पटना से लेकर जमुई तक की हवा हुई 'जहरीली', चेक करें 5 सबसे प्रदूषित जिलों के नाम
बिहार में आतिशबाजी के धुएं के कारण वायु गुणवत्ता सूचकांक दूसरे स्थान पर पहुंच गया है। शून्य से 50 प्वाइंट के बीच का वायु गुणवत्ता सूचकांक सबसे अच्छा माना जाता है। जिला प्रशासन के माध्यम से लोगों को जागरूक करने का काम किया जा रहा है, ताकि इसे दुरुस्त रखा जा सके।

संवाद सहयोगी, जमुई। पूर्व की अपेक्षा अब दीपावली मनाने का स्वरूप बदल गया है, जिसका असर लोगों के साथ-साथ पर्यावरण पर साफ दिखने लगा है। पूर्व में लोग मिट्टी का दीया जलाकर और थोड़ी बहुत आतिशबाजी करके दीपावली मनाते थे, जिससे पर्यावरण और आम लोगों के स्वास्थ्य को काफी कम नुकसान पहुंचता था।
बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव ने बताया कि वायु गुणवत्ता सूचकांक में सबसे अधिक गिरावट आतिशबाजी के दौरान निकलने वाले धुएं से होती है। जमुई जिले का वायु गुणवत्ता सूचकांक विगत 19 अक्टूबर को 140 प्वाइंट्स था जो फिलहाल बढ़कर 167 पहुंच गया है। इसमें बढ़ोत्तरी का कारण यह भी है कि लोगों द्वारा दीपावली के दौरान जमकर आतिशबाजी की गई है।
उन्होंने बताया कि किशनगंज का अद्यतन वायु गुणवत्ता सूचकांक 187 है जो राज्य में प्रथम स्थान पर है। वहीं, जमुई जिले का वायु गुणवत्ता सूचकांक 167 पहुंच गया है, जो राज्य में दूसरे स्थान पर है। इसी प्रकार हाजीपुर की वायु गुणवत्ता 164, दरभंगा की 160 और पटना की 124 है।
यह बहुत बड़े खतरे का संकेत दे रहा है। लोगों को दीपावली जैसे त्यौहार के बहुत कम पटाखे जलाने चाहिए, अन्यथा यह मनुष्य स्वास्थ्य के लिए बहुत ही मनुष्यों के साथ-साथ जीव जंतुओं के लिए बहुत ही घातक साबित हो सकता है।
हृदय, फेफड़ा और गला में संक्रमण की संभावना
डॉ. अभिषेक कुमार ने बताया कि बायो गुणवत्ता सूचकांक खराब होने पर छोटे-छोटे बच्चों व वृद्धों के साथ-साथ हम लोगों को भी हृदय फेफड़ा और गला में संक्रमण हो सकता है। इससे निमोनिया और एलर्जी हो सकता है। इससे बुखार और सर्दी खांसी होने की संभावना है।
शून्य से 50 प्वाइंट के बीच का वायु गुणवत्ता सूचकांक सबसे अच्छा माना जाता है। इसे दुरुस्त रखने के लिए बोर्ड की ओर से लोगों को जिला प्रशासन के माध्यम से जागरूक करने का काम किया जा रहा है।
- एस चंद्रशेखर, सदस्य सचिव, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, बिहार
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।