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    Jamui News: उपेक्षा की धूल में दबा बिहार का वृंदावन, फिर भी नववर्ष पर उमड़ेगी भीड़

    Updated: Tue, 16 Dec 2025 04:41 PM (IST)

    जमुई में बिहार का वृंदावन उपेक्षा की धूल में दबा होने के बावजूद, नववर्ष पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ने की संभावना है। यह स्थल अपनी धार्मिक महत्ता ...और पढ़ें

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    संवाद सूत्र, सोनो (जमुई)। नववर्ष के आगमन में भले अभी कुछ दिन शेष हों, लेकिन प्रखंड स्थित अमरावतीधाम पंचपहाड़ी की हसीन वादियां अभी से सैलानियों और पिकनिक प्रेमियों से गुलजार होने लगी हैं। रोजाना यहां आसपास के इलाकों से लोगों की टोलियां पहुंच रही हैं जो प्राकृतिक सौंदर्य के बीच कुछ पल सुकून के बिताते नजर आ रही हैं।

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    वर्षों से पंचपहाड़ी स्थानीय लोगों के लिए पसंदीदा पिकनिक स्थल रही है, लेकिन नववर्ष के अवसर पर यहां भीड़ कई गुना बढ़ जाती है। काली पहाड़ियों के बीच बसी पंचपहाड़ी प्रकृति और अध्यात्म का अनूठा संगम प्रस्तुत करती है। चारों ओर फैली हरियाली, ऊंची-नीची पहाड़ियां और शांत वातावरण लोगों को बरबस ही अपनी ओर आकर्षित करता है।

    यहां स्थित परमहंस ऋषि आश्रम और तपोस्थली के कारण यह स्थान धार्मिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। आज भी अनेक साधु-संत यहां गृहस्थ जीवन से दूर साधना में लीन देखे जा सकते हैं। सांसारिक उलझनों और भाग-दौड़ भरी जिंदगी से कुछ समय के लिए निजात पाने के लिए लोग इस स्थल का रुख करते हैं, जहां उन्हें मानसिक शांति का अनुभव होता है।

    अमरावतीधाम पंचपहाड़ी हिंदू श्रद्धालुओं की आस्था का प्रमुख केंद्र है। यहां माता दुर्गा, भगवान शिव, माता पार्वती और बजरंगबली के मंदिर स्थापित हैं। नवरात्र, महाशिवरात्रि और मकर संक्रांति जैसे पर्वों पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है। इन अवसरों पर यहां धार्मिक अनुष्ठानों के साथ मेला भी लगता है, जिससे क्षेत्र में रौनक बढ़ जाती है।

    श्रद्धालुओं के साथ-साथ पर्यटक भी इन दिनों बड़ी संख्या में यहां पहुंचते हैं। पंचपहाड़ी की पहचान केवल धार्मिक स्थलों तक सीमित नहीं है। यहां छोटी-छोटी काली पहाड़ियों का अद्भुत संगम है, जिनमें बेंगा पहाड़, नावा पहाड़, कुंज गली और ससरहुआ पहाड़ प्रमुख हैं। पहाड़ियों के बीच स्थित सफेद जल वाला कुआं और स्थिर पानी से भरा तालाब इसकी प्राकृतिक छटा को और मनोहारी बनाता है।

    स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, इस कुएं का जल औषधीय गुणों से युक्त है और पाचन संबंधी रोगों में लाभकारी माना जाता है। इतिहास और लोक आस्था के अनुसार पंचपहाड़ी नागा साधु रामकृष्ण परमहंस त्यागी की तपोस्थली रही है। वर्तमान में उनकी निष्ठ शिष्या माता सीता यहां की महंत हैं, जिनके संरक्षण में आश्रम का संचालन होता है। उनके नेतृत्व में समय-समय पर यज्ञ, पूजा और अन्य धार्मिक आयोजन किए जाते हैं, जिससे पंचपहाड़ी की आध्यात्मिक पहचान और मजबूत होती है।

    भौगोलिक दृष्टि से भी पंचपहाड़ी का स्थान बेहद महत्वपूर्ण है। यह एनएच-333 पटना-देवघर मुख्य मार्ग पर स्थित है और प्रखंड मुख्यालय से मात्र चार किलोमीटर की दूरी पर है। सड़क के किनारे स्थित होने के कारण यहां से गुजरने वाले यात्री भी कुछ देर ठहरकर प्राकृतिक दृश्य का आनंद लेते हैं। बावजूद इसके, यह रमणीय स्थल अब तक राज्य के पर्यटन रोड मैप में स्थान नहीं पा सका है।

    पर्यटन बनने की पूरी संभावना, कमी सिर्फ सरकारी इच्छाशक्ति की

    पिछले एक दशक से पंचपहाड़ी को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की मांग उठती रही है। वर्ष 2014 में तत्कालीन जिलाधिकारी ने इसे पर्यटन रोड मैप में शामिल करने की बात कही थी, लेकिन इसके बाद कोई ठोस पहल नहीं हो सकी। विशेषज्ञों का मानना है कि पंचपहाड़ी ऐतिहासिक, प्राकृतिक और सांस्कृतिक सभी मानकों पर खरी उतरती है।

    यहां आवासन, यातायात, सुरक्षा और अन्य मूलभूत सुविधाओं का विस्तार कर इसे एक बेहतर पर्यटन केंद्र बनाया जा सकता है। नववर्ष के मौके पर जब पंचपहाड़ी एक बार फिर सैलानियों से गुलजार होने को तैयार है, तब स्थानीय लोग उम्मीद लगाए बैठे हैं कि इस बार प्रशासन और जनप्रतिनिधि इसकी ओर गंभीरता से ध्यान देंगे। यदि पंचपहाड़ी को पर्यटन रोड मैप में शामिल किया जाए तो यह न केवल सोनो और जमुई, बल्कि पूरे क्षेत्र के लिए रोजगार और विकास के नए अवसर भी पैदा कर सकती है।