चपरासी का बेटा बना कोर्ट बाबू
जमुई । कौन कहता है कि आसमां में सुराग नहीं हो सकता। एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारों।
जमुई । कौन कहता है कि आसमां में सुराग नहीं हो सकता। एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारों। जमुई के जिला जज की अदालत में कार्यरत चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी ¨बदेर्श्वरी रविदास के पुत्र पंकज दास ने इस कहावत को सही कर दिखाया। जमुई के लक्ष्मीपुर प्रखंड अंर्तगत गौरा चिनवेरिया गांव के बिन्देर्श्वरी दास अपने पुत्र की इस सफलता पर फूले नहीं समा रहे हैं। कठिनाई के बावजूद बिन्देर्श्वरी दास ने अपने पुत्रों को पढ़ाने-लिखाने में कोई समझौता कभी नहीं किया। सबसे बड़े पुत्र पंकज ने जमुई के हाईस्कूल से मैट्रिक तक की पढ़ाई पूरी करने के बाद जमुई में ही केकेएम कॉलेज से पढ़ाई की। पंकज बताते हैं कि वे भागलपुर के टीएनबी लॉ कालेज से एलएलबी की पढ़ाई पूरी करने के बाद जुडिशियरी में प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी के लिए इलाहाबाद चले गए। सिविल जज 2012 और बीपीएससी द्वारा आयोजित एपीओ की प्रतियोगिता में अंतिम दौर में इंटरव्यू के दौरान छंट जाने के बावजूद पंकज ने उम्मीद नहीं छोड़ी। पिता ने हौसला बढ़ाए रखा और अंतत: 75 सीटों के लिए बीपीएससी द्वारा आयोजित हुई 42वीं सहायक अभियोजन पदाधिकारी की परीक्षा में वे सफल हुए। पंकज की सफलता पर जिला जज वायुनंदन लाल श्रीवास्तव, जिला जज के पेशकार राजेश रंजन ¨सह, सुनील सिन्हा, विजय कुमार सिन्हा, स्टेनो निसार अहमद एवं अन्य पदाधिकारियों ने बधाई दी। बिन्देर्श्वरी दास और मीना देवी के पुत्र एपीओ बने पंकज के अलावा भी एक पुत्र अधिवक्ता, एक सीआरपीएफ 11वीं बटालियन का जवान और सबसे छोटा सिविल परीक्षा की तैयारी में लगा है।
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