Gopalganj News: 40 लाख का अभिलेख भवन 15 साल से वीरान, सांप-बिच्छू और कचरे का अड्डा बना
गोपालगंज में 40 लाख की लागत से बना अभिलेख भवन 15 वर्षों से वीरान है। देखरेख के अभाव में यह सांप, बिच्छू और कचरे का अड्डा बन गया है। भवन का निर्माण अभिलेखों को सुरक्षित रखने के लिए किया गया था, लेकिन प्रशासन की उदासीनता के कारण यह जर्जर हो गया है और अभिलेख असुरक्षित हैं। स्थानीय लोगों ने मरम्मत की मांग की है।
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गोपालगंज में 40 लाख का अभिलेख भवन बना सांप-बिच्छू का बसेरा। फोटो जागरण
बिनोद सिंह, बरौली (गोपालगंज)। बरौली अंचल परिसर में वर्ष 2010-11 में लगभग 40 लाख रुपये की लागत से शुरू हुआ अभिलेख भवन का निर्माण 15 वर्षों बाद भी अधूरा पड़ा है। बिना प्लास्टर, चौखट, खिड़की और दरवाजे के यह ढांचा आज भी वीरान खड़ा है और अंचल प्रशासन की उदासीनता की कहानी बयां कर रहा है।
शुरुआत में भवन को लेकर काफी उत्साह था। ले-आउट तैयार हुआ, भूमि-पूजन और शिलान्यास भी धूमधाम से किया गया। तत्कालीन अंचल पदाधिकारी राकेश कुमार ने आश्वासन दिया था कि निर्माण पूरा होने के बाद अंचल के सभी कागजात सुरक्षित और व्यवस्थित तरीके से संरक्षित किए जाएंगे। लेकिन निर्माण के दौरान अनियमितताएं उजागर होने लगीं और कुछ ही महीनों में काम पूरी तरह ठप हो गया।
आज स्थिति यह है कि अधूरे भवन में दस्तावेजों को सुरक्षित रखने का प्रश्न ही नहीं उठता। जगह-जगह फाइलें जैसे-तैसे रखी हैं। दरवाजे-खिड़कियों के अभाव में आवारा जानवर अंदर घुस आते हैं, वहीं सांप-बिच्छू जैसे विषैले जीवों का भी डेरा बना रहता है। जिस भवन का उद्देश्य अभिलेखों को सुरक्षित रखना था, वही खुद उपेक्षा का शिकार हो चुका है।
भवन के ठीक सामने नगर परिषद द्वारा कचरा डंप किए जाने से परिसर की बदहाली और भी बढ़ गई है। अस्वच्छ वातावरण के कारण अभिलेखों के नष्ट होने का खतरा लगातार बना हुआ है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि महत्वपूर्ण राजस्व दस्तावेज असुरक्षित माहौल में पड़े होने से कभी भी गंभीर क्षति हो सकती है। अधूरा भवन प्रशासनिक लापरवाही और संसाधनों की बर्बादी का जीवंत उदाहरण बन चुका है।
ग्रामीणों ने मांग की है कि संबंधित विभाग शीघ्र कार्रवाई करते हुए निर्माण कार्य पूरा कराए, ताकि बरौली अंचल का बहुप्रतीक्षित अभिलेख भवन उपयोग में लाया जा सके और राजस्व अभिलेखों को सुरक्षित रखा जा सके।

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