कुपोषित बच्चों के लिए बनाया गया पोषण केंद्र ही कुपोषण का शिकार! डाइटीशियन तो छोड़िए इसके भरोसे चल रहा सारा खेल
अरवल के सदर अस्पताल में कुपोषित बच्चों के लिए बना पोषण पुनर्वास केंद्र बदहाल है। यहाँ वजन मशीन नहीं है और बिना डाइटीशियन व सीबीसीई के केंद्र चल रहा है। केवल तीन नर्सिंग स्टाफ के भरोसे 20 बच्चों की क्षमता वाला केंद्र चल रहा है। जनवरी से अगस्त तक केवल 25 बच्चे भर्ती हुए हैं।
जागरण संवाददाता अरवल। कुपोषित बच्चों को पोषित करने के लिए स्वास्थ्य विभाग दावा तो खूब करती है लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और दिखाई देती है। कुपोषित बच्चों को पोषित करने के लिए सदर अस्पताल में बनाए गए पोषण पुनर्वास केंद्र का खस्ताहाल है। यहां बच्चों के वजन करने के लिए वेट मशीन भी नहीं हैं।
बिना सीबीसीई और डाइटीशियन के बिना केंद्र का संचालन हो रहा है। ऐसे में कुपोषित बच्चों को सही आहार कैसे मिल रहा होगा यह सोचने वाली बात है। इस केंद्र में 5 महीने से ज्यादा और 5 साल से कम उम्र के कुपोषित बच्चों को 14 से 21 दिन रखकर इलाज किया जाता है।3 नर्सिंग स्टाफ के भरोसे केंद्र का संचालन हो रहा है।
पोषण पुनर्वास केंद्र में 20 कुपोषित बच्चों को भर्ती कर बेहतर खान-पान और इलाज की व्यवस्था है। लेकिन केंद्र में खानपान के मानक तय करने वाले डायटिशियन का पद ही वर्षों से रिक्त है। वहीं कुपोषित बच्चों को भर्ती कराने व रिकॉर्ड रखने की जिम्मेदारी संभालने वाला सीबीसीई पदधारक भी नहीं हैं
नर्सिंग स्टाफ के भरोसे एनआरसी
तीन नर्सिंग स्टाफ के भरोसे एनआरसी को छोड़ दिया गया है। ऐसे में कुपोषित बच्चों के सही से देखभाल में परेशानी हो रही है। इसका वार्ड के संचालन पर असर भी देखने को मिल रहा है। भर्ती होने वाले कुपोषित बच्चों की संख्या घटने लगी है।
8 महीने में हुआ 25 बच्चों का हुआ इलाज
एन आर सी में बच्चों को बेहतर देखभाल नहीं होने के कारण लोग अपने बच्चों को एन आर सी में इलाज कराने से परहेज करते हैं। जनवरी से लेकर अगस्त तक मात्र 25 बच्चों का एनआरसी में इलाज हुआ है। जबकि 20 बच्चे का बेड इस केंद्र में लगा है।
परिजन के साथ कुपोषित बच्चे को रखा जाता है केंद्र में
परिजन के साथ कुपोषित बच्चे को पोषण पुनर्वास केंद्र में रखा जाता है। ताकि, कुपोषित बच्चों को परिजन के साथ केयर में रखकर स्वस्थ किया जा सके। साथ ही बच्चों के खानपान की जानकारी परिजनों को भी हो सके। जब केंद्र से छुट्टी लेकर बच्चे घर जाएं तो खानपान में कोई कमी नहीं हो। साथ ही परिजन को बच्चे के साथ रहने के लिए क्षतिपूर्ति के रूप में राशि भी दी जाती है 100 रुपए प्रतिदिन दी जाती है।
क्या कहते हैं कर्मी
नर्सिंग स्टाफ बनवारी लाल ने बताया कि केंद्र के संचालन को लेकर सतत निगरानी रखी जाती है। कर्मियों की कमी को दूर करने के लिए रिक्त पड़े पद की सूचना विभाग को भेजी गई है। लेकिन अभी तक कोई स्टाफ नहीं आया। केंद्र में कुक भी नहीं है सभी काम नर्सिंग स्टाफ को ही करना पड़ता है
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