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    Bihar Election: जहानाबाद में पिछले 3 चुनाव में 22 प्रत्याशी नहीं बचा पाए अपनी जमानत, इस बार क्या होगा?

    Updated: Tue, 07 Oct 2025 02:05 PM (IST)

    जहानाबाद विधानसभा चुनाव में राजनीतिक दल और निर्दलीय उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमाते हैं। 2020 में 6 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हुई। 2015 में नोटा तीसरे स्थान पर था। मुख्य मुकाबला एनडीए और महागठबंधन में होता रहा है। 2020 में राजद 2015 में भी राजद और 2010 में जदयू ने जीत दर्ज की। 2025 में एनडीए और महागठबंधन के बीच मुकाबला होगा।

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    जहानाबाद में पिछले तीन विस चुनाव में 22 प्रत्याशी नहीं बचा पाए थे अपनी जमानत

    धीरज, जहानाबाद। जहानाबाद विधानसभा चुनाव (Jehanabad Vidhan Sabha Chunav 2025) में राजनीतिक दलों के साथ निर्दलीय भी अपनी किस्मत आजमाते रहे हैं। 2020 के विस चुनाव में जहानाबाद विधानसभा से कुल आठ प्रत्याशी चुनाव मैदान में थे, जिनमें छह प्रत्याशी अपनी जमानत नहीं बचा पाए थे।

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    2015 के विस चुनाव में नौ प्रत्याशी चुनाव मैदान में थे, जिनमें सात की जमानत जब्त हो गई थी। 2010 के चुनाव में सर्वाधिक 12 प्रत्याशी मैदान में उतरे थे, नौ उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई थी। 2015 के चुनाव में नोटा तीसरे स्थान पर था। 5648 मतदाताओं ने नोटा का बटन दबाया था।

    2020 के चुनाव में 2388 वोटरों ने नोटा को चुना था। यहां एनडीए व महागठबंधन के बीच ही मुख्य मुकाबला होता रहा है। 2020 में राजद को 47, जदयू को 25.8, लोजपा को 15.2 प्रतिशत मत मिले थे। 2015 में राजद को 50.87, रालोसपा को 36.69 प्रतिशत मत पड़े थे। 2010 में राजद को 24.36 ,जदयू को 32.11, कांग्रेस को 11.97 व सीपीआइ एमएलएल को मात्र 5.83 मत मिले थे।

    2020 में राजद के कुमार कृष्ण मोहन उर्फ सुदय यादव, 2015 में राजद के मुंद्रिका सिंह यादव व 2010 के चुनाव में जदयू के अभिराम शर्मा शर्मा ने जीत दर्ज की थी। 2015 से अबतक यानी दस साल से जहानाबाद सीट पर राजद का कब्जा है।

    2010 के चुनाव में राजद, कांग्रेस व सीपीआइ एमएल एल अलग अलग चुनाव लड़ी थी। वर्तमान में तीनों एक साथ हैं। जदयू व भाजपा एक साथ थी। 2015 में राजद, कांग्रेस व जदयू साथ थी, सीपीआइ एमएल एल अलग चुनाव लड़ी थी। एनडीए से यह सीट रालोसपा को मिली थी।

    2020 में राजद, कांग्रेस व सीपीआई एमएल एल एक साथ चुनाव लड़ी थी। जदयू व भाजपा एक साथ। लोजपा अलग चुनाव लड़ी थी।

    आगामी 2025 के चुनाव में राजद, कांग्रेस व सीपीआइ एमएल एल का गठबंधन है। वहीं जदयू, भाजपा, लोजपा, हम व रालोसपा का गठबंधन है। इस बार कौन किसको (एनडीए व महागठबंधन) पटकनी देकर विधानसभा पहुंचेगा यह देखना रोचक होगा।

