जहानाबाद में अतिक्रमण हटाओ अभियान महज 24 घंटे चला, अगले दिन फिर जस की तस स्थिति
जहानाबाद में नगर परिषद का अतिक्रमण हटाओ अभियान 24 घंटे भी नहीं चला। गुरुवार को जेसीबी के साथ अतिक्रमण हटाने के बाद, अगले ही दिन स्थिति जस की तस हो गई। ...और पढ़ें

अतिक्रमण हटाओ अभियान महज 24 घंटे चला
जागरण संवाददाता, जहानाबाद। अतिक्रमण को लेकर नगर परिषद की अपील का असर महज 24 घंटे भी नहीं टिक सका। गुरुवार को नगर परिषद द्वारा अतिक्रमण हटाने को लेकर सख्ती दिखाते हुए जेसीबी के साथ टीम शहर के विभिन्न इलाकों में पहुंची थी।
जेसीबी और नगर परिषद के कर्मियों को देखकर अतिक्रमणकारियों में हड़कंप मच गया था और लोगों ने स्वयं हीं अपनी दुकानें और ठेले हटा लिए थे।
दावा अगले ही दिन खोखला साबित हो गया
इस कार्रवाई के बाद नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी दीनानाथ सिंह अपनी अपील और अभियान की सफलता का दावा करते नजर आए थे। हालांकि,यह दावा अगले ही दिन शुक्रवार को खोखला साबित हो गया।
शुक्रवार की सुबह शहर में वही पुराना नजारा देखने को मिला। अस्पताल मोड़ से सब्जी मंडी की ओर जाने वाला मार्ग फिर उसी तरह अतिक्रमण की चपेट में नजर आय। सड़क के दोनों ओर ठेले और अस्थायी दुकानें पहले की तरह नजर आने लगे, जिससे राहगीरों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
दुकानदारों ने फिर से सड़क तक अपना सामान फैला लिया
सिर्फ यही नहीं, अरवल मोड़, काको मोड़,ऊंटा मोड़ समेत शहर के अन्य प्रमुख चौक-चौराहों और बाजार क्षेत्रों में भी अतिक्रमण की स्थिति जस की तस बनी हुई है। बाजार की सड़कों पर दुकानदारों ने फिर से सड़क तक अपना सामान फैला लिया है,जिससे यातायात बाधित हो रहा है। कई जगहों पर सड़क सिकुड़कर गलियों में तब्दील हो गई है, जिससे जाम की समस्या आम हो गई है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि नगर परिषद की कार्रवाई केवल दिखावटी बनकर रह गई है। जब तक स्थायी और कठोर कदम नहीं उठाए जाएंगे,तब तक अतिक्रमण की समस्या से निजात मिलना मुश्किल है।
मस्या का स्थायी समाधान कब?
लोगों का यह भी कहना है कि नगर परिषद पहले अतिक्रमण हटाती है, लेकिन बाद में न तो निगरानी रखती है और न ही दोबारा कब्जा करने वालों पर कोई ठोस कार्रवाई करती है। मुख्य सड़क समेत शहर के कई हिस्सों में अतिक्रमण का जाल इस कदर फैला हुआ है कि पैदल चलना तक मुश्किल हो गया है।
सवाल यह उठता है कि क्या नगर परिषद इस समस्या का स्थायी समाधान निकाल पाएगी या फिर यह अभियान भी पहले की तरह केवल औपचारिकता बनकर रह जाएगा।

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