Bihar Chunav 2025: आपके घर आएगी चुनाव आयोग की टीम, ये डाक्युमेंट रखें तैयार
अरवल में सहायक निर्वाचक निबंधन पदाधिकारी की अध्यक्षता में राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के साथ एक बैठक हुई। इस बैठक में बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए मतदाता पुनरीक्षण कार्यक्रम पर चर्चा की गई। बीएलओ घर-घर जाकर मतदाताओं का सत्यापन करेंगे और मतदाता सूची में योग्य नागरिकों का नाम जुड़वाएंगे। इसका उद्देश्य स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करना है। बैठक में जिला उपनिर्वाचन पदाधिकारी भी मौजूद थे।
जागरण टीम, पटना\बक्सर\अरवल। चुनाव आयोग ने विशेष सघन मतदाता सूची पुनरीक्षण (एसआइआर) के कारण नया मतदाता पहचान पत्र (इपिक) बनाने पर रोक लगा दी है। इसके साथ ही एसआइआर में भाग नहीं लेने वाले मतदाताओं का मतदाता पहचान पत्र भी एक अगस्त को प्रारूप प्रकाशन के साथ ही अवैध हो जाएगा।
नई मतदाता सूची में बूथ बदलने की भी संभावना
नई मतदाता सूची में बूथ बदलने की भी संभावना है। इसे ध्यान में रखते हुए आयोग ने इपिक बनाने वाली एजेंसियों को भेजे गए डाटा पर काम भी तत्काल प्रभाव से स्थगित करने का निर्देश दिया है।
साथ ही आयोग की कोशिश है कि विशेष सघन मतदाता सूची पुनरीक्षण में भाग लेने वाले व्यक्ति को 15 दिनों के अंदर मतदाता सूची में नाम शामिल करने के साथ ही इपिक भी उपलब्ध करा दिया जाए। इस काम को करने के लिए फिलहाल 77,895 बूथ स्तरीय पदाधिकारी (BLO) हैं।
इसके अलावा नए मतदान केंद्रों के लिए करीब 20,603 नए बीएलओ की नियुक्ति की जा रही है। वर्तमान 7,89,69,844 मतदाताओं में से लगभग 4.96 करोड़ के नाम पहले से ही 1 जनवरी, 2003 की अंतिम गहन संशोधित मतदाता सूची में हैं। उन्हें केवल इसकी पुष्टि करनी है।
बता दें कि वोटर कार्ड के सत्यापन के लिए आपको नागरिकता का प्रमाण देना होगा। बीएलओ द्वारा कई दस्तावेज मांगे जाएंगे ताकि मतदाता का नाम फिर से मतदाता फॉर्म में जोड़ा जा सके।
मतदाता पहचान पत्र सत्यापन के लिए आवश्यक दस्तावेज
दस्तावेज | प्रमाण की आवश्यकता |
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नवीनतम पासपोर्ट आकार की फोटो | पहचान के उद्देश्य से आवेदक की नवीनतम फोटो। |
पता प्रमाण | बैंक/किसान/डाकघर की वर्तमान पासबुक, राशन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, भारतीय पासपोर्ट, आयकर रिटर्न दाखिल/मूल्यांकन आदेश, नवीनतम किराया समझौता, नवीनतम जल/टेलीफोन/बिजली/गैस कनेक्शन बिल, आवेदक, बेघर/अन्य के नाम पर दिए गए पते पर डाक विभाग की मेल प्राप्त/वितरित। |
आयु प्रमाण | आधार कार्ड, पैन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, भारतीय पासपोर्ट, कक्षा 10/कक्षा 8/कक्षा 5 की मार्कशीट (यदि उसमें जन्म तिथि हो), अंतिम अध्ययन किए गए स्कूल/अन्य शैक्षणिक संस्थान (सरकारी/मान्यता प्राप्त) से जन्म प्रमाण पत्र, नगरपालिका प्राधिकरण द्वारा जारी जन्म प्रमाण पत्र, जन्म और मृत्यु के रजिस्ट्रार, बपतिस्मा प्रमाण पत्र या कोई अन्य स्वीकार्य दस्तावेज। |
पहचान प्रमाण | पैन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, राशन कार्ड, पासपोर्ट कॉपी, फोटो के साथ बैंक पासबुक, एसएसएलसी प्रमाण पत्र, छात्र आईडी कार्ड या आधार कार्ड। |
चुनाव आयोग का ऐतिहासिक कदम
उल्लेखनीय है कि मतदाता सूची से जुड़ी गड़बड़ियों को पूरी तरह खत्म करने की दिशा में आगे बढ़ चुके चुनाव आयोग ने बिहार से मतदाता सूची के सत्यापन की ऐतिहासिक शुरुआत की है।
आयोग ने शनिवार को राज्य के सभी 243 विधानसभा क्षेत्रों में एक साथ मतदाता सूची के सघन सत्यापन का कार्य शुरू किया। इस दौरान राज्य के सभी 7.89 करोड़ मतदाताओं को दोबारा नया मतगणना प्रपत्र भरना होगा। इसके साथ ही उन्हें देश के निवासी होने के साथ ही राज्य में अपने निवास का प्रमाण भी देना होगा।
आयोग के मुताबिक मतगणना पूरी होने तक अभियान में लगे बूथ लेवल अफसरों (बीएलओ) को उनके मूल दायित्वों से मुक्त रखने के भी निर्देश दिए गए हैं। सभी प्रमंडलीय आयुक्त और जिलाधिकारी इसका अनुपालन सुनिश्चित करा रहे हैं।
आयोग के मुताबिक, भारत का संविधान सर्वोच्च है। सभी नागरिक, राजनीतिक दल और भारत का चुनाव आयोग संविधान का पालन करते हैं। संविधान के अनुच्छेद 326 में मतदाता बनने की अर्हता निर्धारित की गई है।
22 साल बाद मतदाता सूची में होगी सत्यापन
आयोग के अनुसार, राज्य के 7.89 करोड़ मतदाताओं में से 4.96 करोड़ मतदाता ऐसे हैं, जिनका नाम एक जनवरी 2003 को मतदाता सूची के अंतिम सघन पुनरीक्षण में पहले से है, जिन्हें सिर्फ सत्यापन कर गणना प्रपत्र भरना है और उसे जमा करना है।
इसके साथ ही आयोग ने सभी मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय एवं राज्य स्तरीय राजनीतिक दलों को अपने बूथ स्तरीय एजेंटों को इस अभियान से प्रमुखता से जोड़ने को कहा है। फिलहाल इन राजनीतिक दलों ने करीब 1.54 लाख एजेंट (बीएलए) नियुक्त किए हैं।
साथ ही, जरूरत के मुताबिक वे और भी बीएलए नियुक्त कर सकते हैं। सत्यापन के लिए बिहार के 5.74 लाख मतदाताओं के रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर पर मैसेज भी भेजे जा रहे हैं। गौरतलब है कि बिहार में इससे पहले मतदाता सूची का सघन सत्यापन 2003 में किया गया था।
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