    14 विस चुनावों में छह बार राजद ने दर्ज की जीत

    1952 से 2020 तक जहानाबाद विधानसभा में हुए 14 चुनावों में छह बार राजद ने जीत दर्ज की है। कांग्रेस तीन, जदयू एक, सोशलिस्ट पार्टी एक, जनता पार्टी एक, जनता दल एक और एक बार निर्दलीय प्रत्याशी भी जीतकर विधानसभा पहुंचे हैं।

    1952 में शिवभजन सिंह (सोशलिस्ट पार्टी), 1967 में महावीर चौधरी (कांग्रेस), 1977 में रामचंद्र यादव (जनता पार्टी), 1980 तारा गुप्ता (कांग्रेस), 1985 सैयद असगर हुसैन (कांग्रेस), 1990 हरि लाल यादव (निर्दलीय), 1995 मुंद्रिका सिंह यादव (जनता दल), 2000 मुनिलाल यादव (राजद), 2005 में दो बार हुए विस चुनाव में सच्चितानंद यादव (राजद), 2010 में अभिराम शर्मा (जदयू), 2015 में मुंद्रिका सिंह यादव (राजद), 2018 के उपचुनाव में सुदय यादव (राजद), 2020 के चुनाव में सुदय यादव (राजद) ने जीत दर्ज की।

    घोसी विधानसभा में जगदीश शर्मा ने आठ बार दर्ज की जीत

    1952 से 2020 तक घोसी विधानसभा में हुए 17 चुनावों में जगदीश शर्मा ने आठ बार जीत दर्ज की थी। पहले विस चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी रामचंद्र यादव ने जीत हासिल की थी। 1962 में कांग्रेस से मिथिलेश्वर प्रसाद सिंह, 1967 में सीपीआई से रामाश्रय प्रसाद यादव, 1969 में कांग्रेस से कौशलेंद्र प्रसाद सिंह, 1972 में फिर सीपीआई से रामाश्रय प्रसाद यादव ने जीत हासिल की थी।

    1977 से 2005 के बीच आठ बार हुए विस चुनाव में जगदीश शर्मा लगातार निर्वाचित होते रहे। जनता पार्टी के टिकट से जीत की शुरुआत की। एक बार भाजपा, तीन बार कांग्रेस, दो बार निर्दलीय, एक बार जदयू के टिकट पर जीत हासिल की।

    2009 के उपचुनाव में जगदीश शर्मा की पत्नी शांति शर्मा निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में जीत दर्ज की थी। 2010 में पुत्र राहुल कुमार ने जदयू से जीत हासिल की। 2015 में जदयू से कृष्णनंदन प्रसाद वर्मा व 2020 में भाकपा माले से रामबली सिंह यादव ने जीत हासिल की।

    मखदुमपुर से सात बार कांग्रेस ने दर्ज की जीत

    1952 से 2020 तक मखदुमपुर विधानसभा में 17 विस चुनाव हुए। निर्दलीय प्रत्याशी रामेश्वर यादव ने जीत का पहला खाता खोला था। 1957 में कांग्रेस से मिथिलेश्वर प्रसाद सिंह, 1962 में कांग्रेस से सुखदेव प्रसाद वर्मा, 1967 में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी से एल राम, 1969 में कांग्रेस से महावीर चौधरी, 1972 में कांग्रेस से रामस्वरूप राम, 1977 में जनता पार्टी से रामजतन सिन्हा, 1980 में कांग्रेस से रामाश्रय प्रसाद सिंह, 1985 में कांग्रेस से राजजतन सिन्हा, 1990 में कांग्रेस से रामजतन सिन्हा, 1995 में जनता दल से बागी कुमार वर्मा, 2000 में राजद से बागी कुमार वर्मा, 2005 में लोजपा से रामाश्रय प्रसाद सिंह, 2005 में राजद से कृष्णनंदन प्रसाद वर्मा, 2010 में जदयू से जीतनराम मांझी, 2015 में राजद से सूबेदार दास, 2020 मेंं राजद से सतीश कुमार ने जीत हासिल की।

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