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    गोपालगंज में सार्वजनिक स्थानों पर लगे नल-हैंडपंप खराब, बोतलबंद पानी पर निर्भरता

    Updated: Thu, 18 Sep 2025 03:21 PM (IST)

    गोपालगंज में पेयजल की समस्या गंभीर है। शहरी क्षेत्र में शुद्ध पेयजल की कोई व्यवस्था नहीं है जिससे लोगों को बोतलबंद पानी पर निर्भर रहना पड़ता है। पहले जलापूर्ति व्यवस्था ठीक थी लेकिन पाइपलाइनें जर्जर होने से योजना ठप हो गई। सरकारी हैंडपंप भी खराब हैं और नल-जल योजना भी पूरी नहीं हो पाई है।

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    दिखावा बने संसाधन, प्यास बुझाने के लिए बोतल बंद पानी का सहारा

    जागरण संवाददाता, गोपालगंज। कागज पर जिला मुख्यालय में हर तरह की सुविधा उपलब्ध है, लेकिन यहां पीने के पानी की व्यवस्था पूरी तरह से लचर हो चुकी है। पूरे शहरी इलाके में कहीं भी शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने की व्यवस्था नहीं है।

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    ऐसे में यहां आने वाले लोगों को अपनी प्यास बुझाने के लिए लोगों को सिर्फ बोतल बंद पानी पर ही निर्भर रहना पड़ता है। इसके पीछे असली कारण शहर के किसी भी सार्वजनिक स्थान अथवा चौक चौराहे पर पेयजल की सरकारी स्तर पर कोई भी व्यवस्था का नहीं होना है।

    वैसे गोपालगंज को जिले का दर्जा 2 अक्टूबर 1973 में मिला था। जिले का दर्जा मिलने के बाद यहां पेयजल आपूर्ति की स्थिति को ठीक करने के लिए जल मीनार की स्थापना की गई थी। वर्ष 1980 के दशक में यहां जलापूर्ति की व्यवस्था काफी ठीक थी। लोगों के घरों में पीने का शुद्ध पानी पहुंचता था।

    शहर के सभी प्रमुख पथ से लेकर चौक-चौराहे तक में पीने के लिए नल लगाए गए थे। सार्वजनिक स्थानों पर नल होने के कारण लोगों को शुद्ध पानी आसानी से मिल जाता था। 1995-96 तक यह व्यवस्था दुरुस्त रही, लेकिन समय के साथ शहर की आबादी बढ़ती गई।

    इस बीच नए निर्माण कार्य हुए और जलापूर्ति योजना के तहत लगाई गई पाइप भी जर्जर होकर टूटती चली गई। तब से पूरे जिले में जलापूर्ति की योजना ठप पड़ गई है। प्रशासनिक स्तर पर इस व्यवस्था को दुरुस्त करने की कवायद नहीं की गई। ऐसे में जिला मुख्यालय के लोगों को सार्वजनिक स्थान से लेकर चौक-चौराहों पर बगैर पैसा खर्च किए शुद्ध पानी नहीं मिल पा रहा है।

    कहीं भी नहीं दिखते नल

    जिला मुख्यालय में सार्वजनिक स्थानों पर कहीं भी नल नहीं दिखते हैं। आलम यह कि जिस शहर में दो दशक पूर्व तक जहां हर ओर नल दिख जाता था, आज कहीं भी नहीं उपलब्ध है। सरकारी कार्यालयों में पानी की आपूर्ति उस कार्यालय में लगाए गए पंप के सहारे ही होती है।

    शहर के अस्सी प्रतिशत घरों में भी निजी पंप के सहारे ही पानी की आपूर्ति होती है। सार्वजनिक स्थानों पर पानी की व्यवस्था कर पाने में लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण संगठन तथा नगर परिषद दोनों ही फेल नजर आता है। मुख्यमंत्री नल-जल योजना के तहत भी शहरी इलाके में जलापूर्ति योजना अब तक पूर्ण नहीं होना, इस समस्या का एक बड़ा कारण है।

    दिखावा साबित हो रहे हैंडपंप

    शहरी इलाके में सरकारी स्तर पर बड़े पैमाने पर हैंड पंप स्थापित किए जाने का दावा किया जाता है। विभाग यह भी दावा कर रहा है कि पेयजल आपूर्ति की व्यवस्था यहां ठीक है। लेकिन शहर के किसी भी इलाके में सार्वजनिक स्थान पर लगाए गए सरकारी हैंड पंप काम नहीं कर रहे हैं। जिसके कारण पीने के पानी के लिए लोगों को यहां-वहां भटकने की मजबूरी है।

    जिला मुख्यालय में विधायक मद से वर्ष 2019 में 40 स्थानों पर इंडिया मार्का हैंडपंप लगाए गए थे, लेकिन इनमें से 90 प्रतिशत से अधिक हैंड पंप जवाब दे चुके हैं। खराब पंप की मरम्मत नहीं होने के कारण यह स्थिति पैदा हुई है।

    लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग की ओर से स्थापित अधिकांश हैंड पंप के खराब होने के पीछे उनका उचित रखरखाव नहीं होना ही कारण बताया जाता है।