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    Chakai Assembly Seat 2025: गठबंधन के भरोसे 'चक्रव्यूह' को भेद पाएंगे 'अभिमन्यू'? सियासी माहौल गर्म

    Updated: Tue, 21 Oct 2025 02:52 PM (IST)

    जमुई के चकाई विधानसभा क्षेत्र में नामांकन शुरू होने के साथ ही महाभारत की चर्चा है। जदयू प्रत्याशी सुमित खुद को अभिमन्यु मान रहे हैं। पिछली बार वे निर्दलीय जीते थे, लेकिन इस बार उन्हें गठबंधन का समर्थन है। राजद प्रत्याशी सावित्री देवी के अनुसार, यहां दो परिवारों का ही वर्चस्व रहा है, पर सुमित इस चक्रव्यूह को भेदने के लिए तैयार हैं।

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    गठबंधन के भरोसे 'चक्रव्यूह' को भेद पाएंगे 'अभिमन्यू'? सियासी माहौल गर्म

    संवाद सहयोगी, जमुई। नामांकन शुरू हुआ तो 'महाभारत' की चर्चा शुरू हो गई। एनडीए गठबंधन को पांच पांडव की संज्ञा दी जाने लगी। महाभारत की चर्चा में अभिमन्यू का किरदार सबसे चर्चित है। चकाई विधानसभा में भी जदयू प्रत्याशी सुमित भी अपने आपको उसी किरदार में देख रहे हैं।

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    दरअसल, वे 2020 विधानसभा चुनाव में बतौर निर्दलीय उम्मीदवार लगभग 500 मतों के काफी कम अंतर से चुनाव जीतकर सरकार में मंत्री बने। पांच साल के उपरांत एंटी इंकम्बेंसी उनपर हावी हो रही थी। जदयू कोटे से चुनाव चिह्न आवंटित होने से सुमित और उनके समर्थक काफी उत्साहित हैं।

    यह उनकी बॉडी लैंग्वेज से भी स्पष्ट होता है। चकाई विधानसभा में राजनीति स्व. फाल्गुनी प्रसाद यादव एवं स्व. नरेन्द्र सिंह परिवार के इर्द-गिर्द घुमती रही है। बकौल राजद प्रत्याशी सावित्री देवी चकाई की राजनीति में यही दो परिवार राज करेंगे। तीसरे की एंट्री की कोई गुंजाइश नहीं है, परंतु तीसरे की एंट्री की गुंजाइश 2020 विधानसभा चुनाव में बतौर जदयू प्रत्याशी संजय प्रसाद के रूप में हुई।

    हालांकि, वे भी मामूली अंतर से चुनाव हार गए। हार के बावजूद अपनी उपस्थिति उस इलाके में बनाए रखे हैं। इस बार उनके हाथ से चुनाव चिह्न छिन गया। राजनीति में माहिर संजय प्रसाद ने सुमित की घेराबंदी के लिए चक्रव्यूह बनाना शुरू कर दिया है।

    इस चक्रव्यूह की रचना में राजद से सावित्री देवी, जन सुराज से राहुल सिंह व निर्दलीय प्रत्याशी चंदन सिंह ने अपनी-अपनी भागीदारी सुनिश्चित कर ली है।

    इस मुद्दे पर सुमित के चाणक्य व पुराने कार्यकर्ता भास्कर सिंह दो टूक जबाव देते हैं। कहते हैं उस युग का अभिमन्यू नहीं है। जो विरोधियों की घेराबंदी से डर जाएगा। वह पूरी रणनीति के साथ मैदान में आया है। निश्चित तौर पर पांच पांडव सरीखे एनडीए गंठबंधन के जातीय गोलबंदी और विकास का आईना दिखाकर इसबार विरोधियों के चक्रव्यूह को भेदने में कामयाब होगा।