Updated: Mon, 02 Jun 2025 04:33 PM (IST)
हिंदू धर्म में शुभ मुहूर्त का बहुत महत्व है। 11 जून को गुरु ग्रह के अस्त होने के कारण 8 जून से ही सभी मांगलिक कार्य बंद हो जाएंगे। 6 जुलाई को देवशयनी एकादशी से चातुर्मास शुरू होगा और 1 नवंबर को देवउठनी एकादशी के बाद ही मांगलिक कार्य फिर से शुरू हो पाएंगे।
संवाद सहयोगी, कलेर (अरवल)। हिंदू धर्म में मुहूर्त और शुभ तिथि का बेहद खास महत्व होता है। मान्यता है कि कोई भी मांगलिक या शुभ कार्य अगर शुभ मुहूर्त या शुभ तिथि में किया जाए तो उसका फल बेहद सकारात्मक होता है।
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शादी विवाह का लग्न चल रहा है, लेकिन कुछ दिनों में गुरु और शुक्र अस्त हो जाएंगे, जिस वजह से सभी मांगलिक कार्य जैसे शादी विवाह, मुंडन, जनेऊ इत्यादि बंद हो जाएंगे।
ज्योतिषाचार्य संजय पाठक ने बताया कि ग्रहों के राजा सूर्य माने गए हैं। वहीं, मंत्री गुरु ग्रह हैं। गुरु ग्रह के साक्षी होने पर ही विवाह व मांगलिक कार्य होते हैं। 11 जून को ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा है। इस दिन शाम 6:54 बजे गुरु ग्रह पश्चिम दिशा में अस्त होंगे, लेकिन उससे पहले ही यानी 8 जून से ही शहनाईयां बजनी बंद हो जाएगी।
गुरु ग्रह के अस्त होने के साथ सभी मांगलिक कार्यों पर विराम लग जाएगा। आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी छह जुलाई को देवशयनी एकादशी मनायी जाएगी। इस दिन देवगुरु भगवान विष्णु शयन मुद्रा में चले जाएंगे। सूर्य दक्षिणायन हो जाएंगे। इसके साथ चातुर्मास भी शुरू हो जाएगा।
एक नवंबर को देवउठनी एकादशी पर भगवान श्रीहरि विष्णु जागृत होंगे। इसके बाद मांगलिक कार्य शुरू हो जाएंगे। गुरु के अस्त होने और सूर्य के दक्षिणायन होने से मांगलिक कार्यों पर रोक लगेगी। साथ ही वधु प्रवेश, सगाई, मुंडन, गृह प्रवेश, मंदिर की प्राणप्रतिष्ठा, यज्ञोपवीत, जनेऊ आदि आयोजनों पर विराम लग जाएगा।
मांगलिक कार्यों में कुछ ऐसे भी कार्य हैं, जिनको चातुर्मास के दौरान कर सकते हैं। आभूषण और वाहन क्रय-विक्रय, जीर्णशीर्ण मकान के पुनर्निर्माण के बाद गृह प्रवेश जैसे कार्य हो सकते हैं। इसके बाद 21 नवंबर से शुरू होकर मांगलिक कार्य 15 दिसंबर तक चलते रहेंगे।
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