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    नाबालिग बेटी से दुष्कर्म के आरोपी पिता को आजीवन कारावास की सजा, बेहोशी की दवा सुंघाकर करता था गलत हरकत

    By dheeraj kumarEdited By: Yogesh Sahu
    Updated: Wed, 25 Jan 2023 10:53 PM (IST)

    दुष्कर्म के आराेपित पिता को कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाने के साथ 20-20 हजार रुपये अर्थदंड भी लगाया है। अर्थदंड नहीं भरने पर अतिरिक्त सजा भी भुगतनी होगी। कोर्ट ने पीड़िता को पुनर्वास सहायता राशि देने का भी निर्देश दिया है।

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    दुष्कर्म के आरोपित पिता को मिली आजीवन कारावास की सजा

    जागरण संवाददाता, जहानाबाद। बेटी के साथ दुष्कर्म करने के आराेपित पिता को कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। पाक्सो के विशेष न्यायालय के न्यायाधीश रश्मि की अदालत ने आरोपित पिता को सुनवाई के उपरांत भादवि की धारा 376 एवं पाक्सो की धारा चार के तहत आजीवन कारावास भुगतने का फैसला सुनाया है।

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    इतना ही न्यायालय ने दोनों धाराओं में 20-20 हजार रुपये अर्थदंड भुगतान करने का निर्देश दिया। अर्थदंड की राशि का भुगतान नहीं करने पर छह-छह माह का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा। न्यायालय ने पीड़ित प्रतिकर अधिनियम के तहत जिला विधिक सेवा प्राधिकार के सचिव को पीड़िता के राहत और पुनर्वास के लिए तीन लाख रुपये बतौर सहायता राशि प्रदान करने का भी निर्देश दिया है। उक्त आशय की जानकारी पाक्सो के विशेष लोक अभियोजक मुकेश नंदन वर्मा ने दी।

    जानकारी के अनुसार, मामले में पीड़िता की मां ने महिला थाना जहानाबाद में पति के विरुद्ध नामजद प्राथमिकी दर्ज कराई थी। दर्ज प्राथमिकी में पीड़िता की मां ने आरोप लगाया था कि उसका पति शराब के नशे में घर आता था। अपनी नाबालिग बेटी को बेहोश करने वाला पदार्थ सुंघाकर दुष्कर्म कर रहा था।

    पीड़िता की मां ने कहा कि जब मैंने अपनी बेटी से पूछा तो उसने बताया कि पिता मुझे जबरन रसोई में ले जाकर या अन्यत्र जगह पर ले जाकर शारीरिक संबंध बनाते थे। किसी से नहीं बताने के लिए कहते थे। पीड़िता की मां ने कहा कि मुझे जब पति की हरकतों पर शक हुआ तो मुझसे भी चुप रहने के लिए कहा।

    पीड़िता की मां ने कहा कि मेरा पति ड्राइवर है। उससे मुझे छह बेटी और दो बेटे हैं। मैंने अपनी बड़ी बेटी और बड़े बेटे की शादी कर दी है। वर्तमान में मैं सब्जी बेचकर अपना जीवन गुजार रही हूं। पति की इस गलत हरकत से बचने के लिए बच्चों को लेकर मायके चली गई। लेकिन इतने पर भी वह नहीं माना।

    वह कानूनन नोटिस देकर मुझे तथा बच्चों को अपने साथ रखने का दबाव बनाने लगा। तब मैंने महिला थाने में आकर प्राथमिकी दर्ज कराई। विशेष लोक अभियोजक ने बताया कि इस मामले में अभियोजन की ओर से छह गवाह तथा बचाव पक्ष की ओर से चार गवाह प्रस्तुत किए गए थे।