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    गोपालगंज में वाहन चोरों का तांडव, हर 48 घंटे में एक बाइक उड़ रही, पुलिस की पोल खुली

    Updated: Mon, 10 Nov 2025 01:39 PM (IST)

    गोपालगंज जिले में वाहन चोरी की वारदातें लगातार बढ़ रही हैं। शहरी और ग्रामीण इलाकों में चोर सक्रिय हैं और पुलिस इन पर लगाम लगाने में नाकाम साबित हो रही है। इस साल 153 बाइक और दो दर्जन से ज्यादा गाड़ियां चोरी हो चुकी हैं। कलेक्ट्रेट परिसर जैसे सुरक्षित जगहों पर भी चोरी हो रही है, जिससे पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठ रहे हैं। हर 48 घंटे में एक वाहन चोरी हो रहा है और ज्यादातर मामले अनसुलझे हैं।

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    वाहन चोरों का आतंक

    जागरण संवाददाता, गोपालगंज। जिले के शहरी व ग्रामीण इलाकों से वाहन चोरी का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। चोरों के आगे नगर थाना सहित सभी थानों की पुलिस लाचार दिख रही है। वाहन चोरों का पता नहीं लगा पाने से अब पुलिस की कार्यप्रणाली पर लोग उंगली उठाने लगे हैं। चोर किसी न किसी इलाके में हर दिन में वाहन उड़ा ले जा रहे हैं। सरकारी कर्मी तक वाहन चोरों के निशाने पर हैं।

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    इस साल जनवरी से लेकर अक्टूबर माह की अवधि के 305 दिनों में चोरों ने जिले के विभिन्न इलाकों से 153 बाइक चोरी की घटनाओं को अंजाम दिया। दो दर्जन से अधिक चारपहिया वाहन भी इस अवधि में चोरी की घटनाएं हुईं। इसके बावजूद पुलिस वाहन चोरी के बढ़ते मामले पर लगाम लगाने की कारगर व्यवस्था नहीं कर सकी है। 

    वाहन चोरों की सक्रियता काफी बढ़ गई

    शहरी क्षेत्र से लेकर ग्रामीण इलाकों में वाहन चोरों की सक्रियता काफी बढ़ गई है। आलम यह है कि जिला मुख्यालय में कलेक्ट्रेट परिसर के वाहन सुरक्षित नहीं है। कलेक्ट्रेट परिसर से लेकर अस्पताल चौक, पोस्ट ऑफिस चौक, चिराई घर के आसपास इस साल अभी तक अकेले इसी क्षेत्र में डेढ़ दर्जन से अधिक वाहनों की चोरी हो चुकी है। 

     प्रत्येक 48 घंटे में वाहन चोरी की कोई न कोई घटना

    आंकड़े बताते हैं कि पूरे जिले में इस साल प्रत्येक 48 घंटे में वाहन चोरी की कोई न कोई घटना हुई है। दो-चार मामलों को छोड़ अधिकांश मामलों का पर्दाफाश कर पाने में पुलिस अबतक विफल रही है। 

    जिला मुख्यालय के साथ ही सुदूर ग्रामीण इलाकों में भी वाहन चोरी के मामले बढ़ते जा रहे हैं। हद तो यह कि कई वाहन चोरी के मामलों में चोरों का पता लगा पाने में विफल रहने पर पुलिस घटना को सत्य, लेकिन सूत्रहीन बताकर जांच बंद कर दे रही है। ऐसे में कई चोरी के मामले पुलिस की फाइलों में ही दफन होकर रह जाते हैं।