Bihar News: बिहार के इस जिले में भरेगी मनरेगा की जेब, नई तारीख और नया टारगेट आया सामने
जहानाबाद जिले में मनरेगा योजना अप्रैल अंत तक नए आवंटन की उम्मीद है। इससे योजना में गति आएगी और 33 लाख मानव दिवस सृजित करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। आवंटन के अभाव में पिछले पांच माह से योजना प्रभावित है जिससे मजदूरों और सामग्री आपूर्तिकर्ताओं को परेशानी हो रही है। जिले में लगभग 1.48 लाख मनरेगा मजदूर पंजीकृत हैं।

जागरण संवाददाता, जहानाबाद। मनरेगा योजना में इस माह अप्रैल के अंत तक जहानाबाद जिले की जेब भरने की उम्मीद है। आवंटन होने पर मनरेगा के कार्यों में गति पकड़ेगी। विभाग द्वारा वित्तीय वर्ष 2025-26 में मानव दिवस सृजित करने के लिए 33 लाख लक्ष्य भी निर्धारित कर दिया गया है।
ग्रामीण इलाकों में विकास योजनाओं के क्रियान्वयन के साथ लोगों को रोजगार से जोड़ने के लिए मनरेगा योजना प्रारंभ की गई थी। योजना से एक ओर जहां विकास योजनाओं को गति मिलती है, वहीं पलायन रोकने में भी यह कारगर है। किंतु पिछले पांच माह से आवंटन के अभाव में यह योजना दम तोड़ रही है।
उधारी में सामग्री देने वाले वेंडरों ने अपने हाथ खड़े किए
उधारी में सामग्री देने वाले वेंडरों ने अपने हाथ खड़े कर दिए हैं। वहीं मजदूरी भुगतान नहीं होने से मजदूरों ने भी काम में रूची नहीं ले रहे हैं। जिले में लगभग एक लाख 48 हजार मनरेगा मजदूर पंजीकृत हैं।
प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए सर्वे के कारण भी मनरेगा मजदूरों की संख्या फिलहाल बढ़ा है। आवास योजना के लिए सर्वे में नाम जोड़ने के लिए जाब कार्ड जरुरी है।
18 दिसंबर 2024 से मनरेगा योजना में एक भी पैसे नहीं आया है। सरकार की ओर से वित्तीय वर्ष 2024-25 में जिले को 21 लाख सात हजार मानव दिवस सृजित करने का लक्ष्य दिया गया था। इसके विरुद्ध अब तक जिले में 33 लाख 10 हजार 21 से अधिक मानव दिवस श्रमिकों को दे दिया गया है।
फिलहाल मनरेगा योजना में में पैसा नहीं रहने के कारण यह महत्वपूर्ण योजना जिले में फिलहाल हासिये पर चल रहा है। पैसे के अभाव में कार्य की रफ्तार धीमी है। गर्मी के मौसम में मनरेगा के तहत ज्यादातर कार्य किए जाते हैं। बरसात के आगमन के साथ मनरेगा का कार्य बंद कर दिया जाता है। फिलहाल अप्रैल का महीना चल रहा है। ऐसे में यह मनरेगा के कार्य के लिए सर्वोत्तम समय है।
पंचायत प्रतिनिधि से लेकर अन्य संवेदक तक बच रहे हैं
मनरेगा की कार्य योजनाओं को अपने हाथ में लेने से पंचायत प्रतिनिधि से लेकर अन्य संवेदक तक बच रहे हैं। पैसे की भुगतान की स्थिति को देखकर उन लोगों को यह लग रहा है कि कार्य कराने का मतलब है कि अपने घर की कमाई इसमें लगाना है।
मनरेगा के माध्यम से पक्का कार्य कराने को लेकर सामग्री लाइसेंस धारी वेंडर द्वारा उपलब्ध कराया जाता है। मनरेगा योजना में पैसा नहीं दिए जाने के कारण सामग्री मद में लगभग 1683.67 लाख रुपये बकाया हो गया है।
मनरेगा योजना के तहत किए जाने वाले महत्वपूर्ण कार्य
मनरेगा योजना के तहत कई कार्य किए जाते हैं। जिससे लोगों को रोजगार मिलता है। इस योजना में मानव संसाधन का ही ज्यादा इस्तेमाल होता है। इसके तहत जॉब कार्ड धारक सक्रिय रूप से भाग लेते है। मनरेगा योजना के तहत आवास निर्माण, जल संरक्षण कार्य, बागवानी कार्य,गौशाला निर्माण कार्य, पौधा रोपण,लघु सिंचाई,ग्रामीण सम्पर्क मार्ग निर्माण कार्य,भूमि विकास, बाढ़ नियंत्रण से लेकर अन्य कई कार्य शामिल हैं जो मानव बल द्वारा किया जाता है।
दिसंबर माह से मनरेगा में पैसे का भुगतान नहीं हुआ है। अप्रैल माह के अंतिम में पैसा आने की उम्मीद है। पैसा का आवंटन होते ही मजदूरों एवं वेंडरों के बकाया भुगतान कर दिया जाएगा। मनरेगा के तहत श्रमिकों को साल में अधिकतम सौ दिनों तक के काम दिये जाते हैं। राजेश कुमार,डीपीओ,मनरेगा
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