पांच साल बाद भी गंडक कटाव ने उजड़े 2200 घर पुनर्वास के इंतजार में, ठंडे बस्ते में पड़े चुनावी वादे
मांझा प्रखंड के दियारा क्षेत्र में गंडक नदी का कटाव जारी है, जिससे 2200 घर प्रभावित हैं। 2020 की बाढ़ में 250 परिवार बेघर हो गए। पांच साल बाद भी पुनर्वास का इंतजार है। हर चुनाव में नेताओं के वादे ठंडे बस्ते में चले जाते हैं। कटाव रोकने के लिए कोई स्थायी तटबंध नहीं बना है, जिससे विद्यालय भी खतरे में हैं। प्रशासन ने विभागीय रिपोर्ट तैयार की है, लेकिन पुनर्वास प्रक्रिया अटकी है।

गंडक कटाव ने उजड़े 2200 घर पुनर्वास के इंतजार में
राजेश प्रसाद, मांझा (गोपालगंज)। मांझा प्रखंड के दियारा क्षेत्र में गंडक नदी का कटाव आज भी लोगों के लिए अभिशाप बना हुआ है। लगातार बाढ़ और कटाव की चपेट में आने से दर्जनों गांव तबाह हो चुके हैं, लेकिन अब तक विस्थापित परिवारों के पुनर्वास की दिशा में कोई ठोस पहल नहीं हो सकी है।
प्रखंड के चार पंचायतों गौसिया, निमुईया, भैसही और पुरैना के करीब 25 वार्डों के 22 सौ घर हर साल गंडक की धारा में बहने के डर के साये में जीवन बिता रहे हैं। करीब 14 हजार की आबादी अब भी हर बरसात में अपनी छत बचाने के लिए जूझती है।
250 परिवारों को पूरी तरह उजाड़ दिया
वर्ष 2020 में आई बाढ़ ने निमुईया पंचायत के लगभग 250 परिवारों को पूरी तरह उजाड़ दिया। गांव के माघी, मुगराहा, विशुनपुर, केरवनिया टोला, बुझी रावत टोला, नवका टोला, बढ़वा टोला, मथुरा साह टोला और भिरगुन रावत टोला जैसे बस्तियां नदी के पेट में समा गईं।
कटाव से उजड़े ये परिवार 5 वर्षों से स्थायी पुनर्वास की उम्मीद में भटक रहे हैं। हर चुनाव में नेताओं की ओर से इन्हें बसाने के आश्वासन दिए जाते हैं, लेकिन चुनाव खत्म होते ही यह मुद्दा ठंडे बस्ते में चला जाता है।
प्राथमिक विद्यालय भी कटाव के खतरे में
स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि गंडक नदी का रुख बदलने के बाद भी कटाव रोकने के लिए अब तक कोई स्थायी तटबंध या सुरक्षात्मक निर्माण नहीं हुआ है। निमुईया पंचायत का नव सृजित प्राथमिक विद्यालय भी कटाव के खतरे में है। कई परिवार अब भी अस्थायी झोपड़ियों में रह रहे हैं और अपने घरों के अवशेष को रोज़ देखते हैं। हर साल बाढ़ आने पर यह लोग यत्र-तत्र पलायन को मजबूर हो जाते हैं।
मांझा प्रखंड के सीओ मुन्ना कुमार ने बताया कि दियारा क्षेत्र के चार पंचायतों के लगभग 25 वार्डों के 22 सौ घर बाढ़ से प्रभावित रहते हैं। कटाव और बाढ़ से निपटने के लिए विभागीय रिपोर्ट तैयार की जा चुकी है, लेकिन पुनर्वास की प्रक्रिया अभी तक आगे नहीं बढ़ पाई है।

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