Bihar Election 2025: महासमर में दावेदारी की दौड़ तेज, झाझा में बदल सकते हैं चुनावी समीकरण
बिहार में 2025 के विधानसभा चुनाव की तैयारी शुरू हो चुकी है, और झाझा विधानसभा क्षेत्र में चुनावी माहौल गरमा गया है। कई नए चेहरे दावेदारी पेश कर रहे हैं, जिससे चुनावी समीकरण बदलने की संभावना है। विभिन्न पार्टियां अपने उम्मीदवारों की तलाश में जुट गई हैं, और नेता मतदाताओं को लुभाने की कोशिश कर रहे हैं।

संवाद सूत्र, झाझा (जमुई)। विधानसभा चुनाव की तारीख की घोषणा होते ही चुनावी सरगर्मी तेज हो गई है। झाझा विधानसभा क्षेत्र में कई नेता और दल अपनी-अपनी भूमिका निभाने में जुट गए हैं। इस क्षेत्र में चिकित्सक से लेकर समाजसेवी तक संभावित प्रत्याशी बनकर मतदाताओं की नब्ज टटोल रहे हैं। कई नामी चेहरे मतदाताओं के सामने अपनी दावेदारी पेश कर चुके हैं, जिससे एनडीए और महागठबंधन दोनों खेमों में बेचैनी बढ़ गई है।
खासकर एनडीए के लिए यह स्थिति चुनौतीपूर्ण मानी जा रही है, क्योंकि महागठबंधन और जन सुराज के संभावित चेहरों में कई नेता पूर्व में एनडीए से जुड़े रहे हैं।
इसी बीच समाजवादी नेता स्व. शिवनंदन यादव के पौत्र राजीव उर्फ गुड्डू यादव ने भी दल से टिकट पर चुनाव लड़ने की घोषणा कर रखी है। झाझा की राजनीतिक पृष्ठभूमि पर नजर डालें तो यादव परिवार की पकड़ इस क्षेत्र में रही है और जब-जब उन्हें जिम्मेदारी मिली, जीत दर्ज होती रही है।
एनडीए और महागठबंधन के संभावित चेहरे दिल्ली और पटना का रुख किए हुए हैं। सबकी धड़कनें तेज हो गई हैं। टिकट के लिए संभावित प्रत्याशी टकटकी लगाए बैठे हैं।
वहीं, नेताओं के कार्यकर्ता प्रति घंटे फोन पर ‘टिकट कन्फर्म हुआ या नहीं’ की जानकारी लेते देखे जा रहे हैं। हालांकि, अब तक किसी भी दल से किसी भी संभावित प्रत्याशी का टिकट अंतिम रूप से तय नहीं हुआ है। नेताजी से लेकर कार्यकर्ताओं तक सभी की धड़कनें तेज हैं।
महागठबंधन और अन्य दलों के संभावित चेहरे
झाझा विधानसभा सीट महागठबंधन के अंतर्गत राजद के खाते में जाती रही है। इस बार भी इसके राजद के हिस्से में आने की संभावना है। संभावित प्रत्याशियों में पूर्व केंद्रीय मंत्री जयप्रकाश यादव की पुत्री, राजद नेता सह समाजसेवी राजीव उर्फ गुड्डू यादव, समाजसेवी डॉ. नीरज साह, और पूर्व प्रत्याशी राजेंद्र यादव का नाम प्रमुख रूप से सामने आ रहा है।
इन्हीं में से दो चेहरे ऐसे भी हैं जो टिकट न मिलने पर भी निर्दलीय चुनाव लड़ने का मन बना चुके हैं। वहीं, जन सुराज पार्टी की ओर से समाजसेवी डॉ. एनडी मिश्रा और जिला पार्षद धर्मदेव यादव के नाम चर्चा में हैं।
झामुमो से पूर्व प्रत्याशी आबिद कौसर संभावित उम्मीदवारों में से हैं, जबकि एनडीए की ओर से क्षेत्रीय विधायक दामोदर रावत, डीएसएम कॉलेज के प्राचार्य सह भाजपा प्रवक्ता डाॉ. अफजर शम्सी और विनोद यादव संभावित प्रत्याशियों की सूची में शामिल हैं।
एनडीए के लिए सिरदर्द बनेगा समीकरण
सबसे बड़ी चुनौती एनडीए के सामने है। कई ऐसे चेहरे हैं जो दल से टिकट न मिलने पर भी निर्दलीय मैदान में उतरने की तैयारी में हैं। राजद के संभावित प्रत्याशी डॉ. नीरज साह और जन सुराज के डॉ. एनडी मिश्रा पहले ही घोषणा कर चुके हैं कि वे टिकट मिले या न मिले, चुनाव जरूर लड़ेंगे। दोनों कभी भाजपा से जुड़े रहे हैं। ऐसे में वोटों का बिखराव होना तय माना जा रहा है।
हालांकि, महागठबंधन में भी इसी तरह की स्थिति है, लेकिन वरिष्ठ नेताओं की कोशिश है कि संभावित प्रत्याशियों को मनाकर एकजुट रखा जाए। यदि इसमें सफलता मिलती है तो राजद इस क्षेत्र में मजबूत स्थिति में दिखाई दे सकता है।
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