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    बिहार के इस जिले में 212 दिनों में 140 सड़क दुर्घटनाएं, 121 लोगों की गई जान

    Updated: Sun, 17 Aug 2025 03:25 PM (IST)

    गोपालगंज में यातायात नियमों के उल्लंघन से सड़क दुर्घटनाएं बढ़ रही हैं। इस साल 140 दुर्घटनाओं में 121 लोगों की जान गई। जागरूकता अभियान के बावजूद कमी नहीं आ रही। अधूरे सड़क निर्माण ओवरलोड वाहन और तेज गति से वाहन चलाना मुख्य कारण हैं। यातायात पुलिस नियमित जांच कर रही है लेकिन सीट बेल्ट का उपयोग अभी भी कम है।

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    बिहार के गोपालगंज में बढ़ रही सड़क दुर्घटनाएं। (जागरण)

    जागरण संवाददाता, गोपालगंज। यातायात को लेकर नियम निर्धारित किया गया है। निर्धारित नियम के तहत वाहनों का परिचालन किए जाने का निर्देश है। इसके बावजूद यहां नियम हर दिन टूटते दिखते हैं।

    इसके अलावा आधी-अधूरी सड़क निर्माण, डिवाइडर तथा फर्राटा भरते वाहन हादसों का कारण बनते हैं। सड़क दुर्घटनाओं की संख्या तमाम निर्देशों के बावजूद बढ़ती जा रही है।

    इस साल में शुरुआती 212 दिनों (जनवरी से जुलाई तक) के आंकड़ों को देखें तो इस अवधि में 140 सड़क दुर्घटनाएं हुईं। इस बीच 121 लोगों की जान चली गई और 129 लोग गंभीर रूप से घायल हुए।

    हर साल यातायात नियमों के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए प्रशासनिक स्तर पर सड़क सुरक्षा सप्ताह मनाया जाता है। इसके बाद भी सड़क हादसों में अपेक्षित कमी नहीं आ रही है।

    आधे-अधूरे सड़क निर्माण व ओवरलोड वाहन सड़क हादसों के सबसे प्रमुख कारण हैं। वाहन चलाने में यातायात के नियमों का पालन नहीं होना व फर्राटा भरते वाहनों के कारण भी दुर्घटनाएं होती हैं।

    इसके बावजूद प्रशासनिक स्तर पर ब्लैक स्पाट व अवैध कट सहित अन्य स्थानों पर दुर्घटनाओं को रोकने की दिशा में अपेक्षित प्रबंध अब तक नहीं किया गया है।

    प्रारंभ हुई यातायात नियमों की नियमित जांच

    लगातार बढ़ रही सड़क दुर्घटनाओं को देखते हुए यातायात के नियमों की नियमित जांच प्रारंभ की गई है।

    यातायात पुलिस के स्तर पर हर दिन हेलमेट व सीट बेल्ट के उपयोग के लिए जिला मुख्यालय से लेकर ग्रामीण इलाकों तक में अभियान चलाया जा रहा है। प्रशासनिक स्तर पर यह अभियान कुछ चिह्नित प्रखंडों में विशेष रूप से चलाने का निर्देश दिया है, ताकि दुर्घटनाओं पर लगाम लगाई जा सके।

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    नहीं होता सीट बेल्ट का उपयोग

    यहां बड़ी की संख्या में चार पहिया वाहन सड़क पर फर्राटा भरते हैं। 50 प्रतिशत तक चारपहिया वाहन में सीट बेल्ट का इस्तेमाल नहीं किया जाता।

    जांच वाले इलाकों में वाहन चालक सीट बेल्ट का उपयोग करने के बाद उसे हटा देते हैं। हद तो यह कि अधिकारी भी जिस वाहन का उपयोग करते हैं, उनमें से भी कई वाहनों में निर्धारित मानक का उपयोग होता नहीं दिखता।

    हाइवे पर निर्धारित किए गए हैं कई डेंजर जोन

    जिले के बीचोंबीच से होकर गुजरने वाले राष्ट्रीय उच्च पथ पर सरपट चाल ही सपना बना हुआ है। डिवाइडर, पार्किंग स्लाट से लेकर कलर लाइट रिफ्लेक्टर्स की बात करना हाइवे के कुछ इलाकों भी बेमानी है।

    आबादी वाले शहरी इलाके में बनाए जाने वाले कई ओवरब्रिज अधूरे पड़े हैं। ऐसे में लोग जान हथेली पर लेकर सड़क पर चलते है और ईश्वर का नाम लेकर उसे पार करते हैं।