बिहार की खेल मंत्री श्रेयसी सिंह ने गृह मंत्री अमित शाह को खिलाया पेड़ा, खासियत जानने के लिए आप आएं जमुई
बिहार की खेल मंत्री श्रेयसी सिंह ने गृह मंत्री अमित शाह से संसद भवन में मुलाकात की और उन्हें जमुई के प्रसिद्ध घनबेरिया गांव का पेड़ा खिलाकर बधाई दी। उ ...और पढ़ें

गृह मंत्री अमित शाह को प्रतीक चिह्न भेंट करतीं श्रेयसी सिंह
संवाद सहयोगी जमुई। जमुई बिहार सरकार की खेल मंत्री सह जमुई विधायक श्रेयसी सिंह ने दिल्ली स्थित संसद भवन में भारत के गृह मंत्री एवं भाजपा के वरिष्ठ नेता अमित शाह से शिष्टाचार मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने विगत बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए की प्रचंड जीत पर गृह मंत्री को बधाई दी। खास बात यह रही कि श्रेयसी सिंह ने जमुई की पहचान बन चुके प्रसिद्ध घनबेरिया गांव का पेड़ा खिलाकर अमित शाह का पारंपरिक अंदाज में मुंह मीठा कराने करा अभिनंदन किया।
प्रस्तावित विकास कार्यों की चर्चा की
बिहार और विशेषकर जमुई जिले में चल रहे प्रस्तावित विकास कार्यों को लेकर दोनों नेताओं के बीच विस्तार से चर्चा हुई। श्रेयसी सिंह ने जमुई के समग्र विकास, खेल आधारभूत संरचना, ग्रामीण अर्थव्यवस्था और स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देने से जुड़े विषयों पर गृह मंत्री का ध्यान आकृष्ट कराया। गौरतलब है कि विगत विधानसभा चुनाव के दौरान लक्ष्मीपुर में आयोजित चुनावी सभा में अमित शाह ने अपने संबोधन में जमुई के घनबेरिया गांव के पेड़े और खैरा बाजार की बालूशाही का विशेष रूप से उल्लेख किया था। उन्होंने कहा था कि पटना में उन्हें बताया गया कि जमुई का घनबेरिया का पेड़ा और खैरा की बालूशाही बेहद प्रसिद्ध है।
काफी प्रसिद्ध है घनबेरिया गांव का पेड़ा
एनडीए प्रत्याशियों को जिताने की अपील करते हुए यह भी कहा था कि चुनाव के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का घनबेरिया का पेड़ा और खैरा की बालूशाही खिलाकर मुंह मीठा कराया जाएगा। घनबेरिया गांव का पेड़ा आज केवल जमुई या आसपास के जिलों तक सीमित नहीं है, बल्कि इसकी प्रसिद्धि देश-विदेश तक फैल चुकी है। डेयरी उद्योग के लिए मशहूर यह गांव पेड़ा उत्पादन में निरंतर आगे बढ़ रहा है। यहां के अधिकांश परिवारों के लिए पेड़ा निर्माण और डेयरी उत्पादों का व्यवसाय आजीविका का प्रमुख साधन बन चुका है। श्रेयसी सिंह द्वारा संसद भवन में घनबेरिया का पेड़ा भेंट किया जाना न केवल जमुई की सांस्कृतिक और आर्थिक पहचान को राष्ट्रीय मंच पर प्रस्तुत करने का प्रयास माना जा रहा है, बल्कि इससे स्थानीय कुटीर व डेयरी उद्योग को भी नई पहचान मिलने की उम्मीद जताई जा रही है।

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