मोंथा तूफान की मार: किसानों की मेहनत पर फिरा पानी, धान-आलू-सब्जियों की फसलें बर्बाद
मोंथा तूफान ने बिहार के किसानों की कमर तोड़ दी है। धान, आलू और सब्जियों की फसलें पूरी तरह से नष्ट हो गई हैं, जिससे किसानों को भारी नुकसान हुआ है। उनकी साल भर की मेहनत बर्बाद हो गई है और वे आर्थिक संकट का सामना कर रहे हैं।

मोंथा तूफान से धान की फसल को 60 प्रतिशत तक नुकसान की संभावना। फोटो जागरण
जाटी, जहानाबाद /अरवल। जिले में 28 अक्टूबर से ही मोंथा चक्रवात तूफान का असर दिख रहा है। शुक्रवार को जिले में दिनभर वर्षा हुई। वर्षा में आलू, सरसों और हरी सब्जियों के खेत पानी से लबालब हो गए।
किसानों ने कहा कि इस प्रकार की वर्षा कभी 25 से 30 वर्षों में कभी हुई ही नहीं है। किसान रामदेव पंडित, विनय पाठक, रामफल सिंह ने कहा कि आलू, पालक, गाजर, मूली, सरसों, की फसल को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है।
75 प्रतिशत फसल नष्ट हो गई। चना, मटर और तिलहन फसल के बीज सड़ जाएंगे फिर से बुआई करनी होगी। 30 अक्टूबर को जिले में थोड़ी-बहुत वर्षा हुई। लेकिन 31 अक्टूबर को चक्रवाती तूफान मोंथा के असर पूरे जिले में दिखा।
सुबह से जारी वर्षा, शाम तक होती रही। लगातार वर्षा की वजह से जिले का अधिकतम तापमान घटकर 25 डिग्री न्यूनतम तापमान 22 डिग्री रहा। मोंथा के प्रभाव से हवा में नमी और भी बढ़ सकती है जिससे वातावरण भारी और आर्द्र होगा।
वर्षा की वजह से स्कूली बच्चों को हुई परेशानी
वर्षा की वजह से स्कूली बच्चों को काफी परेशानी उठानी पड़ी। बच्चे शाम चार बजे छुट्टी के समय भींगते हुए घर लौटे। मौसम खराब होने की वजह से कई बच्चे स्कूल गए भी नहीं थे।
वर्षा से शिक्षकों और नौकरी पेशा अन्य विभागों में कार्यरत लोगों को भी परेशानी हुई। अभिभावकों का कहना है कि इस तरह के मौसम में बच्चों के लिए छुट्टी कर देना चाहिए। सुबह और शाम को ठंड का एहसास होने लगेगा।
वर्षा से धान की फसल भी प्रभावित
वर्षा से किसानों को नुकसान ज्यादा होने का अनुमान लगाया जा रहा है। पककर तैयार हो चुकी फसल के खेत में गिरने से नुकसान की संभावना काफी बढ़ गई है वहीं जिनमें अभी बलियां निकली हैं पौधे गिर जाने की वजह से उसमें बीज नहीं भर पाएगा।
किसानों ने कहा कि अभी 60 प्रतिशत तक नुकसान पहुंचने का अनुमान है। मौसम साफ होने और धूप खिलने के बाद अपनी फसल क्षति का आकलन करने का मौका मिलेगा। खेत में पानी भरा हुआ है और रुक-रुककर वर्षा भी हो रही है। इस वजह से वे लोग खेत की तरफ रुख नहीं कर रहे हैं।

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