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    मनरेगा में 100 दिन रोजगार की गारंटी अधूरी, पांच साल में 600 लोगों को भी नहीं मिला पूरा काम

    Updated: Wed, 15 Oct 2025 01:21 PM (IST)

    गोपालगंज में मनरेगा योजना के तहत 100 दिन के रोजगार की गारंटी पूरी नहीं हो पा रही है। पिछले पांच सालों में, औसतन 48 से 60 हजार लोगों की मांग के बावजूद, 600 लोगों को भी 100 दिन का काम नहीं मिला। वर्ष 2024-25 में केवल 513 लोगों को यह काम मिला। जॉब कार्ड धारकों का कहना है कि कुछ ही लोगों को काम मिल पाता है और मजदूरी भी कम है।

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    मनरेगा में 100 दिन रोजगार की गारंटी अधूरी

    मिथिलेश तिवारी,गोपालगंज। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) में सौ दिनों के काम की गारंटी दी जाती है। इसके बाद भी यहां मांगे जाने पर भी लोगों को सौ दिनों का काम नहीं मिल पाता। 

    आंकड़े गवाह हैं कि पिछले पांच साल में किसी भी वर्ष योजना के तहत छह सौ लोगों को भी सौ दिन काम नहीं दिया गया। हां, इस अवधि में औसतन प्रत्येक वर्ष 48 से 60 हजार लोगों ने काम की मांग जरूर की।

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    दस लोगों को भी सौ दिनों का काम नहीं 

    पिछले पांच साल के मनरेगा आंकड़े ही विभाग को आईना दिखाने के लिए काफी हैं। इस योजना की शुरुआत के पीछे सरकार की मंशा ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को कम-से-कम 100 दिनों का रोजगार दिलाना रहा है, लेकिन धरातल पर स्थिति कुछ और ही नजर आ रही है। 

    वर्ष 2024-25 में विभाग महज 513 लोगों को ही सौ दिनों का काम उपलब्ध कराया है। आलम यह कि पिछले वर्ष जिले के 14 प्रखंडों में दो प्रखंड ऐसे रहे, जहां दस लोगों को भी सौ दिनों का काम नहीं मिला। इसमें सिधवलिया व विजयीपुर प्रखंड शामिल रहे।

    3,43,596 लोगों को उपलब्ध कराया गया जॉब कार्ड

    आंकड़ों के अनुसार, इस योजना के तहत ग्रामीण इलाकों में रहने वाले बेरोजगार 3,43,596 लोगों के जाब कार्ड बनाए गए हैं। इस कार्ड के माध्यम से ही काम दिया जाता है। योजना मद में पर्याप्त राशि भी उपलब्ध है। 

    इसके बावजूद बेरोजगारों के समक्ष रोजगार के लाले पड़े हुए हैं। एक ही दशा प्रत्येक प्रखंड की है। ऐसी स्थिति तब भी रही जब 2024-25 में 68,033 लोगों ने काम की मांग की। 

    पिछले वित्तीय वर्ष में जिले के कुचायकोट प्रखंड में सबसे अधिक 143 लोगों को सौ दिनों का काम उपलब्ध कराया गया है।

    वर्ष 2022-23 में 364 लोगों को मिला था सौ दिन काम

    सौ दिन का काम देने के मामले में ग्रामीण विकास विभाग पूरी तरह से फिसड्डी रहा है। आंकड़े बताते हैं कि वित्तीय वर्ष 2022-23 में मात्र 364 लोगों को सौ दिनों का काम मिला था। 

    इसी प्रकार वर्ष 2021-22 में 309, 2020-21 में 216 तथा 2019-20 में 191 लोगों को सौ दिनों का काम उपलब्ध कराया गया।

    2023-24 में 593 लोगों को मिला था सौ दिन काम

    आंकड़े बताते हैं कि वित्तीय वर्ष 2023-24 में मात्र 593 लोगों को सौ दिनों का काम मिला था। इस वर्ष 48,293 लोगों काम की मांग की थी। इसके बाद भी विभाग सौ दिनों का काम उपलब्ध कराने में पिछड़ गया। 2024-25 में तीन प्रखंडों में दस लोगों को भी सौ दिनों का काम उपलब्ध नहीं कराया जा सका।

    2025-26 में अब तक महज 87 को सौ दिन काम

    आंकड़े बताते हैं कि वर्तमान वित्तीय वर्ष 2025-26 के शुरुआती 197 दिनों में मात्र 87 लोगों को सौ दिनों का काम मिल सका है। इस वर्ष भी अब तक 48,591 लोगों ने आवेदन देकर काम की मांग की है।

    कुछ चिह्नित लोगों को ही मिलता काम

    जॉब कार्ड धारक भी मनरेगा की योजना पर सवाल उठाते हैं। कुचायकोट प्रखंड के जॉब कार्ड धारक महाश्रय गोड़ कहते हैं कि यहां अधिकारियों की मंशा कुछ चिह्नित लोगों को ही काम उपलब्ध कराने का है। इसी प्रखंड के राजू साह, रामप्रवेश बैठा, रघुनी खटिक आदि का कहना है कि एक तो मनरेगा के तहत मजदूरी कम मिलती है। 

    दूसरी ओर काम के लाले भी पड़े रहते हैं। फुलवरिया के वीरेंद्र महतो ने बताया कि प्रखंड के जॉब कार्ड धारकों को सौ दिनों का काम मिले, इस ओर किसी की नजर नहीं है।