Bihar Election 2025: जमुई में दांव पर 4 राजनीतिक घरानों की प्रतिष्ठा, इन सीटों पर टाइट फाइट!
जमुई जिले के सिकंदरा और चकाई विधानसभा क्षेत्रों में मुकाबला दिलचस्प होने वाला है। जमुई और झाझा में एनडीए और महागठबंधन के बीच कांटे की टक्कर है। झाझा में जन सुराज की ताकत परिणाम की दिशा तय करेगी। चकाई में जदयू के सुमित कुमार सिंह और राजद की सावित्री देवी के बीच सीधी लड़ाई है, लेकिन निर्दलीय उम्मीदवार भी मुकाबले को प्रभावित कर सकते हैं।

जमुई में दांव पर 4 राजनीतिक घरानों की प्रतिष्ठा
अरविंद कुमार सिंह, जमुई। नाम वापसी के आखिरी दिन गुरुवार तक किसी भी चुनाव क्षेत्र से किसी मजबूत चेहरे के चुनाव मैदान से पीछे हटने की सूचना नहीं है। लिहाजा, जिले के सिकंदरा और चकाई विधानसभा क्षेत्र का मुकाबला कई कोणों में रोचक होना तय हो गया है।
जमुई और झाझा विधानसभा क्षेत्र में एनडीए और महागठबंधन के बीच कांटे की टक्कर तय मानी जा रही है। वैसे दोनों जगह जन सुराज के पहलवान मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने की हर संभव कोशिश करेंगे, लेकिन इसमें कितनी कामयाबी मिल पाएगी, यह आने वाला समय बताएगा।
इस महासमर में झाझा और जमुई में तीन महत्वपूर्ण राजनीतिक घरानों के साथ ही चकाई में पूर्व मंत्री नरेंद्र सिंह की विरासत की भी प्रतिष्ठा दांव पर होगी।
जमुई में पूर्व केंद्रीय मंत्री दिग्विजय सिंह तथा पूर्व सांसद पुतुल कुमारी की पुत्री श्रेयसी सिंह, झाझा में पूर्व केंद्रीय मंत्री जयप्रकाश नारायण यादव और पूर्व मंत्री दामोदर रावत चुनाव मैदान में हैं। इस चुनाव चकाई में मंत्री सुमित कुमार सिंह तथा सिकंदरा में बिहार विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी की भी जनता के बीच पैठ की परीक्षा होनी है।
सिकंदरा में होगी चतुष्कोणीय लड़ाई:
सिकंदरा विधानसभा क्षेत्र में राजद उम्मीदवार पूर्व विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी को पहले कांग्रेस के विनोद चौधरी और जन सुराज के सुभाष पासवान से निपटना होगा। इन दोनों के तरफ मुस्लिम मतदाताओं का रुझान उदय नारायण चौधरी के लिए चिंता का विषय हो सकता है।
फिलहाल, नामांकन पर्चा दाखिल होने से लेकर वापसी तक प्रक्रिया पूर्ण होने के बाद जो राजनीतिक दृश्य बन रहा है, उसमें हम के विधायक प्रफुल्ल मांझी, राजद के उदय नारायण चौधरी, जन सुराज के सुभाष पासवान तथा कांग्रेस के विनोद चौधरी के बीच मुकाबला होने के आसार नजर आ रहे हैं।
सुभाष पासवान स्थानीय बनाम बाहरी के मुद्दे को हवा देने में लगे हैं। पिछली बार इसी मुद्दे पर उन्हें निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में 16 हजार से अधिक मत मिले थे। सिकंदरा से सभी प्रमुख दलों के प्रत्याशी स्थानीय नहीं है।
सिकंदरा जब-जब इस मुद्दे पर गरम हुआ है तो अप्रत्याशित परिणाम दे कर जमुई से लेकर पटना तक को चौंकाता रहा है। इसकी बानगी 1985 तथा 2005 का चुनाव है, तब जाति और धर्म की सभी दीवारें ध्वस्त हो गई थीं और स्थानीय को बड़ी जीत मिली थी। देखने वाली बात यह होगी कि आने वाले समय में सिकंदरा की राजनीति किस करवट बैठती है।
जमुई में जन सुराज और निर्दलीय लड़ाई को बनाएंगे रोचक
