Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    संकट में राजा चंद्रसेन का 52 एकड़ का तालाब

    By JagranEdited By:
    Updated: Thu, 01 Apr 2021 09:55 PM (IST)

    जहानाबाद। मानव सभ्यता की कहानी पत्थरों से शुरू होकर आधुनिक विकसित तकनीक तक पहुंच गया है।

    Hero Image
    संकट में राजा चंद्रसेन का 52 एकड़ का तालाब

    जहानाबाद। मानव सभ्यता की कहानी पत्थरों से शुरू होकर आधुनिक विकसित तकनीक तक पहुंच गया है। तमाम बदलाव के बाद भी पानी का कोई विकल्प तैयार नहीं हो सका। इस लिए जल का महत्व कभी कम नहीं हुआ। फर्क इतना पड़ा कि पूर्वज जल को सहेजने के लिए जतन करते रहे और अब उनके दिए संसाधनों को हड़पने की होड़ में लोग शामिल हो गए हैं। शहर से लेकर गांवों में भी पशु-पक्षियों की प्यास नहीं बुझाने भर दूर-दूर तक पानी नहीं दिखता।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    सरोवरों की बदहाली की हाल धराउत गांव की कर रहे हैं। यहां चंद्रपोखर तालाब मगध के शासक चन्द्रसेन ने छठी शताब्दी में पशुओ और खेतों को सिचित करने के उद्देश्य कराया था।

    -- अतिक्रमण की चपेट में तालाब --

    लगभग 52 एकड़ में फैले इस तालाब से 4484 एकड़ खेत सिचित थे। स्थानीय लोगों के अतिक्रमण और विभागीय लापरवाही के कारण मात्र 39 एकड़ में सीमित रह गया है। तालाब के सीमित होने से सिचित भूमि भी तेजी से घटने लगे हैं। इस तालाब के पूर्वी भाग में भगवान शिव तथा भगवान नरसिंह का अति प्राचीन मंदिर भी स्थित है। जिसकी बनावट इसकी प्राचीनतम स्वरूप को दर्शाता है। दंत कथाओं में यह भी वर्णित है कि यहां कभी महात्मा बुद्ध का भी आगमन हुआ था। इसका उल्लेख कई अंग्रेज इतिहासकारों ने भी किया है। प्राचीन बंगाल गजट में भी चंद्रसेन तालाब का उल्लेख प्रमुखता से मिलता है। 5.60 करोड़ का उपयोग नहीं ---

    पर्यटन विभाग द्वारा प्राचीन तालाब की सुधी वर्ष 2015 में ली गई थी। जिसके तहत जीर्णोद्धार को लेकर विभाग द्वारा पांच करोड़ 60 लाख की राशि स्वीकृत की गई थी। तेजी से कार्य प्रारंभ भी हुए थे। लेकिन तकरीबन एक लाख रूपए खर्च होने के उपरांत दो जनप्रतिनिधि इस कार्य में अपना श्रेय लेने के उद्देश्य से भीड़ गए। परिणामस्वरूप कार्य अधर में लटक गया और शेष राशि लौट गई। तब से लोग इसके जीर्णोद्धार को लेकर किसी रहनुमा की बाट जो रहे हैं। बरसात में साइबेरियन पक्षियों का झुंड भी यहां जमा होते हैं। पक्षियों के जल विहार से यहां बेहद अलौकिक ²श्य प्रस्तुत उत्पन्न होता है। लेकिन यहां इंसानों के लिए नौका विहार की कोई इंतजाम नहीं है।