मुंह मीठा करने से पहले असली-नकली की पहचान जरूरी, मिलावटी मिठाइयों से सावधान!
जहानाबाद में त्योहारों के दौरान मिलावटी मिठाइयों का कारोबार बढ़ गया है, जिससे स्वास्थ्य को खतरा है। खाद्य सुरक्षा अधिकारी द्वारा नियमित जांच नहीं होने से मिलावटखोरों का हौसला बढ़ रहा है। मिलावटी मिठाइयाँ किडनी और पेट संबंधी बीमारियों का खतरा बढ़ाती हैं। मावे और दूध की जांच करके मिलावट का पता लगाया जा सकता है। भरोसेमंद दुकानों से ही मिठाई खरीदें और एक्सपायरी डेट अवश्य देखें।

मुंह मीठा करने से पहले असली-नकली की पहचान
जागरण संवाददाता, जहानाबाद। चुनावी महापर्व की शुरुआत हो चुकी है। इस दौरान शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों तक मिठाइयों में मिलावट का कारोबार तेजी से बढ़ गया है। ऐसे में सावधानी बरतना अत्यंत आवश्यक है। मुंह मीठा करने से पहले यह सुनिश्चित करें कि मिठाई असली है या नकली।
मिठाई की गुणवत्ता की जांच खाद्य सुरक्षा अधिकारी द्वारा की जानी चाहिए, लेकिन यह जांच अक्सर ही होती है। जो नमूने लिए जाते हैं, उनकी रिपोर्ट आने तक लोग मिठाई और अन्य खाद्य पदार्थ खा चुके होते हैं। यह विडंबना है कि जिन थोक कारखानों से घटिया मिठाइयां बनकर दुकानों तक पहुंचाई जाती हैं, वहां जांच टीम कभी नहीं पहुंचती।
मिलावट से बनी मिठाइयां स्वास्थ्य के लिए हानिकारक
चिकित्सकों का कहना है कि मिलावट से बनी मिठाइयां स्वास्थ्य के लिए अत्यंत हानिकारक हैं, विशेषकर किडनी और पेट संबंधी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए, खाद्य पदार्थ केवल अपने भरोसेमंद दुकानदार से खरीदें। खाद्य सुरक्षा के विशेषज्ञ बताते हैं कि अधिकांश मिठाइयां मावा से तैयार होती हैं।
यदि मावा चखने पर कड़वा या चिपचिपा लगे, तो समझें कि इसमें वनस्पति घी की मिलावट है। मावे को अंगुलियों पर मसलकर भी देख सकते हैं; असली मावा अंगुली पर नहीं चिपकेगा। इसी तरह, दूध की एक बूंद को चिकनी सतह पर डालें, शुद्ध दूध धीरे-धीरे आगे बढ़ेगा और सफेद निशान छोड़ेगा, जबकि पानी मिला दूध तेजी से बहेगा।
आयोडीन के माध्यम से भी मिठाइयों में मिलावट का पता लगाया जा सकता है। नियमानुसार, मिठाइयों पर एक्सपायरी डेट लिखना अनिवार्य है, लेकिन जहानाबाद और अरवल जिले में इसका पालन नहीं हो रहा। सुरक्षा मानकों पर खरे न उतरने वाली ये मिठाइयां आपकी सेहत को गंभीर नुकसान पहुंचा सकती हैं।

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