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    कोहरे की चादर में लिपटा अरवल, यातायात ठप और रबी फसलों को फायदा

    Updated: Thu, 18 Dec 2025 06:23 PM (IST)

    बिहार के अरवल में घने कोहरे के कारण जनजीवन प्रभावित हुआ है। कोहरे के चलते यातायात बाधित रहा, जिससे लोगों को परेशानी हुई। हालांकि, रबी की फसलों के लिए ...और पढ़ें

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    कोहरे की चादर में लिपटा अरवल

    जागरण संवाददाता, अरवल। पूस महीने में पहली बार गुरुवार को मौसम ने करवट ली ,जिससे पूरा जिला कोहरे की चादर में दिनभर लिपटा रहा। सूर्यदेव के दर्शन नहीं हुए। दोपहर के समय भी ठिठुरन भरी सर्दी महसूस की गई। मौजूदा सर्दी के सीजन में गुरुवार जिले का सबसे सर्द दिन रहा। 

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    घने कोहरे के बीच दिन के तापमान में दो डिग्री तक गिरावट दर्ज की गई। शाम होते ही गलन बढ़ गई। शाम पांच बजे के बाद फिर हल्का कोहरा छा गया। जिले का अधिकतम तापमान 21 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 10 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। शाम में आर्द्रता 92 प्रतिशत रही। 

    मौसम विभाग के अनुसार अगले तीन दिनों तक ठंड का सितम जारी रहेगा। अधिकतम तापमान में और कमी आने तथा हल्के से मध्यम कोहरे के छाए रहने के आसार हैं। रविवार से तापमान में हल्की वृद्धि होने के आसार हैं। ठंड के कारण बस स्टैंड पर भी यात्री वाहनों की संख्या कम रही और यात्री भी कम दिखे

    रबी फसल के लिए फायदेमंद है कुहासा

    मौसम में आए इस बदलाव को किसान रबी फसलों के लिए फायदेमंद बता रहे हैं। किसान जयराम शर्मा, मोनू कुमार, जितेंद्र सिंह के अनुसार गेहूं, सरसों, चना और मसूर जैसी रबी फसलों के लिए ठंड और हल्का कोहरा लाभकारी होता है। इससे फसल बेहतर होती है और खेतों में नमी बनी रहती है। 

    विशेषकर गेहूं की फसल के लिए यह मौसम अनुकूल माना जाता है। कोहरा लंबे समय तक बना रहा तो फसलों में कीट और रोग लगने का खतरा बढ़ सकता है। फिलहाल मौसम संतुलित बना हुआ है।

    दृश्यता कम होने से वाहनों की थमी रफ्तार

    घने कोहरे ने गांव से लेकर शहर तक को अपनी गिरफ्त में ले लिया। कई इलाकों में दृश्यता घटकर महज 10 मीटर तक सिमट गई। सड़कों पर वाहन रेंगते नजर आए जबकि राष्ट्रीय राजमार्ग और राज्य मार्ग पर वाहनों की रफ्तार लगभग थम गई। 

    सुबह छह बजे से ही कोहरे की चादर इतनी घनी थी कि सामने से आ रहे वाहन भी नजर नहीं आ रहे थे। एनएच 139 सहित जिले से गुजरने वाले अन्य प्रमुख मार्गों पर वाहन चालकों को दिन में भी हेडलाइट जलाकर चलना पड़ा। 

    कई स्थानों पर छोटे-बड़े वाहनों की कतारें लग गईं। स्कूली बसों और दफ्तर जाने वाले लोगों को खासा परेशानी झेलनी पड़ी। सुबह की पाली वाले स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति कम रही।