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    नल जल योजना से ग्रामीणों की बुझ रही प्यास, खेत रह रहे प्यासे

    जमुई। गिद्धौर-झाझा के बार्डर पर स्थित धमना पंचायत की पहचान जागरूक एवं कृषि प्रधान पंचायत के रूप में है।

    By JagranEdited By: Updated: Thu, 25 Mar 2021 06:51 PM (IST)
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    नल जल योजना से ग्रामीणों की बुझ रही प्यास, खेत रह रहे प्यासे

    जमुई। गिद्धौर-झाझा के बार्डर पर स्थित धमना पंचायत की पहचान जागरूक एवं कृषि प्रधान पंचायत के रूप में है। पंचायत के अधिकांश लोग रोजगार की तलाश के लिए दूसरे प्रदेश जाते है। नागी जलाशय का केनाल गांव जरूर पहुंचा है परंतु किसान को इससे कोई लाभ नहीं पहुंच रहा। हर घर नल जल एवं गली नाली योजना में धमना पंचायत अपनी अव्वल रही है। मुखिया के कार्य से हर वर्ग के लोग प्रभावित दिखे। पंचायत की स्वास्थ्य व्यवस्था जहां चरमराई हुई है वहीं, पशु अस्पताल नहीं है। ग्रामीणों को योजना से शुद्ध पेयजल उपलब्ध हो रहा है। पंचायत के गांव-गांव में बीड़ी बनाना एक कुटीर उद्योग बन गया है। मजदूरों के रोजगार के लिए सरकार द्वारा संचालित मनरेगा कार्यक्रम इन दिनों दम तोड़ती नजर आ रही है। मजदूरों को मजदूरी नहीं मिल रही। पंचायत के गांव में पेयजल, शौचालय, तालाब का जीर्णोद्धार, सड़क का जाल बिछाये जाने जैसे कई कार्य हुए हैं। ग्रामीणों के जीविका का मुख्य साधन कृषि, व्यवसाय है। इस पंचायत में धमना बाजार है जहां हर प्रकार के समान मिलते है। बैक से लेकर पेट्रोल पंप तक यहां स्थित है।

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    पंचायत का परिचय

    महाराजा कुमार हरिशंकर प्रसाद के कार्यकाल से ही अपनी अहम भूमिका निभा रहा है। आजादी तक महाराजा द्वारा तहसीलदारी प्रथा चली। आज भी जमीन का खतियानी में कुमार हरिशंकर प्रसाद का नाम दर्ज है। पंचायत के विकास को गति मिली तो प्रखंड के दर्जनों गांव का बाजार धमना बन गया है। पंचायत का जिक्र छोड़ दे तो धमना शहर का रूप ले रहा है। जब पंचायती राज व्यवस्था लागू हुआ तो इस पंचायत के अंतर्गत खैरन, तेलयाडीह, नौवाकुरा सहित कई गांव थे। इसके बाद पुन: परिसिमन होने के बाद कई राजस्व गांव इस पंचायत से कट गया फिर भी पंचायत का विकास लगातार होते रहा। आज यह पंचायत हर क्षेत्र में अपनी अहम भूमिका निभा रहा है। दर्जनों ग्रामीण रेलवे के उत्थान में अपना योगदान दिया। गांव के नवनीकरण में धान फसल का योगदान अहम बताया जाता है। राजा आहार आज भी पंचायत की आत्मा बनी है। छोटे मोटे कई उद्योग इस पंचायत में हैं जो क्षेत्र के लोगों के लिए रोजगार मुहैया करा रहा है। इस पंचायत में पूर्व मंत्री सह विधायक दामोदर रावत का सुसराल भी है। यहां का मां काली मंदिर एवं शिव मंदिर काफी प्रसिद्ध है। पंचायत के बगल से रेलवे लाइन गुजरी है। हर घर में महिला एवं पुरुष बीड़ी बनाने का कार्य करते है।

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    काली मंदिर है आस्था का केंद्र

    पंचायत में धमना काली मंदिर के वार्षिक पूजा के दौरान बिहार, झारखंड़, यूपी, दिल्ली, बंगाल के श्रद्धालू पूजा अर्चना करने पहुंचते है। जो भी भक्त श्रद्धा से मन्नत मांगी है पूर्ण हुआ है। सप्ताह के मंगलवार एवं शनिवार को मंदिर में भक्तों की भीड़ देखी जाती है। इसके अलावा धमना एवं गोविन्दपुर शिव मंदिर की भी महिमा अपरमपार है।

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    प्रमुख शख्सियत

    क्षेत्रीय विधायक दामोदर रावत के ससुर गणेश रावत जमुई कोर्ट में पीपी के पद पर कार्यरत हैं। इसके अलावा महाराजा कुमार हरिशंकर प्रसाद के वंशज धमना से जुड़े हुए है। डॉ. रंजीत कुमार और कई अन्य विभिन्न सेवा में हैं।

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    पंचायत एक नजर में

    पूर्व-छापा पंचायत

    पश्चिम-सेवा पंचायत-गिद्धौर

    उत्तर-पूर्वी गुगलडीह पंचायत- गिद्धौर

    दक्षिण-नबादा -गिद्धौर

    जनसंख्या-24 हजार

    मतदाता-8 हजार

    साक्षरता दर-55 प्रतिशत

    क्षेत्रफल-5 किलोमीटर

    प्राथमिक विद्यालय-3

    उत्क्रमित मध्य विद्यालय-2

    उच्च विद्यालय-1

    आंगनबाड़ी केन्द्र-10

    वार्ड-14

    मुख्य रोजगार-कृषि एवं बीड़ी उद्योग

    मुख्य समस्या-बेरोजगारी, स्वास्थ्य, सिंचाई

    स्वास्थ्य उपकेन्द्र-1

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    उपस्वास्थ्य केंद्र की स्थिति दयनीय

