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    अप्रैल मे ही सूख गई आठ में से चार नदियां

    By JagranEdited By:
    Updated: Thu, 06 Apr 2017 03:08 AM (IST)

    फोटो फाइल : 5 जीपीएल 25 व 26 फोटो कैप्शन : सूखी धमई नदी व शहर से गुजर रही नदी में गंदा ...और पढ़ें

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    अप्रैल मे ही सूख गई आठ में से चार नदियां

    फोटो फाइल : 5 जीपीएल 25 व 26

    फोटो कैप्शन : सूखी धमई नदी व शहर से गुजर रही नदी में गंदा पानी

    :जल संरक्षण:

    - दावों में सिमट गया नदियों की सफाई का अभियान

    - गंडक में जमे गाद से हर साल आ रही बाढ़

    जागरण संवाददाता, गोपालगंज : नदियों के गाद की सफाई के दावे तो लंबे समय से किए जाते हैं, लेकिन दावे धरातल पर नहीं उतर सके। नदियों के गाद की सफाई का मामला जहां का तहां पड़ा हुआ है। नदियां गाद से भरी पड़ी हैं। ऐसे में गर्मी की शुरुआत में ही जिले की सीमा से होकर बहने वाली आठ में से चार नदियां सूख गई हैं और एक और नदी सूखने के कगार पर पहुंच गई है। आलम यह कि वर्तमान समय में यहां से प्रवाहित होने वाली छोटी-बड़ी आठ नदियों में से ऐसी एक भी नदी नहीं है, जिसकी सफाई पिछले चार दशक के दौरान हुई हो। हां, इसके लिए प्लान जरूर बना है। लेकिन चाहे गंडक नदी में फंसे गाद की सफाई का मामला हो या अन्य नदियों के सिल्ट की सफाई का, यह प्लान धरातल पर नहीं उतर सका है। ।

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    वैसे यह जिला नदियों व पानी के मामले में धनी है। एक जमाना था कि जिले के किसी भी कोने में बीस फिट की गहराई पर पानी उपलब्ध था। तब यहां से बहने वाली तमाम नदियों में सालों भर पानी रहता था। समय के साथ गर्मी के समय में नदियां सूखने लगीं और इसका असर जलस्तर नीचे गिरने के रूप में सामने आया है। आज आलम यह है कि जलस्तर पांच से आठ फीट नीचे जा चुका है। यह स्थिति जिले के हरेक इलाके में है। बावजूद इसके इस ओर प्रशासनिक स्तर पर ध्यान नहीं दिया गया। ऐसे में यहां जलस्तर में लगातार आ रही गिरावट समस्या का रूप लेती जा रही है। जो भविष्य के लिए संकट से कम नहीं है।

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    कागज पर सिमट गया सफाई अभियान

    गोपालगंज : ऐसी बात नहीं कि नदियों की सफाई के लिए कोई प्लान नहीं बना हो। हर साल बाढ़ की तबाही मचा रही गंडक नदी के गाद की सफाई के लिए चार साल से प्लान बन रहा है। लेकिन बात प्लान बनाने से आगे नहीं बढ़ी। छोटी नदियों की सफाई के लिए तो कोई प्लान बना ही नहीं है।

    इनसेट

    नदी तट पर स्थापित औद्योगिक इकाई

    गोपालगंज : नदियों में फैली गंदगी को दूर करने के लिए सरकारी स्तर पर औद्योगिक इकाइयों को नदी तट से दूर बसाने की बातें कहीं गई। लेकिन आज भी तमाम चीनी मिलें नदी के तट पर ही स्थित हैं। सासामुसा स्थित चीनी मिल दाहा (बाणगंगा) नदी के किनारे ही स्थित है। इसी प्रकार गोपालगंज शहर स्थित छाड़ी नदी में चीनी मिल का गाद गिरता है। यूपी से बिहार आने वाली खनुआ नदी में प्रतापपुर चीनी मिल का गाद गिरता है। ऐसे में नदियों में लगातार गिरते गाद के कारण दाहा, छाड़ी व खनुआ नदी में शिल्ट जमा हो गया है।

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    नदी में ही गिरता है कचरा

    गोपालगंज : शहरी इलाके का कचरा नदियों में ही गिरता है। इस बात का पुख्ता प्रमाण जिला मुख्यालय से गुजरने वाली छाड़ी नदी है। चार दशक पूर्व तक छाड़ी नदी का जल काफी स्वच्छ था। जिला मुख्यालय की स्थापना के साथ ही गोपालगंज शहरी क्षेत्र का गंदा पानी इसी नदी में गिरने लगा। ऐसे में आज यह नदी कम और नाला अधिक हो गई है।

    इनसेट

    जल शोधन की नहीं है व्यवस्था

    गोपालगंज : जिले की नदियां गाद से भरी पड़ी हैं। हालत यह कि नदियों का गर्भ उनके पुराने स्तर से छह से आठ फीट ऊंचा हो गया है। नदियों के जल में गंदगी की जांच के लिए जल शोधन की भी कोई व्यवस्था नहीं है। और ना ही गंदे नदी जल को शुद्ध करने के दिशा में सरकारी स्तर पर कोई प्रयास ही किए गए हैं।

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    क्या कहते हैं आम लोग

    गोपालगंज : शहर के पुरानी चौक निवासी अखिलेश्वर प्रसाद कहते हैं कि नदियों में फैली गंदगी को साफ करने के दिशा में कोई भी प्रयास नहीं किया गया है। नदियां हमारी संस्कृति की पहचान है। ऐसे में इन्हें बचाने के दिशा में सार्थक पहल की जरूरत है। सासामुसा के परमात्मा ¨सह कहते हैं कि नदियां हमारे धर्म व संस्कृति की पहचान हैं। ऐसे में नदियों के अस्तित्व को बचाने के दिशा में आम लोगों को भी कारगर प्रयास करना होगा। बगैर सामूहिक प्रयास से नदियों को बचाना संभव नहीं है।

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    क्या कहते हैं पर्यावरण विद

    हमारी संस्कृति की पहचान बनी नदियों के बचाव के लिए हर व्यक्ति को सार्थक पहल करनी होगी। इसके लिए सरकारी स्तर पर भी प्लान बनाने की दरकार है। ताकि नदियों को रक्षा की जा सके। अगर नदियों के गाद की सफाई नहीं की गई तो पर्यावरण का काफी नुकसान होगा।

    मदन मोहन शास्त्री

    पर्यावरण विशेषज्ञ