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    1.65 करोड़ का अस्पताल सिर्फ 'नाम का', ग्रामीण आज भी 15 किमी दूर जाने को मजबूर

    Updated: Wed, 03 Dec 2025 01:15 PM (IST)

    कुचायकोट के सिपाया में 1.65 करोड़ की लागत से बना प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र उद्घाटन के 11 महीने बाद भी शुरू नहीं हो पाया है। चिकित्सक और कर्मियों की कम ...और पढ़ें

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    1.65 करोड़ का अस्पताल सिर्फ नाम का

    संवाद सूत्र, कुचायकोट (गोपालगंज)। कुचायकोट प्रखंड के पूर्वी भाग के लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं देने की मंशा से सिपाया बाजार के पास करीब 1.65 करोड़ रुपये की लागत से बना अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (एपीएचसी) उद्घाटन के 11 माह बाद भी शोपीस बना हुआ है। न चिकित्सक तैनात हैं न अन्य कर्मी। 

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    स्थिति यह है कि स्वास्थ्य केंद्र का मुख्य द्वार लगभग हर दिन ताले में जकड़ा नजर आता है। ग्रामीणों ने बताया कि कभी-कभार सीएचसी के कुछ कर्मी भवन का औपचारिक निरीक्षण कर लौट जाते हैं, लेकिन नियमित चिकित्सा सेवाएं आज तक शुरू नहीं हुईं। 

    सिर्फ नाम का अस्पताल बनकर रह गया

    भवन निर्माण और आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध होने के बाद लोगों को उम्मीद थी कि छोटी-मोटी बीमारियों के लिए अब 8–15 किलोमीटर दूर स्थित कुचायकोट सीएचसी नहीं जाना पड़ेगा। मगर लगभग एक वर्ष बीतने के बावजूद यह केंद्र सिर्फ नाम का अस्पताल बनकर रह गया है। 

    तिवारी मटिहिनिया, काला मटिहिनिया, सिपाया टोला, दुर्गा मटिहिनिया, बखरी समेत आसपास की कई बस्तियों के लोग वर्षों से स्थानीय स्वास्थ्य सुविधा के अभाव से जूझ रहे हैं। 

    लगातार मांग के बाद स्वीकृत यह एपीएचसी 4 जनवरी को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा उद्घाटित किया गया था। समारोह में विभागीय अधिकारियों ने जल्द सेवाएं शुरू होने का भरोसा दिया था, लेकिन आज तक स्थिति जस की तस है। 

    अस्पताल में डॉक्टर और कर्मी नहीं

    ग्रामीणों का कहना है कि करोड़ों रुपये खर्च कर इतना बड़ा भवन तो खड़ा कर दिया गया, पर डॉक्टर और कर्मी नहीं। जरूरत पड़ने पर उन्हें अब भी लंबी दूरी तय करनी पड़ती है। कई बार गंभीर मरीजों को समय पर इलाज न मिल पाने से स्थिति बिगड़ जाती है। 

    इस संबंध में कुचायकोट सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के स्वास्थ्य प्रबंधक जितेंद्र सिंह ने बताया कि एपीएचसी सिपाया के लिए चिकित्सक नियुक्ति का प्रस्ताव जिला स्वास्थ्य कार्यालय को भेजा गया है। अन्य कर्मियों की तैनाती भी उपलब्धता के अनुसार जल्द की जाएगी। ग्रामीणों को उम्मीद है कि विभाग शीघ्र कदम उठाएगा और बंद पड़ा यह अस्पताल वास्तव में स्वास्थ्य सेवा का केंद्र बन सकेगा।