स्वच्छता में नहीं, यहां गंदगी में बसते हैं देवता
संवाद सहयोगी, जमुई : स्वच्छता देवत्व के करीब है। सफाई में भगवान बसते हैं जैसी बातें बच्चों की किताबे ...और पढ़ें

संवाद सहयोगी, जमुई : स्वच्छता देवत्व के करीब है। सफाई में भगवान बसते हैं जैसी बातें बच्चों की किताबें और महापुरुषों की वाणी में हमने खूब सुनी है पर सच यह है कि उसका अनुकरण हम नहीं कर पाते जिसका सीधा नमूना जमुई के कई मंदिरों में देखने को मिलता है। शहर के मध्य पुरानी बाजार में अवस्थित मां पत्थल काली मंदिर से हमने मंदिरों की साफ-सफाई का जायजा लेना प्रारंभ किया। गिद्धौर राज के समय से स्थापित इस मंदिर में जमुई आने वाला हर कोई यशवली होने के कारण माथा टेकने जाना चाहता है पर आपकी गाड़ी अगर इस रास्ते पर चली गई तो समझिए पांच-छह घंटे का इंतजाम हो जाएगा। सड़क के दोनों किनारे दुकानों से बाहर लगी चौंकी, ठेला और करोड़पतियों के बरामदे मार्ग को पूरी तरह अवरुद्ध किए हुए है। मंदिर के गेट पर पहुंचते ही बिना बरसात के कीचड़ से आपका सामना होगा। बिना बरसात का यह कीचड़ आसपास के घरों के अलावा चापानल से निकलने वाली पानी को बहने का नाला नहीं होने के कारण मंदिर के गेट पर जमा होता है। जहां काई और फिसलन से हर मंगल और शनिवार को श्रद्धालु महिलाओं का गिरना, कपड़े गंदा होना आम है। चापानल के आसपास फैली गंदगी ऐसी है कि हाथ धोने के लिए उस जगह जाने की जहमत कम ही लोग उठा पाएंगे।
इनसेट
स्वच्छता के लिए बालाजी और वैष्णो देवी की तरह बिना छूए हो पूजा
जमुई : मंदिर के अंदर प्रवेश करते ही अंधेरे में स्थापित मां काली की मूर्ति के दर्शन के लिए आपको अपनी आंख पर जोर डालना होगा। इस दौरान श्रद्धालुओं के हाथ में जल या अगरबत्ती आपकी आंख और कपड़े को जला सकती है। मंदिर के ऊपर जल डालने से मूर्तियां कट और टूट गई हैं। मंदिर परिसर को सुंदर बनाने के लिए अहाते के अंदर एक श्रद्धालु वाहन लगाकर फूल के पौधे भी लगवाए थे पर फूल तो छोड़िए धीरे-धीरे पूरा बाड़ और लोहे की कटीली तार भी लोग बेच गए। इस बावत मंदिर में पिछले 30-35 वर्षो से लगातार पूजा के लिए आ रहे कुछ श्रद्धालुओं ने बताया कि जब हम तिरुपति के बालाजी मंदिर और वैष्णो देवी में माता का दर्शन करने जाते हैं तो वहां मूर्तियों को स्पर्श कर उसे गंदा करने और क्षति पहुंचाने की इजाजत नहीं मिलती। काश ऐसा ही व्यवहार लोग स्थानीय मंदिरों में करते तो मंदिर और श्रद्धालु दोनों स्वच्छ एवं तन-मन और वातावरण में पूजा कर पाते। जमुई में जेल के पीछे और जयहिंद धर्मशाला के सामने मां काली की प्रतिमा दीपावली में स्थापित की जाती हैं। जहां कम संसाधन के बावजूद लोगों ने यहां साफ-सफाई का पूरा ख्याल रखा है और अभी से एक-एक तिनका चुनकर गंदगी का नामोनिशान मिटा दिया है।

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