जमुई विधानसभा क्षेत्र का चुनाव कई कारणों से रोचक हो गया है। पिछले चुनाव के दो मजबूत योद्धाओं के मैदान में नहीं उतरने का फायदा राजग को मिलता दिख रहा है तो जन सुराज के वैश्य समाज के उम्मीदवार अनिल कुमार साह तथा निर्दलीय अमरेंद्र सिंह अत्री ने चिंता की लकीरें गहरी कर दी हैं।
इधर, राजद के टिकट से वंचित विजय प्रकाश की दल के प्रति निष्ठा और घात भी परिणाम को प्रभावित करने का महत्वपूर्ण कारक होगा, इससे इन्कार नहीं किया जा सकता है।
पिछले चुनाव में निर्दलीय पप्पू मंडल की पत्नी सुजाता सिंह तकरीबन 20 हजार तथा अजय प्रताप ने 16 हजार वोट हासिल कर एनडीए की बुनियाद पर जोरदार प्रहार किया था, लेकिन वोट की दीवार इतनी मजबूत थी कि बहुत ज्यादा नुकसान नहीं उठाना पड़ा।
शेष कसर राजद के वर्तमान प्रत्याशी शमशाद ने 18 हजार वोट लाकर पूरी कर दी और भाजपा प्रत्याशी श्रेयसी सिंह को आसान जीत मिली थी। इस बार मतदाताओं की नाराजगी भी श्रेयसी के लिए चिंता का विषय होगी।
जन सुराज की ताकत तय करेगी परिणाम की दिशा:
झाझा में जन सुराज की ताकत ही परिणाम की दिशा तय करेगी, इसके आसार अभी से दिखने लगे हैं। यहां पूर्व केंद्रीय मंत्री जयप्रकाश नारायण यादव तथा जदयू से पूर्व मंत्री दामोदर रावत के बीच सीधा मुकाबले की पृष्ठभूमि तैयार है। इसमें जन सुराज के एनडी मिश्रा जितना जोर लगाएंगे, एनडीए खेमा की चिंता उतनी ही बढ़ती जाएगी।
पिछले चुनाव में नजदीकी मुकाबले में जदयू के दामोदर रावत 1600 मतों से चुनाव जीते थे। तब राजद के राजेंद्र यादव से मुकाबला था। इस बार जयप्रकाश नारायण यादव सामने हैं। वैसे, पूर्व प्रत्याशी राजेंद्र यादव की जयप्रकाश नारायण यादव के प्रति नाराजगी जदयू खेमा के लिए सुकून का विषय है। लोक सभा में राज्य प्रत्याशी अर्चना रविदास की भूमिका भी झाझा चुनाव परिणाम महत्वपूर्ण कारक होगा, इससे इन्कार नहीं किया जा सकता है।
कहा जाता है कि उक्त चुनाव में मिली हार के जख्म को अर्चना रविदास अभी तक भूल नहीं पाई हैं। वैसे, झाझा में यादव बनाम गैर यादव की गोलबंदी भी परिणाम को प्रभावित करता रहा है। चुनाव में मतदाताओं का मिजाज पल-पल बदलते रहता है। ऐसे में अंततः ऊंट किस करवट बैठेगा, यह आने वाला वक्त ही बताएगा।
चकाई में होगा बहुकोणीय मुकाबला:
चकाई विधानसभा क्षेत्र में जदयू के सुमित कुमार सिंह की एक बार फिर सीधी लड़ाई राजद की सावित्री देवी से होगी, यह मतदाताओं का मिजाज है। लेकिन, इसके साथ एंटी इनकंबेंसी के साथ-साथ निर्दलीय संजय प्रसाद-चंदन सिंह फैक्टर की क्षतिपूर्ति आसान नहीं होगा।
इसके लिए मंत्री को खूब पसीना बहाना पड़ेगा। मंत्री को क्षेत्र में खुद के द्वारा किए गए विकास के साथ-साथ सरकार की कल्याणकारी योजना का भरोसा है तो राष्ट्रीय जनता दल की प्रत्याशी सावित्री देवी को महागठबंधन के आधार वोट बैंक की एकजुटता का सहारा है।
इस महासमर में पिछले चुनाव के जदयू प्रत्याशी संजय प्रसाद, निर्दलीय चंदन सिंह, एलिजाबेथ सोरेन तथा जन सुराज के राहुल कुमार की जोरआजमाइश भी परिणाम को प्रभावित करेगा, इसकी पूरी संभावना बन रही है। वैसे चकाई का अपना मिजाज रहा है और अंतिम समय में यहां बूथ मैनेजमेंट का खेल परिणाम प्रभावित करने में सबसे बड़ा कारण बनता है।

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