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    कई राज्‍यों से कागज पर ही बालू लेकर दौड़ती ट्रेन पहुंची बिहार, SDPO बोले- दर्ज मामलों की कर रहे जांच

    Updated: Fri, 12 Dec 2025 06:13 PM (IST)

    जमुई में बालू के ढेर लगाने के लिए स्टाकिस्टों ने फर्जीवाड़ा किया। बिहार के पड़ोसी राज्यों गुजरात, बंगाल, झारखंड, यूपी और छत्तीसगढ़ से कागज पर बालू लाय ...और पढ़ें

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    जमुई के झाझा प्रखंड स्थित आरोपी लाइसेंसधारी का बालू भंडारण स्थल

    जागरण संवाददाता, जमुई। कागज पर बालू का ढेर लगाने में स्टाकिस्टों ने फर्जीवाड़ा की हद पार कर दी। आलम यह कि इसने चारा घोटाला में स्कूटर और कार पर सांढ़ ढोने की घटना को भी पीछे छोड़ दिया।

    लाल बालू के लिए प्रसिद्ध जमुई की धरती पर बिहार के पड़ोसी राज्य झारखंड और बंगाल से ही नहीं, बल्कि गुजरात, यूपी और छत्तीसगढ़ से भी कागज पर बालू लाई गई, या फिर यूंइ कहें कि बालू स्टाकिस्टों ने उक्त प्रदेशों से जमुई तक कागज का रेल दौड़ा दी और इस पर कागजी बालू भी पहुंचा दी।

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    गनीमत यह रही की बात पहले पकड़ में आ गई, अन्यथा राजस्व को बड़ा नुकसान पहुंचाने की तैयारी थी, इससे इनकार नहीं किया जा सकता है।

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    नदियों से बालू उठाव के लिए प्रतिबंधित था

    यह मामला गहन जांच का विषय है। चर्चा यह भी है कि बात पकड़ में भले अब आई है, लेकिन इस तरह का खेल काफी पहले से चल रहा था।

    प्रारंभिक जांच में जो बात निकल कर सामने आई है, उसमें यह है कि जमुई के सात स्टाक प्वाइंट पर गुजरात के भरूच, पश्चिम बंगाल के वीरभूम, वर्दमान और पुरुलिया, उत्तर प्रदेश के गोरखपुर, छत्तीसगढ़ के जहांगीर चांपा तथा झारखंड के गिरिडीह, जमशेदपुर और खूंटी की नदियों से ट्रांजिट परमिट पर स्टाक आइडी में कागजी बालू जमा किया गया।

    इसमें सर्वाधिक बालू का परिवहन बीरभूम की नदी से दिखाया गया है। फर्जीवाड़ा का यह खेल 15 जून से ही शुरू हो गया था जो 04 सितंबर तक जारी रहा। वैसे यह अवधि नदियों से बालू उठाव के लिए प्रतिबंधित होता है।

    ऐसे में संबंधित नदियों से बालू उठाव का चालान तथा ट्रांजिट परमिट कैसे जारी हुआ, यह भी जांच का विषय है। संभव है कि 15 जून से पहले जमुई की नदियों से भी इस तरह का फर्जी चालान और ट्रांजिट परमिट पर स्टाकिस्टों की आइडी में बालू का ढेर किया गया हो! कहा जाता है कि बड़ी मात्रा में कागजी बालू की बिक्री भी हुई है।

    जांच के बाद स्‍थि‍त‍ि स्‍पष्‍ट होगी

    खान साफ्ट पोर्टल की गहन जांच के बाद ही स्थिति स्पष्ट हो पाएगी। वैसे बड़ा सवाल यह भी है कि फर्जीवाड़ा में संलिप्त स्टाकिस्टों ने खनन विभाग की मेल आइडी तथा मोबाइल मैसेज से ओटीपी कैसे प्राप्त किया?

    जाहिर सी बात है कि जमुई या फिर पटना खनन विभाग के किसी कर्मी या अधिकारी के भी शामिल होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है। यहां यह बताना लाजिमी है कि स्टाकिस्ट की आइडी में बालू की मात्रा जोड़ने के लिए विभाग से ओटीपी की आवश्यकता पड़ती है।

    यह सभी मामले अलग-अलग थाने में सुसंगत धाराओं में दर्ज किए गए हैं। खनन विभाग से डेटा और तकनीकी सहयोग मांगा गया है। संभव है कि इसमें साइबर अपराध का भी मामला सामने आ सकता है। फिलहाल, अनुसंधान जारी है।

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     - सतीश सुमन, एसडीपीओ, जमुई