड़ा जलाशय कहा जाता है। यह जलाशय लगभग 20 किमी. की परिधि में फैला है। यहां प्राकृतिक वादियों तथा बोटिंग का आनंद लेने लोग पहुंचते हैं। खासकर ठंड के मौसम में लोगों का आना-जाना बढ़ जाता है। पिकनिक स्पाट के लिहाज से भी जलाशय से सटे जंगलों का इलाका बेहद अच्छा है। बड़ी संख्या में लोग यहां पहुंचकर पिकनिक का आनंद लेते हैं।

    2600 साल पुराना है भगवान महावीर मंदिर का इतिहास

    खैरा प्रखंड के रजला मौजा स्थित भगवान महावीर का मंदिर अवस्थित है। इस जगह को भगवान की जन्मस्थली भी कहा जाता है। इस मंदिर का इतिहास 2600 साल पुराना है। भगवान महावीर की जन्मभूमि की मान्यता सदियों से निर्विवाद रूप से कुण्डग्राम के पक्ष में था।

    इस बात के अनेक प्रमाण मिलते हैं कि 14वीं सदी से 18वीं सदी तक एक से एक जैन मुनि इस भूमि के दर्शन- पूजन के लिए आते रहे हैं, जिसका वर्णन उन्होंने अपने-अपने यात्रा वृतांतों में भी किया है। ठंड के मौसम में यहां देश-विदेश से जैन धर्मावलंबियों का आना शुरु हो जाता है। जंगल व पहाड़ों के बीच अवस्थित भगवान महावीर का मंदिर यहां आने वाले लोगों को खूब आकर्षित करता है।