Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Arwal News: हिट एंड रन मामले में 3 वर्षो में 120 लोगों की मौत, 59 आश्रितों को मिला मुआवजा; यहां जानें प्रक्रिया

    Updated: Wed, 04 Jun 2025 02:55 PM (IST)

    अरवल जिले में तीन सालों में सड़क दुर्घटनाओं में 120 लोगों की जान गई है। हिट एंड रन मामलों में 73 आश्रितों ने मुआवजे के लिए आवेदन किया जिनमें से 59 को राशि मिली। 14 परिजन अभी भी विभाग के चक्कर लगा रहे हैं। परिवहन विभाग के अनुसार कई मृतक के परिजन आवेदन नहीं करते जिससे वे मुआवजे से वंचित रह जाते हैं।

    Hero Image
    प्रस्तुति के लिए इस्तेमाल की गई तस्वीर

    जागरण संवाददाता, अरवल। अरवल जिले में तीन वर्षो के दौरान सड़क हादसों में 120 लोगों की मौत हिट एंड रन मामले में हुई है।

    मुआवजा राशि को लेकर अबतक 73 आश्रितों द्वारा परिवहन विभाग में आवेदन दिया गया है, जिसमें 69 आश्रितों का आवेदन मुआवजा राशि के लिए जीआईसी को भेजा गया था, 59 आश्रितों के खाते में दो -दो लाख की राशि भेज दी गई है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    14 मृतक के स्वजन मुआवजा राशि के लिए परिवहन विभाग का अभी चक्कर लगा रहे हैं। नन हिट रन मामले में मुआवजा राशि का भुगतान वाहन द्वारा किया जाता है। ऐसे में जब भी नन हिट का आवेदन आता है तो विभाग द्वारा ट्रिब्यूनल कोर्ट गयाजी की साइट पर अपलोड कर दिया जाता है।

    लाभुक अगर चाहें तो अपने घर से भी ट्रिब्यूनल कोर्ट गयाजी की साइड पर जाकर कागजी कोरम पूरा करते हुए अपलोड कर सकते हैं। कोर्ट द्वारा लाभुक की मांग के अनुसार मुआवजा राशि का निर्धारण किया जाता है।

    परिवहन पदाधिकारी देव ज्योति कुमार ने बताया कि हिट एंड रन के तहत दो लाख मुआवजा राशि का भुगतान किया जाता है।

    अगर सरकारी वाहन से किसी की मृत्यु हो जाती है तो नई गाइडलाइन के अनुसार सड़क सुरक्षा परिषद राज परिवहन आयुक्त द्वारा मृतक के स्वजन को पांच लाख मुआवजा राशि देने का प्रविधान है।

    परिवहन विभाग में आवेदन देने नहीं पहुंचते हैं मृतक के स्वजन

    जिला परिवहन पदाधिकारी ने बताया कि हिट एंड रन के अधिकांश मामले में मृतक के स्वजन आवेदन करने परिवहन कार्यालय तक नहीं पहुंचते हैं, जिस कारण उन्हें मुआवजा राशि से वंचित होना पड़ता है।

    थाने में हुई प्राथमिकी के आधार पर जब उनके स्वजन से संपर्क साधा जाता है तो मोबाइल नंबर घर का पता गलत रहता है, जिससे विभाग को भी परेशानी होती है।

    सड़क दुर्घटना में मृत्यु होने पर मुआवजा के लिए परिवहन कार्यालय में आवेदन देने के बाद परिवहन विभाग एक सप्ताह के अंदर सभी कागजी कार्रवाई पूरी कर जीआईसी को भेज देता है। उसके बाद डीबीटी के माध्यम से लाभार्थी के खाते में पैसे आ जाते हैं।