कोरोना ने बदली किसानों की किस्मत: धान-गेहूं छोड़कर अपनाई गोभी की खेती, अब हर महीने हो रही मोटी कमाई
कोरोना महामारी ने गोपालगंज के किसानों के लिए एक नया रास्ता खोला। धान और गेहूं की खेती में नुकसान होने के बाद, कई किसानों ने गोभी की खेती शुरू की। गोभी की खेती से उन्हें अच्छा मुनाफा हो रहा है, क्योंकि इसकी फसल जल्दी तैयार हो जाती है और बाजार में मांग भी बनी रहती है। यह बदलाव अन्य किसानों के लिए भी प्रेरणादायक है।

गोपालंगज के मांझा प्रखंड के फुलवरिया गांव में प्रारंभ हुई गोभी की खेती। फोटो जागरण
जागरण संवाददाता, गोपालगंज। कुछ दिनों पूर्व तक मांझा प्रखंड के कर्णपुरा पंचायत के फुलवरिया गांव के किसान परंपरागत तरीके से खेती करते थे। गांव में धान व गेहूं की खेती की ओर किसानों को ध्यान था। कोरोना काल की शुरुआत के बाद गांव के किसानों ने सब्जी की खेती करने का निर्णय लिया।
इसका असर अब दिखने लगा है। गांव में गोभी की उन्नत तरीके से सब्जी की खेती कर किसान प्रति माह अच्छी आमदनी कर अपने परिवार के साथ गांव को भी समृद्ध बना रहे हैं। पूरे गांव में दो दर्जन से अधिक किसान परंपरागत खेती को छोड़कर गोभी तथा अन्य सब्जी की खेती कर रहे हैं।
जानकारी के अनुसार, वर्ष 2020 में फुलवरिया गांव के किसानों ने सब्जी की खेती करना प्रारंभ किया। शुरुआत में छोटे पैमाने पर गांव में सब्जी की खेती की गई। खेती से अच्छी आय तो देखते हुए इस साल गांव के किसानों ने करीब 40 बीघा में अकेले गोभी की फसल की खेती की है।
गोभी की खेती कर रहे किसानों की मानें तो गांव में प्रत्येक दिन काफी गोभी का उत्पादन हो रहा है। इससे किसानों को अच्छा मुनाफा मिल रहा है। फुलवरिया गांव के किसान शिवजतन भगत, केशव भगत, कृष्णा भगत, उपेंद्र प्रसाद तथा रामशरण प्रसाद आदि ने बताया कि आज के समय में उनकी जीविका का मुख्य साधन गोभी की खेती है।
किसानों ने बताया कि गोभी की खेती से उन्हें अच्छी खासी आमदनी हो जाती हैं। किसानों ने बताया कि वे गोभी की फसल समाप्त होते ही गोभी के बीज का उत्पादन शुरू कर देते हैं। उनके द्वारा तैयार किए जाने वाले गोभी की बीज भी अच्छी कीमत पर बिकती है।
किसानों ने बताया कि गोभी के बीज की कीमत 10 से 12 हजार रुपये प्रति किलो है। फुलवरिया गांव का गोभी का बीज बिहार के अलावे कोलकाता तक जाता है। गांव में गोभी की अच्छी खेती करने वाले किसानों को इस बात का मलाल है कि उन्हें सरकारी स्तर पर कोई मदद नहीं मिलती हैं।
अगर सरकारी स्तर पर यहां के किसानों को मदद मिले, तो सब्जी उत्पादन मे फुलवरिया गांव अग्रणी गांव बन जायेजा। साथ ही गांव में रोजगार के साधन भी बढ़ जाएंगे।

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