कचरों से घिरा गोपालगंज: 5 नगर निकायों से 200 ट्रॉली कचरा हर दिन शहर में किया जा रहा डंप, बीमारी की बढ़ी संभावनाएं
गोपालगंज के पांच नगर निकायों का कचरा नागरिकों के लिए बड़ी समस्या बन गया है। उचित प्रबंधन के अभाव में कचरा फैला रहता है और आग लगने से दुर्घटना का खतरा बढ़ गया है। स्थानीय लोग प्रशासन की निष्क्रियता से नाराज हैं, क्योंकि कचरा निस्तारण के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं।

पांच नगर निकायों से निकालने वाला कचरा आम लोगों के लिए बड़ी मुसीबत। फोटो जागरण
मिथिलेश तिवारी, गोपालगंज। व्यवस्था तो बनी है कचरे के उचित निस्तारण की। इसके लिए सरकार ने कचरे के उचित निस्तारण व कचरा प्रबंधन की व्यवस्था नगर निकायों में लागू करने का निर्देश दिया है।
इसके बावजूद जिले के पांच शहरी इलाकों में यह व्यवस्था अबतक लागू नहीं हो सकी है। यहां अब भी गोपालगंज, मीरगंज, हथुआ, बरौली तथा कटेया नगर निकाय क्षेत्र में कचरे को एक स्थान से उठाकर दूसरे स्थान पर डालने की व्यवस्था चल रही है।
नगर निकाय क्षेत्र से निकले कचरे को हाइवे व अन्य सड़क के किनारे डंप किया जाता है। हद तो तब हो जाती है, जब कचरे में कई बार आग लगा दी जाती है। ऐसे में आग से निकले धुएं से हाइवे से होकर गुजरने वाले वाहनों के साथ दुर्घटना की संभावनाएं प्रबल हो जाती है।
बात जिला मुख्यालय से शुरू करें तो गोपालगंज नगर परिषद क्षेत्र में कचरा के रख रखाव के लिए नगर निकाय के स्तर पर अच्छी व्यवस्था दिखती है। कई चौक-चौराहे पर सूखा कचरा व गीला कचरा के लिए अलग-अलग डस्टबिन लगा हुआ है।
इस व्यवस्था को देखकर बाहर से नगर परिषद गोपालगंज में व्यवस्था ठीक नजर आती है। जब बात कचरे के उठाव की आती है, तब नगर निकाय के स्तर पर सूखे व गीले कचरे के साथ कोई भी भेदभाव नहीं दिखता।
दोनों कचरे को एक ही ट्राली पर रखने के बाद उन्हें दूसरे इलाके में ले जाकर ठिकाने लगा दिया जाता है। कचरे को शहर से उठाने के बाद शहर से दूर ले जाया जाता है और सड़क के किनारे गिरा दिया जाता है। यह व्यवस्था नगर निकास क्षेत्र में पिछले पांच दशक साल से चल रही है।
सिकमी, दुलदुलिया, छवहीं व बाइपास के समीप गिर रहा कचरा
जिला मुख्यालय से निकलने वाला कचरा नगर परिषद नियम को ताक पर रखकर एनएच-27 के किनारे मांझागढ़ थाना क्षेत्र के सिकमी, दुलदुलिया व छवहीं गांवों के अलावा गोपालगंज-मीरगंज बाइपास पर गिरा दिया गया है।
कचरा गिराए जाने के बाद उससे उठने वाली बदबू आसपास के गांव के लोगों को परेशान करती है। इस इलाके के लोग बताते हैं कि प्रत्येक दिन 40 ये 50 ट्राली कचरा इन गांवों के आसपास गिरता है। इसके अलावा 10 से 12 ट्राली कचरा अन्य स्थानों पर गिराया जाता है।
संदली के समीप डाला जा रहा बरौली का कचरा
वर्ष 2021 में बरौली नगर पंचायत को नगर परिषद का दर्जा देने के साथ ही यहां वार्ड की संख्या बढ़ाकर 21 से 25 कर दी गई। इसके बाद भी बरौली नगर परिषद क्षेत्र की व्यवस्था में कोई भी बदलाव नहीं आया है। आज भी इस नगर परिषद क्षेत्र का कचरा उठाकर संदली गांव के समीप बनाए गए डंपिंग प्वाइंट पर डाल दिया जाता है।
नरइनिया के समीप फेंका जा रहा मीरगंज का कचरा
लंबे समय से मीरगंज नगर परिषद क्षेत्र के कचरे को उठाकर नरइनिया रेलवे ढाला के समीप डालने का खेल चल रहा है। हद तो यह कि यह इलाका भी नगर निकाय क्षेत्र के अधीन ही आता है। लंबी अवधि बीतने के बाद भी कचरा निस्तारण की व्यवस्था इस नगर क्षेत्र में नहीं होने पर स्थानीय लोग सवाल उठा रहे हैं।
कटेया में नहीं है कचरा प्रबंधन की व्यवस्था
उत्तर प्रदेश की सीमा से लगे कटेया नगर पंचायत क्षेत्र में कचरा प्रबंधन की व्यवस्था अब तक लागू नहीं हो सकी है। इस नगर पंचायत क्षेत्र में कचरे को एक स्थान से उठाकर दूसरे स्थान पर डालने का खेल जारी है। इस नगर पंचायत क्षेत्र में कचरा निकालने के बाद नगर पंचायत क्षेत्र में ही सोता नदी के किनारे खाली स्थान पर डाल दिया जाता है।
कचरे से उठते धुएं से दुर्घटना की आशंका
नगर परिषद क्षेत्र से उठाए गए कचरे को हाइवे किनारे फेंके जाने के बाद इससे उठते दुर्गंध से बचने के लिए कचरे में आग लगाने की व्यवस्था हाल में प्रारंभ की गई है।
कचरे में आग लगाए जाने के कारण इससे उठता धुआं हाइवे तथा आसपास के इलाके में फैलने लगता है। ऐसे में कचरे से उठते धुएं के कारण हाइवे से गुजर रहे वाहनों के साथ दुर्घटना की संभावनाएं बनी रहती हैं। इससे प्रदूषण भी दूषित हो रहा है।
उठ रही कचरा के उचित प्रबंधन की मांग
कचरा प्रबंधन की व्यवस्था सटीक नहीं होने से अब लोग कचरा के उचित प्रबंधन की मांग कर रहे हैं। नगर निकाय क्षेत्रों के डा. शिबू तिवारी, लाल बहादुर राय, परमेश्वर प्रसाद तथा मोहन लाल आदि ने बताया कि ग्राम पंचायतों में कचरा प्रबंधन की उचित व्यवस्था की जा रही है।
ऐसे में शहरी इलाकों में कचरा के उठाव का बाद उसके प्रसंस्करण की व्यवस्था की जानी चाहिए। इससे समस्या का समाधान हो सकेगा। प्रशासन तथा सरकार को कचरा प्रबंधन के लिए प्रसंस्करण इकाई की स्थापना की जानी चाहिए।

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