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    गोपालगंज के दियारा क्षेत्र में बाढ़ और कटाव की त्रासदी, कई गांव नक्शे से हुए गायब

    Updated: Sat, 22 Nov 2025 05:50 AM (IST)

    गोपालगंज के दियारा क्षेत्र में बाढ़ और कटाव ने भारी तबाही मचाई है, जिससे कई गांव नक्शे से गायब हो गए हैं। कटाव के कारण लोग बेघर हो गए हैं। जिला प्रशासन राहत कार्य कर रहा है, लेकिन स्थानीय लोग बाढ़ और कटाव की समस्या का स्थायी समाधान चाहते हैं ताकि उन्हें सुरक्षित जीवन मिल सके।

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    दियारा क्षेत्र में बाढ़ व कटाव की त्रासदी से कई गांव नक्शे से हुए गायब। फोटो जागरण

    जागरण संवाददाता, गोपालगंज। सदर विधानसभा क्षेत्र के दियारा इलाके में हर साल आने वाली बाढ़ व गंडक नदी के कटाव की समस्या लोगों के लिए स्थायी संकट बन चुकी है।

    एक दर्जन से अधिक पंचायतों में बसे करीब पांच से छह सौ परिवार हर वर्ष नदी के कटाव की मार झेलते हैं। हालात यह हैं कि सदर प्रखंड के कई गांवों में आज भी एक भी पक्का मकान नहीं बचा है।

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    गरीब परिवार के लोग बरसात के मौसम में नदी का जलस्तर बढ़ते ही बांधों व सड़कों पर शरण लेने को मजबूर हो जाते हैं। जलस्तर घटते ही वे दोबारा अस्थायी झोपड़ियां खड़ी कर अपने जीवन को किसी तरह आगे बढ़ाते हैं।स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि गंडक नदी का रुख हर साल बदल जाता है। जिसके कारण स्थायी रूप से बसना जोखिम भरा है।

    दियारा क्षेत्र के जगीरी टोला, खाप मससुदपुर, मेंहदिया, बैरिया, रामपुर, कटघरवा, मंझरिया समेत एक दर्जन से अधिक गांव तो गंडक नदी के कटाव में पूरी तरह खत्म हो चुके हैं।

    कभी आबाद रहने वाले ये गांव अब नदी में समा चुके हैं। कई परिवारों ने अपनी पुश्तैनी जमीन भी कटाव में खो दी है। ग्रामीणों ने बताया कि खेती-बारी के लिए कुछ लोग अब भी दियारा पहुंचकर झोपड़ी डालकर रहते हैं, लेकिन यहां स्थायी मकान बनाने की हिम्मत कोई नहीं जुटा पा रहा।

    हर साल कटाव की बढ़ती रफ्तार को देखते हुए ग्रामीणों में भय बना रहता है कि कब उनकी जमीन व झोपड़ी भी नदी में समा जाए। कई परिवारों को तो एक ही साल में कई बार अपने रहने का स्थान बदलना पड़ता है।

    दियारा क्षेत्र के लोग वर्षों से कटाव-नियंत्रण व स्थायी समाधान की मांग कर रहे हैं। लेकिन अभी तक कोई ठोस व्यवस्था नहीं हो पाई है। ग्रामीणों का कहना है कि यदि नदी तटबंध को मजबूत करने और कटाव रोकने के उपाय समय रहते किए जाएं, तो सैकड़ों परिवार विस्थापन की पीड़ा से बच सकते हैं। फिलहाल दियारा के लोगों का जीवन हर साल गंडक नदी के मिजाज पर निर्भर होकर रह गया है।