Gopalganj News: बूंदाबांदी ने बढ़ाई किसानों की चिंता, धान के साथ रबी की फसलों पर भी मंडरा रहे संकट के बादल
गोपालगंज में हुई बूंदाबांदी ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है। धान की फसल को नुकसान का खतरा है, और रबी की फसलें भी प्रभावित हो सकती हैं। खेतों में पानी भरने से फसलें सड़ने का डर है। मौसम विभाग ने आने वाले दिनों में और बारिश की संभावना जताई है, जिससे किसानों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। किसानों को अपनी फसलों को बचाने के लिए उपाय करने की सलाह दी गई है।
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बूंदाबांदी से धान की फसलों के साथ रबी की फसलें भी प्रभावित। फोटो जागरण
मनोज कुमार राय, कुचायकोट (गोपालगंज)। मौसम के बदलते मिजाज ने एक बार फिर किसानों की चिंता बढ़ा दी है। मंगलवार की तड़के से जिले में आसमान में बादल छा गए और कई इलाकों में रुक-रुक कर बूंदाबांदी होती रही।
पहले से ही जलजमाव और अतिवृष्टि की मार झेल रहे किसान अब नई फसल को लेकर असमंजस में हैं। ग्रामीण इलाकों में किसानों का कहना है कि यदि दोबारा तेज बारिश हुई, तो धान की बची-खुची फसल पूरी तरह बर्बाद हो जाएगी।
भारी वर्षा ने पहले ही किसानों को पहुंचाया नुकसान
पिछले महीने आए चक्रवाती तूफान और भारी वर्षा से पहले ही किसानों की धान की फसल को काफी नुकसान पहुंचा था। जिन खेतों में फसल तैयार थी, वहां जलजमाव के कारण कटाई संभव नहीं हो पाई।
कुछ किसानों ने कठिन परिस्थितियों में सीमित मात्रा में धान की कटाई तो की, लेकिन अब मेंथा तूफान के असर से फिर मौसम बिगड़ने की आशंका ने उनकी चिंताओं को दोगुना कर दिया है। निचले इलाकों में पहले से जलभराव की स्थिति बनी हुई है।
बूंदाबांदी से खेतों में नमी और जलभराव की स्थिति
इससे न केवल धान की फसल को नुकसान हुआ है बल्कि अब रबी और तिलहन फसलों की बुवाई भी संकट में है। किसानों को उम्मीद थी कि अगर खेतों से पानी सूख जाए तो वे देर से ही सही, गेहूं, चना, मसूर और सरसों जैसी फसलों की बुवाई कर सकेंगे।
लेकिन लगातार हो रही बूंदाबांदी से खेतों में नमी और जलभराव की स्थिति कायम है, जिससे यह संभावना भी कमजोर होती जा रही है। जिन किसानों ने धान की कटाई कर ली है, लेकिन डोरी नहीं करा पाए हैं, उनके लिए भी यह मौसम भारी साबित हो सकता है। नमी और बारिश के चलते खेतों में पड़ी फसल सड़ने की स्थिति में पहुंच सकती है।
बारिश हुई तो रबी और तिलहन की फसलों पर पड़ेगा प्रतिकूल प्रभाव
कृषि विज्ञान केंद्र सिपाया के कृषि वैज्ञानिक डॉ. अभिषेक राणा ने बताया कि किसान पहले से ही अतिवृष्टि की मार झेल रहे हैं। यदि आने वाले दिनों में पुनः वर्षा हुई तो यह न केवल तैयार फसलों के लिए हानिकारक होगी, बल्कि रबी और तिलहन की बुवाई पर भी प्रतिकूल प्रभाव डालेगी।
उन्होंने किसानों को सलाह दी कि वे मौसम पूर्वानुमान पर नजर रखें और खेतों में जल निकासी की समुचित व्यवस्था सुनिश्चित करें, ताकि नुकसान को कम किया जा सके।
लगातार बदलते मौसम और बार-बार की वर्षा ने किसानों की मेहनत पर पानी फेर दिया है। अब उनकी निगाहें आसमान की ओर टिकी हैं कि कब बादल छटें और खेतों में फिर से नई उम्मीदें अंकुरित हों।

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