Bihar Politics: झाझा में एनडीए और महागठबंधन के बीच कांटे की टक्कर, बदलते समीकरणों से सियासत गरमाई
बिहार के झाझा में एनडीए और महागठबंधन के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिल रही है। राजनीतिक समीकरण तेजी से बदल रहे हैं, जिससे क्षेत्र में सियासी माहौल गरमा गया है। दोनों गठबंधन अपनी जीत के लिए पुरजोर कोशिश कर रहे हैं।

झाझा में एनडीए और महागठबंधन के बीच कांटे की टक्कर, बदलते समीकरणों से सियासत गरमाई
सत्यम कुमार सिंह, झाझा (जमुई)। जैसे-जैसे मतदान की तिथि नजदीक आ रही है, झाझा विधानसभा क्षेत्र का परिदृश्य लगातार बदलता नजर आ रहा है। हर दिन नए समीकरण बन और बिगड़ रहे हैं। विकास के मुद्दों पर अब जातीय समीकरणों ने जैसे ब्रेक लगा दिया है। वर्तमान स्थिति में एनडीए और महागठबंधन के बीच सीधी और कांटे की टक्कर दिखाई दे रही है।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि मतदान की तिथि तक स्थिति किस ओर मुड़ती है, क्योंकि इसका बड़ा असर अन्य दलों या निर्दलीय प्रत्याशियों के प्रदर्शन पर भी निर्भर करेगा। इस बीच एआईएमआईएम प्रत्याशी मु. इरफान और बसपा प्रत्याशी शिवराज यादव ने अपने-अपने समुदायों में मजबूत पकड़ बना ली है।
वहीं, जन सुराज पार्टी के प्रत्याशी के प्रति कुछ ऐसे मतदाता आकर्षित दिख रहे हैं जो एनडीए और महागठबंधन दोनों से नाराज हैं। 20 साल से एनडीए प्रत्याशी दामोदर रावत लगातार झाझा विधानसभा का प्रतिनिधित्व करते आ रहे हैं। लंबे समय से एक ही चेहरा होने के कारण कुछ विरोध के स्वर उठे थे, लेकिन यह नाराजगी अब धीरे-धीरे खत्म होती दिख रही है।
अल्पसंख्यक समुदाय का एक बड़ा वर्ग अभी भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ खड़ा नजर आ रहा है। हालांकि, इसमें विभाजन की संभावना भी जताई जा रही है। दूसरी ओर, कई युवा वर्ग तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनाने के लिए सक्रिय हैं। उनके इस उत्साह को देखकर अन्य वर्ग के मतदाता अब एनडीए के पक्ष में गोलबंद होते दिख रहे हैं।
बलियो गांव के पास उलाई नदी पर पुल नहीं बनने को लेकर भी मतदाताओं में नाराजगी है। महागठबंधन के प्रति एक वर्ग पूरी तरह समर्पित है, जबकि अन्य वर्गों का समर्थन सीमित रूप में दिख रहा है। जन सुराज पार्टी के प्रति प्रारंभिक झुकाव में अब कमी नजर आ रही है।
वहीं, एआईएमआईएम प्रत्याशी को लेकर एक समुदाय विशेष में उत्साह स्पष्ट है। झाझा नगर परिषद, सिमुलतला, गिद्धौर, लक्ष्मीपुर और जिनहरा बाजार जैसे क्षेत्रों के मतदाता अब भी ‘साइलेंट वोटर’ की भूमिका में हैं।
गांवों में मुख्यमंत्री द्वारा दी गई योजनाओं जैसे 125 यूनिट मुफ्त बिजली, महिलाओं को दस हजार की आर्थिक सहायता, रोजगार और नौकरियों की उपलब्धता की चर्चा अब भी है पर जातीय समीकरण इन विकास मुद्दों पर हावी दिखते हैं। दूसरी ओर, तेजस्वी यादव के हर परिवार को नौकरी, 200 यूनिट मुफ्त बिजली और माई-बहन योजना जैसे वादों को लेकर मतदाताओं की राय बंटी हुई है। कुछ इसे हवा-हवाई मानते हैं तो कुछ इसे सही दिशा की पहल।
मतदाताओं की संख्या
झाझा विधानसभा क्षेत्र में कुल 3,38,667 मतदाता 11 नवंबर को अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। इनमें 1,77,077 पुरुष, 1,61,580 महिलाएं और 10 थर्ड जेंडर मतदाता शामिल हैं। इसके लिए कुल 413 मतदान केंद्र बनाए गए हैं।
विधानसभा क्षेत्र के आंकड़े
झाझा विधानसभा के जातीय आंकड़ों पर गौर करें तो महागठबंधन के पक्ष में बढ़त दिखती है। हालांकि, पिछले चुनावों में महागठबंधन के पक्ष में दो समुदायों के गोलबंद होने पर शेष वर्ग एनडीए के समर्थन में एकजुट होता रहा है। यही वजह है कि एनडीए लगातार जीत दर्ज करता आया है। इस बार महागठबंधन प्रत्याशी के चेहरे में बदलाव से समीकरणों में हल्का बदलाव जरूर आया है।
जातीय आंकड़ों के इस खेल में अब अन्य वर्गों का झुकाव चुनाव को और रोचक बना रहा है। बुद्धिजीवियों का मानना है कि मतदान की तिथि तक मतदाताओं का मिजाज काफी हद तक बदल सकता है। इस दौरान अमन-चैन और सुरक्षा व्यवस्था भी बड़ा चुनावी मुद्दा बन चुका है। एक गठबंधन के प्रचारक कार्यकर्ताओं से तो मतदाताओं ने जीतने के बाद सुरक्षा की गारंटी तक मांग ली।
अनुमानित जातीय आंकड़े इस प्रकार हैं-
| वर्ग | मतदाता संख्या |
|---|---|
| यादव वर्ग | 1,10,000 |
| मुस्लिम | 30,000 |
| कुर्मी व मंडल | 36,000 |
| पासवान | 12,000 |
| रविदास | 40,000 |
| वैश्य | 40,000 |
| चंद्रवंशी | 20,000 |
| आदिवासी | 15,000 |
| अन्य वर्ग | शेष मतदाता |

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