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    सैलरी के बदले टीचर से मांगी 8 लाख की रिश्वत, वायरल ऑडियो से शिक्षा विभाग में हड़कंप

    Updated: Sat, 06 Dec 2025 01:53 PM (IST)

    बिहार के शिक्षा विभाग में एक शिक्षक से वेतन जारी करने के बदले 8 लाख रुपये की रिश्वत मांगने का मामला सामने आया है। वायरल ऑडियो के बाद विभाग में हड़कंप ...और पढ़ें

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    वेतन के बदले रिश्वत। फाइल फोटो

    जागरण संवाददाता, गोपालगंज। शिक्षा विभाग में भ्रष्टाचार और धमकी का सनसनीखेज मामला सामने आया है, जिसमें वेतन भुगतान के एवज में आठ लाख रुपये रिश्वत मांगने का आरोप लगाया गया है।

    बरौली प्रखंड के खजुरिया पंचायत के प्राथमिक विद्यालय हलवाड़ में कार्यरत शिक्षक मोहम्मद ग्यासुद्दीन ने दावा किया है कि उच्च न्यायालय के आदेश के बाद उनका बाधित वेतन जारी तो किया गया, लेकिन उसके बदले विभाग के अधिकारियों ने भारी रकम की मांग कर डाली।

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    जानकारी के अनुसार, शिक्षक ग्यासुद्दीन का विभागीय दावोपेच के कारण वर्ष 2015 से वेतन रुका हुआ था। शिक्षक लगातार विभागीय कार्यालयों के चक्कर लगाते रहे, लेकिन समाधान नहीं मिला। मजबूर होकर उन्होंने न्यायालय की शरण ली, जहां से उच्च न्यायालय ने वेतन भुगतान का आदेश दिया।

    इसके बाद लंबे प्रयासों के बाद शिक्षक को करीब 22 लाख रुपये का बकाया वेतन स्वीकृत कर दिया गया। इसी बीच कई ऑडियो क्लिप सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है, जिसमें कथित रूप से डीपीओ स्थापना मो. साहेब आलम, उनके गाड़ी के चालक तथा क्लर्क बाबुजान अंसारी की आवाज बताई जा रही है।

    वायरल ऑडियो में शिक्षक से कहा जा रहा है कि वेतन तो हो गया, अब उसके बदले आठ लाख रुपये दे दो, नहीं तो परिणाम बुरा होगा। अलग-अलग वायरल ऑडियो क्लिप में कार्यालय में पैसे लेकर आने या गोपालगंज बाईपास रोड में मिलने समेत कई बात कही जा रही है।

    हालांकि दैनिक जागरण इस ऑडियो की पुष्टि नहीं करता, लेकिन वायरल होने के बाद जिले भर में यह चर्चा का विषय बन गया है। शिक्षक ने आरोप लगाया है कि रिश्वत न देने पर उन्हें लगातार धमकाया गया।

    शिक्षक के गंभीर आरोप

    उन्होंने बताया कि विभागीय अधिकारी और उनके सहयोगी कभी गाली-गलौज करते, तो कभी मुकदमा कर लेने और रिकवरी कार्रवाई शुरू करने की धमकी देते।

    पीड़ित शिक्षक का कहना है कि वेतन जारी होने के बावजूद आगे का वेतन रोक दिया गया और सर्विस बुक फिक्सेशन कराने जाने पर डीपीओ ने साफ इनकार कर दिया। थक-हारकर शिक्षक ने इस पूरे प्रकरण की जानकारी जिला शिक्षा पदाधिकारी योगेश कुमार को दी।

    बताया जाता है कि डीईओ ने मामले को गंभीरता से लेते हुए कार्रवाई का आश्वासन दिया है। उन्होंने शिक्षक का आगे का वेतन सुचारू करने और फिक्सेशन प्रक्रिया शुरू कराने की बात कही है। मामला तब और गर्मा गया जब वायरल ऑडियो की प्रति तिरहुत स्नातक क्षेत्र के विधान परिषद सदस्य बंशीधर ब्रजवासी के पास पहुंची।

    उन्होंने सदन में इस मुद्दे को जोरदार ढंग से उठाते हुए डीपीओ स्थापना, क्लर्क और ड्राइवर पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है। एमएलसी ने कहा कि शिक्षा विभाग में भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। शिक्षक शोषण के शिकार नहीं बन सकते।

    इस प्रकरण ने शिक्षा विभाग को कटघरे में खड़ा कर दिया है। जिले के शिक्षकों और अभिभावकों में नाराजगी है। अब सभी की निगाहें इस मामले की जांच और आगे होने वाली कार्रवाई पर टिकी हैं।

    वायरल ऑडियो की जांच शुरू

    जिला शिक्षा पदाधिकारी योगेश कुमार ने बताया कि वायरल ऑडियो एवं शिक्षक द्वारा लगाए गए आरोपों को अत्यंत गंभीरता से लिया गया है। उन्होंने कहा कि प्रारंभिक स्तर पर जांच प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। सभी संबंधित अधिकारियों एवं कर्मचारियों से स्पष्टीकरण मांगा जा रहा है।

    उन्होंने कहा जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके विरुद्ध नियमानुसार सख्त कार्रवाई की जाएगी। शिक्षक का बकाया और आगे का वेतन नियमानुसार सुचारू रूप से निर्बाध जारी किया जाएगा। किसी भी स्तर पर भ्रष्टाचार या उत्पीड़न बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

    शिक्षा मंत्री के गृह जिले में रिश्वतखोरी का मामला

    सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यह पूरा प्रकरण सूबे के शिक्षा मंत्री सुनील कुमार के गृह जिले में सामने आया है। इस कारण जिले में आक्रोश का स्तर और बढ़ गया है। स्थानीय लोग, शिक्षक संगठन और जनप्रतिनिधि अब सीधे शिक्षा मंत्री के हस्तक्षेप की अपेक्षा कर रहे हैं।

    लोगों का कहना है कि जब मंत्री के स्वयं के जिले में ऐसे मामले सामने आ रहे हैं, तो विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठना स्वाभाविक है। इस सनसनीखेज प्रकरण ने शिक्षा विभाग की पारदर्शिता, जवाबदेही और प्रशासनिक ईमानदारी पर बड़ा प्रश्नचिह्न लगा दिया है। अब जिले की निगाहें आगे होने वाली कार्रवाई और जांच की दिशा पर टिकी हैं।