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    Bihar Politics: इस सीट पर समीकरण जटिल, अगर NDA का तालमेल बिगड़ा तो विपक्ष को मिलेगा लाभ

    गोपालगंज जिले का बैकुंठपुर विधानसभा क्षेत्र बाढ़ से प्रभावित है और राजनीतिक रूप से भी महत्वपूर्ण है। यहां गठबंधन की राजनीति का गहरा प्रभाव रहा है। 2020 के चुनावों में राजग में भीतरघात के कारण राजद के प्रेम शंकर प्रसाद ने जीत हासिल की। क्षेत्र में विकास कार्यों के लिए मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने भी दौरा किया है।

    By Manish kumar Edited By: Rajat Mourya Updated: Thu, 21 Aug 2025 05:06 PM (IST)
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    बाढ़ की त्रासदी और गठबंधन की राजनीति, बैकुंठपुर का दोहरा संघर्ष

    मनीष कुमार, गोपालगंज। मैं बैकुंठपुर विधानसभा क्षेत्र हूं। पूर्वी चंपारण, मुजफ्फरपुर, सिवान और सारण जिले की सीमा पर, गंडक नदी के किनारे बसा हुआ। हर साल बाढ़ की विभीषिका झेलना मेरी नियति है। मेरी बड़ी आबादी जलभराव और विस्थापन की समस्या से जूझती है।

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    मेरी पहचान सिर्फ बाढ़ से नहीं है। चुनावी राजनीति में मैं अक्सर चर्चा में रहता हूं, क्योंकि मेरे यहां हार-जीत का कारण भीतरघात से ज्यादा गठबंधन धर्म निभाना या तोड़ना होता है। यही वजह है कि मैं राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के लिए फिर चुनौती बना हूं।

    विधानसभा चुनाव 2020 में भारतीय जनता पार्टी (राजग समर्थित) ने अपने सीटिंग कैंडिडेट मिथिलेश तिवारी पर भरोसा जताया, लेकिन जनता दल यूनाइटेड (राजग समर्थित) से टिकट की दावेदारी कर रहे पूर्व विधायक मंजीत सिंह नाराज होकर निर्दलीय मैदान में उतर आए।

    इस बगावत ने गठबंधन धर्म के साथ ही मेरा परंपरागत राजग वोट बैंक तोड़ दिया। नतीजा यह हुआ कि महागठबंधन समर्थित राजद को सीधा फायदा मिला और प्रेम शंकर प्रसाद मेरे मतदाताओं की पसंद बनकर विधानसभा पहुंचे। दिलचस्प यह रहा कि चुनाव खत्म होते ही मंजीत सिंह फिर से जदयू में लौट आए।

    आज भी वही समीकरण है। भाजपा से मिथिलेश तिवारी टिकट की दौड़ में हैं और जदयू से मंजीत सिंह अपनी दावेदारी जता रहे हैं। दोनों ही पूर्व विधायक हैं और भाजपा व जदयू एकसाथ राजग में। सवाल वही पुराना है। क्या इस बार राजग भीतर से मजबूत रह पाएगा, या फिर कोई नई दरार विपक्ष को मौका देगी?

    मैं जानता हूं, मेरे मतदाता सिर्फ नेताओं के नाम पर भरोसा नहीं करते। यहां का फैसला गठबंधन की मजबूती और तालमेल पर टिका रहता है। अगर राजग भीतर से कमजोर पड़ा, तो उसका असर सीधे मेरे नतीजों में दिखेगा और विपक्ष को बढ़त मिल जाएगी। मैं बैकुंठपुर हूं। गंडक की बाढ़ में डूबता, मगर लोकतंत्र की धारा में हमेशा तैरता। यहां सत्ता की कुर्सी का रास्ता सिर्फ गठबंधन से नहीं, बल्कि जनता के भरोसे से होकर गुजरता है।

    विकास योजनाओं से लेकर राखी के रिश्ते तक

    मेरी अहमियत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इस साल ही मेरे आंगन में ठंड व घने कोहरे के बीच मुख्यमंत्री से लेकर नेता प्रतिपक्ष तक कदम रख चुके हैं। चार जनवरी को जब मुख्यमंत्री प्रगति यात्रा के दूसरे चरण की शुरुआत करने निकले, तो मेरी करसघाट पंचायत ही उनका पहला पड़ाव बना।

    उस दिन उन्होंने मेरे हिस्से के 140 करोड़ रुपये से अधिक की लागत वाली 72 योजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास रिमोट दबाकर किया। इनमें 61 योजनाओं का लोकार्पण और 11 योजनाओं का शिलान्यास शामिल रहा।

    इतना ही नहीं, तीन अगस्त को मैं फिर सुर्खियों में रहा। मेरे महारानी उच्च विद्यालय में रक्षाबंधन को लेकर आयोजित बहन सम्मान समारोह में वर्षा के बीच नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी प्रसाद यादव पहुंचे। यहां महिलाओं ने उन्हें और मेरे विधायक प्रेम शंकर प्रसाद को राखी बांधी।

    मेरे लिए यह महज परंपरा नहीं, बल्कि राजनीतिक संदेश भी था। आखिर गोपालगंज, तेजस्वी का गृह जिला जो है। मैं बैकुंठपुर हूं, जहां सत्ता पक्ष हो या विपक्ष, सबको अपनी मौजूदगी दर्ज करानी ही पड़ती है। मेरी जमीन पर कदम रखे बिना कोई राजनीति अधूरी लगती है।

    2015 में बगावत से महागठबंधन आहत

    2015 का वह चुनाव आज भी मेरी यादों में दर्ज है, जब बगावत की लहर ने महागठबंधन की जीत का सपना चकनाचूर कर दिया था। जदयू (महागठबंधन समर्थित) से सीटिंग कैंडिडेट मंजीत सिंह मैदान में थे, जबकि भाजपा (राजग समर्थित) से मिथिलेश तिवारी ने ताल ठोकी थी।

    उस समय राजद और जदयू साथ थे, मगर टिकट बंटवारे की नाराजगी ने पूरा खेल बदल दिया। राजद के पूर्व विधायक देवदत्त प्रसाद की पत्नी मनोरमा देवी ने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में मोर्चा संभाला। नतीजा यह हुआ कि महागठबंधन का वोट बिखर गया और मिथिलेश तिवारी ने जीत का परचम लहरा दिया।

    2020 के विस चुनाव का परिणाम

    प्रत्याशी प्राप्त मत मत प्रतिशत
    प्रेम शंकर प्रसाद (राजद) 67,807 37.01%
    मिथिलेश तिवारी (भाजपा) 56,694 30.95%
    मंजीत कुमार सिंह (निर्दलीय) 43,354 23.67%
    नोटा 4,097 2.24%

    2015 के विस चुनाव का परिणाम

    प्रत्याशी प्राप्त मत मत प्रतिशत
    मिथिलेश तिवारी (भाजपा) 56,162 35.11%
    मंजीत कुमार सिंह (जदयू) 42,047 26.29%
    मनोरमा देवी (निर्दलीय) 36,734 22.97%
    नोटा 4,813 3.01%