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    कलम और किताब थाम बदलाव की कहानी लिख रहे बच्चे

    By JagranEdited By:
    Updated: Mon, 18 Apr 2022 04:59 PM (IST)

    संवाद सहयोगी जमुई कभी गोलियों की तड़तड़ाहट से गूंजने वाले सुदूर नक्सल इलाके में आज बदलाव का नजारा दिख रहा है। जो समाज अब तक अशिक्षा का दंश झेल रहा था वहां के बचे अब हाथ में कलम और किताब थाम अशिक्षित पीढ़ी को शिक्षित करने का सपना साकार कर रहे हैं।

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    कलम और किताब थाम बदलाव की कहानी लिख रहे बच्चे

    फोटो 18 जमुई 18

    - माता-पिता के साथ मजदूरी करने की बजाय पहुंच रहे विद्यालय

    - शिक्षा के माध्यम से सपने साकार करने की ललक

    संवाद सहयोगी, जमुई : कभी गोलियों की तड़तड़ाहट से गूंजने वाले सुदूर नक्सल इलाके में आज बदलाव का नजारा दिख रहा है। जो समाज अब तक अशिक्षा का दंश झेल रहा था, वहां के बच्चे अब हाथ में कलम और किताब थाम अशिक्षित पीढ़ी को शिक्षित करने का सपना साकार कर रहे हैं। माता-पिता के साथ मजदूरी के लिए नहीं जाने की बजाए प्रतिदिन विद्यालय पहुंचते हैं। शिक्षा के माध्यम से बच्चे नक्सल इलाके में बदलाव की कहानी लिख रहे हैं। नक्सल प्रभावित खैरा प्रखंड क्षेत्र के दीपाकरह गांव के उमवि में पढ़ने वाले बच्चे इस बदलाव के सपने को साकार कर रहे हैं। विद्यालय का समय होते ही बच्चे स्कूल पहुंच जाते हैं। दीपाकरहर के राजेश टुडू की पुत्री खुशबू टुडू शिक्षित बनकर ससुराल जाने की प्रतिज्ञा ले रखी है। सोमरा बास्के का पुत्र जोबा बास्के, भैरो राणा का पुत्र राहुल कुमार, झरी डुडू का पुत्र सूरज कुमार, भुणो राणा का पुत्र विक्की कुमार सहित अन्य के बच्चे प्रतिदिन विद्यालय पहुंचते हैं। ये बच्चे अशिक्षित पीढ़ी को शिक्षा के उजाले में रोशन करना चाहते हैं। बच्चों ने कहा कि वे पढ़कर अफसर बनेंगे। कोई शिक्षक बनने का सपना पाल रहा है।

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    बोले अभिभावक

    अभिभावकों ने कहा कि हमलोग तो नहीं पढ़ सके, लेकिन बच्चों को पढ़ाना चाहते हैं। इसलिए हर दिन विद्यालय भेजते हैं। सरकार ने सुविधाएं दी है, जिससे बच्चों को पढ़ने में मदद मिलती है। राजेन्द्र राणा ने कहा कि हमलोग भी यही सोचे हैं कि बच्चे शिक्षित बनेंगे तभी गरीबी दूर होगी।

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    कहते हैं विद्यालय प्रभारी

    प्रभारी प्राचार्य चंद्रिका रविदास ने बताया कि यहां पढ़ने आने वाले अधिकांश बच्चों के माता-पिता अशिक्षित हैं और मजदूरी कर परिवार का भरण-पोषण करते हैं। इनके बच्चों में अब शिक्षित होने का जुनून जगा है। बच्चे प्रतिदिन विद्यालय समय पर पहुंचते हैं।

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    कोट:-

    शिक्षा व्यवस्था को बेहतर करने का पूरा प्रयास किया जा रहा है। खासकर सुदूर नक्सल इलाके को फोकस कर काम किया जा रहा है। पंचायत स्तर पर विद्यालयों की जांच की जा रही है। अभिभावकों से बच्चों को प्रत्येक दिन विद्यालय भेजने के लिए अपील की जा रही है।

    कपिलदेव तिवारी, डीईओ, जमुई

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