    उपस्वास्थ्य केंद्र रहने के बावजूद चिकित्सक की उपस्थिति काफी कम रहती है। हालांकि स्वास्थ्य विभाग द्वारा चलाये जा रहे योजना का लाभ ग्रामीणों को मिल रहा है। टीकाकरण जैसे कार्य एएनएम द्वारा किया जा रहा है। हालांकि इलाज के लिए ग्रामीणों को झाझा, गिद्धौर या जमुई जाना पड़ता।

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    नहीं है पशु अस्पताल

    कृषि प्रधान पंचायत रहने के कारण मवेशी की संख्या भी ज्यादा है। परंतु पंचायत में एक भी पशु अस्पताल का निर्माण नहीं हो पाया है। किसान मवेशी का इलाज निजी चिकित्सक से कराते हैं। पंचायत से आठ किलोमीटर दूर प्रखंड मुख्यालय में पशु चिकित्सा अस्पताल है।

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    नहीं हुआ पंचायत सरकार भवन का निर्माण

    पंचायत सरकार भवन के लिए जमीन उपलब्ध रहने के बावजूद इसके निर्माण की स्वीकृति प्रदान नहीं की गई। मुखिया व रविन्द्र कुमार शर्मा ने बताया कि पंचायत सरकार भवन के लिए जमीन उपलब्ध कराया गया। जमीन की मापी की गई। बावजूद भवन बनाने की स्वीकृति नहीं दी गई है।

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    हर घर नल जल योजना में अव्वल

    सरकार की योजना को धरातल पर उतारने के लिए मुखिया लगातार प्रयत्नशील रहे। अपने पांच साल के कार्यकाल में मुख्यमंत्री का ड्रीम प्रोजेक्ट को अमली जामा पहनाया गया। प्रत्येक वार्ड में जल नल योजना संचालित है। कई बार पंचायत की जांच हो चुकी है।

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    बोले युवा

    पंचायत के युवाओं के समक्ष सबसे बड़ी समस्या बेरोजगारी है। रोजगार के तलाश में हमलोगों को दूसरे प्रदेश जाना पड़ता है। अगर यहां पर कल कारखाना खुल जाय तो क्षेत्र के लोगों को काफी फायदा होगा। युवाओं को दूसरे जगह जाना नहीं पड़ेगा।

    चंदन कुमार

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    उच्च शिक्षा के लिए हाईस्कूल में शिक्षकों की तैनाती करते हुए नियमित क्लास प्रारंभ कर दिया जाय तो क्षेत्र के छात्र-छात्राओं को काफी फायदा होगा। यहां पर छात्राओं की संख्या काफी है। जिन्हें चार से पांच किलोमीटर का सफर तय करना पड़ रहा है। इसके अलावा स्वयं सहायता समूह का गठन कर युवाओं को रोजगार से जोड़ा जा सकता है।

    रामानंद यादव

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    ग्रामीणों की राय

    पांच साल के कार्यकाल में पंचायत में विकास कार्य को गति मिला है। हर वर्ग के लोगों को योजना से जोड़ा गया। प्रत्येक सड़क का पक्कीकरण हुआ। पेयजल की व्यवस्था हुई। गरीबों को आवास योजना से जोड़ा गया।

    प्रभू यादव

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    पंचायत के सिचाई व्यवस्था के लिए नागी केनाल की मरम्मत की आवश्यकता है। हालांकि मुखिया ने किसान के लिए आहार, तालाब का निर्माण कराया जिसको लाभ क्षेत्र के किसान उठा रहे है। सरकार की योजना धरातल पर दिख रही है।

    तनिक यादव

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    पंचायत में स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा सी गई है। कोई व्यक्ति बीमार पड़ता है तो उन्हें जमुई या फिर झाझा ले जाया जाता है। पांच साल में गांव की सड़क एवं पुल पुलिया का निर्माण हुआ।

    सुरेश यादव

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    ग्रामसभा के माध्यम से पंचायत के विकास कार्य की नींव रखी गई। हर वर्ग के सुख दुख में मुखिया अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हैं। ग्रामीणों की समस्याओं को प्राथमिकता से अधिकारी तक पहुंचाए। जो एक सराहनीय कदम है।

    नुनेश्वर शर्मा

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    मुखिया का दावा

    मुखिया रविन्द्र कुमार शर्मा ने कहा कि जागरूक पंचायत रहने के कारण विकास कार्य को आगे बढ़ाने में कोई परेशानी नहीं हुई। ग्रामीणों के सहयोग से हर घर नल जल योजना का जाल बिछाया गया। जो भी कच्ची सड़क थी उसका पक्की कारण किया गया है। बची सड़क को योजना में शामिल किया गया है। मजदूरों को रोजगार दिलाने के लिए मनरेगा कार्यक्रम से जोड़ने का कार्य किया। गरीब लोगों को आवास योजना उपलब्ध कराया गया है। तालाब, आहर के अलावा सिचाई व्यवस्था दुरुस्त करने के लिए नाले का निर्माण हुआ है। जो किसानों के लिए कारगर साबित हो रहा। ग्रामीणों की समस्या को प्रमुखता से सुना गया। साथ ही उसका निदान किया गया। आवास योजना एवं पेंशन योजना से सैकड़ों परिवार को जोड़ने का कार्य किया। पंचायत में सड़क का जाल बिछाया गया। 400 वृद्ध को पेंशन का लाभ तो 500 लोगों को आवास योजना का लाभ दिया गया है। पंचायत में भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाया गया।