Pitru Paksha 2025: 15 दिनों का होगा पितृपक्ष, पितरों की आत्मा की शांति को करें तर्पण
पितृपक्ष शुरू हो गया है जिसमें लोग अपने पूर्वजों को तर्पण और श्राद्ध के माध्यम से श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं। पंडित किशोर उपाध्याय के अनुसार पितृपक्ष भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा से आश्विन कृष्ण अमावस्या तक मनाया जाएगा। शास्त्रों में पितृ ऋण को उतारने के महत्व पर जोर दिया गया है और श्राद्ध के माध्यम से पितरों को प्रसन्न करने की बात कही गई है। अमावस्या को पितृ विसर्जन किया जाएगा।

जागरण संवाददाता, गोपालगंज। अश्विन के कृष्ण पक्ष में पूर्वजों के पूजन का पर्व पितृपक्ष प्रारंभ हो गया है। पितृपक्ष में लोग तर्पण कर पूर्वजों के प्रति श्रद्धा व्यक्त करने के साथ ही पितृ ऋण से मुक्ति की प्रार्थना करते हैं।
पूर्वजों का पूजन भी तिथि के अनुसार किया जाता है। इसी दिन तर्पण और श्राद्ध का विधान है। कुछ लोग सभी दिवसों में पितृ को जल देने की मान्यता का निर्वहन करते हैं। इस साल अमावस्या का अंतिम श्राद्ध 21 सितंबर को होगा।
पंडित किशोर उपाध्याय ने बताया कि भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा का आगमन 07 सितंबर को रात 11.38 बजे हो रहा है। इसी दिन यानी 08 सितंबर दिन से महालया शुरू होगा व लोग पितरों को तर्पण देना शुरू करेंगे।
पूर्णिमा से अमावस्या तक 15 दिन जल देने का विधान है। उन्होंने बताया कि भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा से शुरू होकर आश्विन कृष्ण अमावस्या तक कुल 15 दिन पितृपक्ष मनेगा। जिसमें पितरों का तर्पण व श्राद्ध कार्यक्रम होगा।
उन्होंने बताया कि शास्त्रों में सभी मनुष्यों के लिए तीन ऋण देव, ऋषि व पितृ ऋण बतलाए गए हैं। इनमें श्राद्ध के द्वारा पितृ ऋण का उतारना आवश्यक है। क्योंकि जिस पिता ने हमारी आयु, आरोग्य और सुख-सौभाग्य आदि की अभिवृद्धि के लिए अनेक प्रयत्न या प्रयास किए उनके ऋण से मुक्त न होने पर हमारा जन्म ग्रहण करना निरर्थक होता है।
वर्ष भर में पिता की मृत्यु तिथि को सर्वसुलभ जल, तिल, जौ, कुश और पुष्प आदि से उनका श्राद्ध संपन्न करने और गोग्रास देकर एक, तीन या पांच आदि ब्राह्मणों को भोजन करा देने मात्र से ऋण उतर जाता है।
जिस मास की जिस तिथि को पिता की मृत्यु हुई हो उस तिथि को श्राद्ध करने के अलावा आश्विन कृष्ण (महालया) पक्ष में भी उसी तिथि को श्राद्ध ,तर्पण, गोग्रास व ब्राह्मण भोजन कराना आवश्यक है। इससे पितृगण प्रसन्न होते हैं और हमारा सौभाग्य बढ़ता है। अंतिम तिथि को अमावस्या श्राद्ध के साथ-साथ पितृ विसर्जन किया जाएगा।
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