गव्य विकास विभाग द्वारा राज्य स्तरीय आवासीय प्रशिक्षण का आयोजन किया जा रहा है जिसमें 298 पशुपालकों को वैज्ञानिक तरीके से पशुपालन का प्रशिक्षण दिया जाएगा। आवेदन अगस्त से दिसंबर तक ऑनलाइन किए जा सकते हैं। प्रशिक्षण में पशु प्रबंधन रोग रोकथाम और दुग्ध उत्पादन जैसी तकनीकों की जानकारी दी जाएगी जिससे पशुपालक आत्मनिर्भर बन सकें।
जागरण संवाददाता, गोपालगंज। जिले के पशुपालकों के लिए खुशखबरी है। गव्य विकास विभाग की ओर से राज्य स्तरीय पांच दिवसीय आवासीय प्रशिक्षण में शामिल होने का अवसर उपलब्ध कराया जा रहा है। इसके लिए जिले के कुल 298 इच्छुक पशुपालकों का चयन किया जायेगा।
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विभाग की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार यह प्रशिक्षण पशुपालन को और अधिक वैज्ञानिक एवं आधुनिक ढंग से संचालित करने के उद्देश्य से आयोजित किया जाएगा। जिला गव्य विकास पदाधिकारी निकेता आनंद ने बताया कि इस प्रशिक्षण में भाग लेने के लिए इच्छुक पशुपालकों से विभाग के पोर्टल के माध्यम से आनलाइन आवेदन मांगे गए हैं।
आवेदन की तिथि अगस्त से दिसंबर तक निर्धारित की गई है। केवल वे पशुपालक, जिन्होंने समय पर आवेदन किया, प्रशिक्षण में भाग लेने के पात्र होंगे। उन्होंने कहा कि आवेदन की प्रक्रिया पूरी होने के बाद चयनित 298 पशुपालकों को राज्य स्तर पर पांच दिवसीय आवासीय प्रशिक्षण दिया जाएगा।
प्रशिक्षण में प्रतिभागियों को पशु प्रबंधन, पशु रोगों की रोकथाम, हरा चारा उत्पादन, दुग्ध उत्पादन में वृद्धि, गव्य प्रबंधन तथा पशुपालन से जुड़ी अन्य आधुनिक तकनीकों के बारे में विस्तार से जानकारी दी जाएगी। प्रशिक्षण का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि पशुपालक वैज्ञानिक पद्धति से पशुओं की देखभाल करें और पशुपालन से अधिकतम लाभ अर्जित कर सकें।
साथ ही उन्होंने बताया कि प्रशिक्षण में शामिल होने के लिए आयु सीमा भी तय की गई है। इच्छुक पशुपालकों की उम्र न्यूनतम 18 वर्ष और अधिकतम 50 वर्ष से कम होनी चाहिए। इससे कम या अधिक आयु के लोग इस प्रशिक्षण में भाग नहीं ले पाएंगे।
बढ़ेगी किसानों की आय
विभाग का मानना है कि इस उम्र वर्ग के पशुपालक प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद लंबे समय तक इसका लाभ उठा सकेंगे और अपने पशुपालन व्यवसाय को नई दिशा दे सकेंगे।
निकेता आनंद ने बताया कि पशुपालन बिहार के ग्रामीण इलाकों की अर्थव्यवस्था का अभिन्न हिस्सा है। गांवों में ज्यादातर परिवार किसी न किसी रूप में पशुपालन से जुड़े हैं। ऐसे में इस तरह के प्रशिक्षण से उन्हें सही जानकारी मिलेगी, जिससे वे कम खर्च में अधिक उत्पादन कर सकें।
उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में पशुओं में कई प्रकार की बीमारियां तेजी से फैल रही हैं। ऐसे में पशुपालकों को रोगों की पहचान और उनके समय पर उपचार के बारे में जागरूक करना भी प्रशिक्षण का एक प्रमुख हिस्सा होगा।
पशुपालकों को बताया जाएगा कि किस तरह संतुलित आहार और हरे चारे का उत्पादन करके पशुओं को स्वस्थ रखा जा सकता है। इसके अलावा दूध की गुणवत्ता और मात्रा बढ़ाने के लिए किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए, इस पर भी विशेषज्ञ विस्तार से मार्गदर्शन करेंगे।
ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मिलेगी मजबूती
विभाग का मानना है कि प्रशिक्षण पूरा करने के बाद जिले के पशुपालक अपने अनुभव को अन्य ग्रामीणों तक भी पहुंचाएंगे, जिससे सामूहिक रूप से पूरे जिले में पशुपालन की स्थिति में सुधार होगा। वहीं उन्होंने कहा कि विभाग के इस पहल से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई मजबूती मिलेगी और पशुपालक आत्मनिर्भर बनेंगे।
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