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    Bihar Panchayat Election: जमुई में पंचायत चुनाव की सरगर्मी तेज, संभावित प्रत्याशियों ने शुरू किया जनसंपर्क

    Updated: Fri, 28 Nov 2025 05:39 AM (IST)

    जमुई में पंचायत चुनाव की सरगर्मी बढ़ गई है। कहीं चौपालों पर पंचायत की सत्ता का समीकरण बिठाया जा रहा है तो कहीं चाय की दुकानों पर संभावित उम्मीदवारों की जीत-हार का गणित लगाया जा रहा है। भावी प्रत्याशी अपने-अपने क्षेत्र में दिन-रात सक्रिय हो गए हैं।

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    बिहार पंचायत चुनाव

    संवाद सूत्र, लक्ष्मीपुर (जमुई)। प्रखंड में पंचायत चुनाव की हलचल अब तेजी से बढ़ने लगी है। बताया जा रहा है कि अप्रैल 2026 में पंचायत चुनाव की प्रक्रिया शुरू होने की प्रबल संभावना है।

    हालांकि, आधिकारिक घोषणा अभी नहीं हुई है, लेकिन राजनीतिक गलियारों से लेकर गांव की चौपालों तक चुनावी चर्चा जोर पकड़ चुकी है। ग्रामीण क्षेत्रों में संभावित प्रत्याशियों ने जनसंपर्क अभियान तेज कर दिया है।

    कहीं चौपालों पर पंचायत की सत्ता का समीकरण बिठाया जा रहा है तो कहीं चाय की दुकानों पर संभावित उम्मीदवारों की जीत-हार का गणित लगाया जा रहा है। भावी प्रत्याशी अपने-अपने क्षेत्र में दिन-रात सक्रिय हो गए हैं।

    कई स्थानों पर उम्मीदवार सामाजिक कार्यक्रमों में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं। कोई किसान चौपाल आयोजित कर रहा है तो कोई युवाओं की बैठक बुलाकर विकास के सपने दिखा रहा है। महिला प्रत्याशी भी सक्रिय हुई हैं। स्वयं सहायता समूह, आंगनबाड़ी केंद्रों तथा स्वयंसेवी संगठनों की बैठकों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ गई है।

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    गांवों में जनप्रतिनिधियों के पिछले कार्यकाल का लेखा-जोखा भी लोगों की चर्चा का विषय बना हुआ है। मतदाता यह समीक्षा कर रहे हैं कि किसका काम संतोषजनक रहा और किसे इस बार मौका नहीं मिलना चाहिए।

    ग्रामीण मतदाता इस बार विकास, सड़क, पानी, शिक्षा, स्वास्थ्य और आवागमन जैसी मूलभूत सुविधाओं को आधार बनाकर समर्थन तय करने की बात कर रहे हैं। दूसरी ओर, इंटरनेट मीडिया भी ग्रामीण राजनीति में अहम भूमिका निभाने लगी है।

    कई संभावित प्रत्याशी फेसबुक, वाट्सऐप समूह, डिजिटल पोस्टर तथा वीडियो संदेश के माध्यम से अपनी सक्रियता दिखाने और समर्थकों को जोड़ने में जुट गए हैं। इसके अलावा गांवों में बैठकों, चर्चा और प्रचार-प्रसार का दौर धीरे-धीरे शुरू हो चुका है।

    सुबह की चौपाल से लेकर रात की पंचायत तक चुनावी सुगबुगाहट साफ महसूस की जा सकती है। हालांकि चुनावी बिगुल आधिकारिक रूप से नहीं बजा है, लेकिन विधानसभा चुनाव समाप्त होते ही पंचायत चुनाव की सरगर्मी चरम पर पहुंच गई है।