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    'भोला मांझी के पुत्र और पुत्रवधू मजदूर, लेकिन जीतन राम मांझी की समधन और बहू...'; सीपीआई ने उठाया सवाल

    Updated: Fri, 19 Dec 2025 02:17 PM (IST)

    जमुई में 1971 के सांसद भोला मांझी की 24वीं पुण्यतिथि पर लोगों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी। सीपीआई नेता नवल किशोर सिंह ने दलित नेताओं की वर्तमान स्थिति पर ...और पढ़ें

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    संवाद सहयोगी, जमुई। 1971 में जमुई लोकसभा के सांसद और 1957 में सिकंदरा-जमुई संयुक्त विधानसभा से विधायक रहे खैरमा निवासी भोला मांझी की 24वीं पुण्यतिथि पर बिना प्रचार-प्रसार सैकड़ों की संख्या में लोगों ने उपस्थित होकर दल, जाति और राजनीति से ऊपर उठकर उन्हें फूल-माला चढ़ाकर श्रद्धांजलि दी और नमन किया।

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    इस अवसर पर सीपीआई के वरिष्ठ नेता और पूर्व महासचिव नवल किशोर सिंह ने कहा कि राजनीति में कितना बड़ा अंतर आ गया है, इसका प्रमाण यह है कि सांसद और विधायक रहने के बावजूद आज भी भोला मांझी के बेटे पतोहू किउल नदी में ईंट पारकर मजदूरी कर रहे हैं। वहीं, जीतन राम मांझी के बेटे, पतोहू और समधन भी विधायक बन गए।

    उन्होंने आगे कहा कि वक्त की नजाकत को पहचानते हुए दलितों को अपने रहनुमा सच्चे नेता की पहचान करनी होगी।

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    नवल किशोर सिंह ने कहा कि आज जब दस-दस हजार के लिए लोगों ने वोट देकर सरकार को चुना और सरकार उसके ही घरोंदे को गरीबों के घरों को उजाड़ रही है, तब दलित के नेता चिराग पासवान और जीतन राम मांझी मुंह में दही जमाए बैठे हैं, जबकि भोला मांझी को उनके जीवितकाल में इसलिए पक्का का मकान नहीं मिला, क्योंकि उन्होंने यह शर्त रखी थी कि जब सभी मांझी परिवार को पक्का मकान मिल जाएगा तभी वह पक्का मकान बनवाएंगे।

    कार्यक्रम की शुरुआत में पत्नेश्वर पहाड़ स्थित किउल नदी के किनारे उनकी समाधि स्थल पर बड़ी संख्या में लोगों ने फूल-माला चढ़ाकर उन्हें श्रद्धांजलि दी। इसके बाद उनके सामाजिक स्थल पर ही एक सामूहिक भोज का आयोजन किया गया। दिन के दो बजे जमुई के भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के कार्यालय में लगी उनकी मूर्ति पर माल्यार्पण कार्यक्रम के उपरांत भी वक्ताओं ने अपने विचार रखें।

    कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ सीपीआइ नेता मुरारी तूरी एवं गजाधर रजक ने की, जबकि सीपीआइ के महासचिव सुनील सिंह ने इस पूरे आयोजन को सफल बनाने में महती भूमिका निभाई। कार्यक्रम में सूर्य मोहन राव, गंगा बरनवाल, नागेंद्र प्रसाद सिंह, अधिवक्ता रूपेश सिंह, मकेश्वर यादव इत्यादि ने अपने विचार रखे।