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    जहानाबाद के तीनों विधानसभा क्षेत्रों में सीधा मुकाबला, तीसरी ताकत के लिए नहीं बची कोई जगह

    Updated: Wed, 12 Nov 2025 03:05 PM (IST)

    जहानाबाद जिले की तीनों विधानसभा सीटों पर इस बार सीधा मुकाबला है। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, अब तीसरी ताकत के लिए कोई जगह नहीं बची है। जहानाबाद, मखदुमपुर और घोसी में मुख्य मुकाबला दो गठबंधनों के बीच है, क्योंकि मतदाताओं का रुझान भी इन्हीं की ओर है। छोटी पार्टियाँ प्रभाव छोड़ने में विफल रही हैं, जिससे मुकाबला सीधा हो गया है।

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    बिहार विधानसभा चुनाव

    जागरण संवाददाता, जहानाबाद। मतदान की प्रक्रिया संपन्न हो गई है, अब मतगणना की बारी है। ऐसे में जीत हार का आकलन किया जा रहा है। किसकी जीत होगी यह कहना अभी सभी के लिए मुश्किल हो रही है। लेकिन जिले के तीनों विधानसभा क्षेत्र में एक बात लगभग स्पष्ट है कि मुकाबला दो ध्रुवों के बीच में ही है। किसी भी विधानसभा क्षेत्र में त्रिकोणात्मक मुकाबले का अनुमान नहीं है। फिलहाल लड़ाई एनडीए और महागठबंधन के बीच आमने-सामने का है।

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    हालांकि इसके अलावा जन सुराज तथा बहुजन समाजवादी पार्टी के साथ-साथ निर्दलीय उम्मीदवार भी मैदान में थे। लेकिन इन पार्टियों और निर्दलीयों का कहीं से भी इतना प्रभाव नजर नहीं आ रहा है जिससे यह कहा जा सकता है कि यहां त्रिकोणात्मक लड़ाई है।

    जहानाबाद जिले में हमेशा से हीं दो पक्षों के बीच मुकाबला होता रहा है। जिले का घोसी हीं एकमात्र विधानसभा है।


    जहां पहले दो बार निर्दलीयों उम्मीदवार चुनाव जीतने में सफल रहे हैं। एक बार खुद जगदीश शर्मा तथा दूसरी बार उनकी पत्नी शांति शर्मा निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव जीती है।

    लेकिन इसके बाद कभी भी जिले के किसी भी विधानसभा क्षेत्र में कोई निर्दलीय उम्मीदवार मैदान नहीं मार सकी है। यहां तक की लड़ाई भी त्रिकोणीय लगभग नहीं हुई है।

    इस बार भी यही ट्रेंड जिले के तीनों विधानसभा क्षेत्र में दिख रहा है। विजेता तथा उपविजेता एनडीए और महागठबंधन के उम्मीदवार के अलावा और कोई तीसरा नहीं हो सकता है।

    इस तरह से जिले के तीनों विधानसभा क्षेत्र में पहला और दूसरा स्थान पूरी तरह से भरा हुआ है। इन दोनों गठबंधनों को छोड़कर तीसरे स्थान पर कौन रहेगा इसका आकलन भी यहां आसान नहीं है।

    इस तरह से जिले के तीनों विधानसभा क्षेत्र में दोनों बड़े गठबंधन के बीच कड़ा मुकाबला हुआ है। जिसमें तीसरी के लिए कहीं कोई खास गुंजाइश नहीं बची है।